चंबल में नहीं बिक पाएगा नकली दूध, एक्शन में सरकार, क्या मिलावटखोरी पर लगेगी लगाम
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चंबल में नहीं बिक पाएगा नकली दूध, एक्शन में सरकार, क्या मिलावटखोरी पर लगेगी लगाम

MP News: मध्य प्रदेश के भिंड जिले में लगातार दूध में मिलावटखोरी के मामले सामने आ रहे थे. ऐसे में अब प्रशासन ने नई तरकीब खोजी है, ताकि मिलावट खोरी को रोका जा सके. 

मिलावटखोरी पर लगेगी लगाम

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में दूध में मिलावट कर बेचने वालों के लिए बड़ी खबर सामने आई है.  दूध में तरह-तरह की चीजें मिलाकर बेचने वालों के खिलाफ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. खाद्य सुरक्षा विभाग ने जिले में दूध बेचने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक कर दिया है, ताकि मिलावट खोरी पर लगाई लगाई जा सके. विभाग ने दूध बेचने वालों को पहचान पत्र देने का निर्णय किया है.  जिसके तहत अब ग्राहक पहचान पत्र वाले से दूध लेकर शुद्ध क्वालिटी के दूध का लाभ उठा सकते हैं. 

भिंड जिला मिलावट वाले दूध के लिए बदनाम

भिंड शहर और जिला दूध और मावा में सबसे ज्यादा मिलावट के लिए जाना जाने लगा है. बता दें कि जिले में कई लोगों ने नकली दूध बेचने का धंधा चला रखा है. लोगों को शुद्ध दूध के नाम पर साफ-साफ ठगा जा रहा है. जिससे आस-पास के शहरों में भी भिंड मिलावट वाला दूध बेचने के लिए बदनाम हो चुका है. ऐसे में अब मिलावट खोरी से परेशान हो चुके लोग दूध लेने से भी डरने लगे हैं . लगातार आ रही मिलावट खोरी की शिकायतों के बाद ही प्रशासन अलर्ट हुआ है. 

इस समस्या को देखते हुए फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने ये सख्त कदम उठाया. डिपार्टमेंट ने पहचान पत्र के अलावा दूध की क्ववालिटी मापने वाले लैक्टोमीटर को भी साथ रखने के निर्देश दिए हैं. ग्राहकों की मांग पर इस मापक से दूधियों को दूध की क्वालिटी की जांच कर दिखाना होगा. इससे ग्राहकों को पता चलेगा कि वे कितना शुद्ध दूध उनसे ले रहे हैं. 

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भिंड में दूध की सप्लाई 

दरअसल, भिंड बड़ा जिला है. ऐसे में रोज तीन से चार हजार दूध वाले एक लाख से ज्यादा घरों में दूध की सप्लाई करते हैं. इतने बड़े पैमाने की कोई भी जानकारी विभाग के पास नहीं होती है. जिस कारण कुछ दूधवाले खुलेआम दूध में पानी के साथ अन्य केमिकल पाउडर मिलाकर लोगों को बेचते हैं. भिंड जिले की फूड सेफ्टी अफसर रीना बंसल ने बताया कि दूध बहुत जरूरी न्यूट्रिशनल ड्रिंक है. इसलिए दूध को बेचने वालों को रजिस्ट्रेशन करवाना अब आवश्यक है. उन्होंने कहा कि अगर दूध वालों के पास पहचान पत्र होगा तो ग्राहक यह समझ सकेगा कि उसका दूधिया रजिस्टर्ड है. इसके अलावा वे विश्वास कर सकेंगे कि उन्हें दिया जाने वाला दूध बढ़िया क्वालिटी का है.

बड़े शहरों में जाता है चंबल का मावा 

भिंड और मुरैना से दूध से बने मावा की सप्लाई को आस-पास के शहरों में भेजा जाता है. जिसमें ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, मुंबई, दिल्ली और आगरा शामिल है. फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने जनवरी से 31 अगस्त तक जिले में मिलावट करने वाले 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है. वहीं 3 लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई की गई है. फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के आंकड़े बताते हैं कि आठ महीनों में अब तक 326 सैंपल लिए जा चुके हैं. जिनमें से  51 सैंपल क्वालिटी के मामले में फैल हुए हैं और अन्य 23 सैंपल दूध से बनी चीजें जैसे दूध,मावा और पनीर के सैंपल फेल हो चुके हैं. 

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