Madhya Pradesh News: कटनी जिले में 382 से ज्यादा गिद्ध पाए गए हैं. वन्यजीव संरक्षण के लिए कटनी के कैमोर क्षेत्र की पहाड़ी से एक अच्छी खबर आई है. जहां सबसे अधिक गिद्ध पाए गए हैं. कटनी जिले में गिद्धों की संख्या पिछले वर्ष के 151 से बढ़कर इस वर्ष 382 हो गई हैं.
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MP News: मध्य प्रदेश में गिद्धों के संरक्षण को लेकर किए जा रहे वन विभाग के प्रयासों ने रंग दिखाया है. मध्य प्रदेश के वन क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या में तीन गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है. कटनी जिले में 382 से ज्यादा गिद्ध पाए गए हैं. वन्यजीव संरक्षण के लिए कटनी के कैमोर क्षेत्र की पहाड़ी से एक अच्छी खबर आई है. जहां सबसे अधिक गिद्ध पाए गए हैं. कटनी जिले में गिद्धों की संख्या पिछले वर्ष के 151 से बढ़कर इस वर्ष 382 हो गई हैं. यह साल 2021 के 67 गिद्धों की तुलना में पांच गुना वृद्धि है. वन परिक्षेत्र अधिकारी नवी अहमद खान ने बताया कि यह सफलता लगातार किए गए संरक्षण प्रयासों का परिणाम है.
गिद्धों को प्रकृति का सफाईकर्मी कहा जाता है, क्योंकि वे मृत जानवरों के शवों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखते हैं. मृत जानवरों के शव खुले में पड़े रहें, तो वे बीमारियों को फैलाने वाले बैक्टीरिया और विषाणुओं का स्रोत बन सकते हैं. गिद्ध इन अवशेषों को खाकर संक्रामक रोगों के फैलाव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
गिद्धों की संख्या में कमी का मुख्य कारण डाइक्लोफेनाक दवा का उपयोग था, जिसे पशुओं के इलाज के लिए दिया जाता था. सरकार ने इस दवा पर रोक लगाई है, लेकिन इसका सख्ती से पालन जरूरी है. प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने और गिद्धों के लिए सुरक्षित क्षेत्र बनाने की जरूरत है. यह दवा गिद्धों के लिए जहरीली साबित हुई और इसका सेवन करने वाले गिद्धों की मौत होने लगी. हालांकि, इसमें वनोन्मूलन, शिकार, बिजली के तारों से टकराना, प्रदूषण, आदि जैसे कारण भी शामिल है.
कैमोर क्षेत्र में गिद्धों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी बताती है कि वन विभाग और संरक्षण संगठनों द्वारा किए गए प्रयास सफल हो रहे हैं. यह अभियान लगातार जारी रहा, तो आने वाले समय में गिद्धों की संख्या और भी बढ़ सकती है, जिससे पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी. वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे गिद्धों के संरक्षण में सहयोग करें और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील रहे.