आज के समय में जहां देश बुलेट ट्रेन के युग में जाने की राह पर है, तब इस देश में कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां सड़क पहुंचने का भी जश्न मनाया जाता है. ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके से सामने आया है.जहां पहली बार सड़क पहुंची तो गांव की महिलाओं ने जवानों के स्वागत में न सिर्फ गीत गाए बल्कि ट्रेडिशनल डांस भी किया.
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रंजीत बारठ/सुकमा: एक वक्त था जब नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण का विरोध हुआ करता था. नक्सलवाद के कारण जवानों को देखकर ग्रामीण उनका विरोध करते थे लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. उन्हीं इलाकों में आज तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं और ग्रामीण सड़क का महत्व समझ रहें हैं. अब वो विकास चाहते हैं जिसके कारण ग्रामीण अब विरोध नहीं बल्कि जवानों व सड़क का स्वागत कर रहे हैं.
सुकमा जिले का घोर नक्सल प्रभावित बंडा गांव है जहां पहले आवागमन के लिए सिर्फ पगडंडी थी. नक्सल दहशत के कारण इन इलाकों में विकास कार्य तो दूर की बात, मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. अब लगातार जिला प्रसाशन व पुलिस प्रशासन के प्रयासों से जिले के हालात बदल रहे हैं. अब सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. कोंटा से सड़क निर्माण का कार्य शुरू हुआ और बंडा तक सड़क निर्माण पहुंचा. जवानों की सुरक्षा में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है.
इसी वजह से जब जवान गांव पहुंचे तो वहां गांव की महिलाएं व बच्चे जमा हो गए. महिलाओं ने स्थानीय भाषा में स्वागत गीत गाकर परम्परागत नृत्य कर खुशी का इजहार किया. जवानों ने भी महिलाओं का सम्मान किया और सुरक्षा का वादा किया.
बता दें कि सुकमा जिले के नक्सल इलाकों में जहां सालों से सिर्फ पगडंडी के माध्यम से ही लोग आना-जाना करते थे लेकिन अब उन इलाकों में सड़कों का निर्माण हो रहा है. खासकर नक्सल प्रभावित इलाकों में जवानों की कड़ी सुरक्षा के बीच सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. कई ऐसे गांव हैं, जहां सड़कों का निर्माण हुआ है. आवागमन के साधन बढ़ गए हैं. लोगों को अब पैदल चलकर कम आना पड़ रहा है. हालात बदल रहे हैं.