madwa mahal-छत्तीसगढ़ में कई तरह के ऐतिहासिक इमारतें और मंदिर मौजूद हैं, ऐसा ही प्राचीन मंदिर कबीरधाम जिले में स्थित है. मड़वा महल मंदिर न सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक है, बल्कि राजवंशों के बीच हुए मिलन का गवाह भी है. यह मंदिर खजुराहो की तरह अपनी कामुक मूर्तियों के लिए जाना जाता है. मंदिर में भारतीय शिल्पकला और आध्यात्मिकता का संगम है.
रायपुर से करीब 145 किलोमीटर दूर मड़वा महल मंदिर प्राचीन ऐतिहासिक धरोधर है. प्रकृति की गोद में बसा यह अनूठा स्थल नागवंशी शासक और हैहयवंशी रानी के शादी के स्मारक के रूप में जाना जाता है. इसका निर्माण फणीनागवंशी शासक रामचन्द्रदेव ने 1349 में कराया था.
इस मंदिर में फणीनागवंशी शासकों की वंशावली चिन्हित की गई है. मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसका निर्माण नागवंशी राजा और हैहय वंश की रानी के विवाह के समय बनाया गया था. यही वजह है कि इसका नाम मड़वा महल पड़ा. मड़वा मतलब छत्तीसगढ़ में विवाह का मंडप होता है, यह मंदिर शादी के मंडप की आकृति का ही है.
यह अनोखा मंदिर 5 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है. इस मंदिर का मुख पूर्व की ओर है, इसमें तीन ओर से प्रवेश किया जा सकता है. तीनों प्रवेश द्वारों से सीधे मंदिर के मंडप में प्रवेश किया जा सकता है. मंडप की लंबाई 60 फीट और चौड़ाई 40 फीट है. इस मंदिर में 16 खंभे हैं.
भारतीय मंदिरों की दीवारों पर बनी कामसूत्र मूर्तियां वास्तुकला, आध्यात्मिकता और समाज के गहरे संदर्भों से जुड़ी हुई हैं. इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर कामासूत्र में दर्शाई गयी 48 मुद्राएं बनी हुई हैं, जो उस समय नागवंशी राजाओं में प्रचलित तांत्रिक संस्कृति को दर्शाता है.
मंदिर के गर्भगृह के उत्तर, पश्चिम और दक्षिण मुखों पर बहुत कम नक्काशी की गई है. गर्भगृह की बाहरी दीवारों पर संगीत वाद्ययंत्र बजाते हुए और यौन क्रीड़ा करते हुए जोड़ों को दर्शाया गया है. कामुक जोड़ों की स्थिति को दिलचस्प बनाने वाली बात यह है कि यह जंक्शन दीवारों के बीच या उच्च स्तर पर छिपी नहीं है.
मंडप में लक्ष्मी, विश्नु एवं गरूड की मुर्ति रखी है और भगवान के ध्यान में बैठे हुए एक राजपुरूष की मुर्ति भी रखी हुई है. मंदिर के गर्भगृह में एक काले पत्थर से बना हुआ शिवलिंग स्थापित है. गर्भगृह में एक पंचमुखी नाग की मुर्ति है साथ ही नृत्य करते हुए गणेश जी की मुर्ति और ध्यानमग्न अवस्था में राजपुरूष एवं उपासना करते हुए एक स्त्री पुरूष की मुर्ति भी है.
मंदिर के चारों ओर बाहरी दीवारो पर विष्णु, शिव चामुंडा और भगवान गणेश आदि की मुर्तियां लगी है. इसके साथ ही लक्ष्मी विश्नु एवं वामन अवतार की मुर्ति भी दीवार पर लगी हुई है. देवी सरस्वती की मूर्ति और शिव की अर्धनारिश्वर की मुर्ति भी यहां लगी हुई है. गर्भगृह की चौड़ाई में रखी गई एक छड़ी पर लिपटे हुए नारियल रखे हुए हैं जिन्हें श्रद्धालु अपनी मन्नतें दर्ज करते समय लटकाते हैं
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