Chhattisgarh News: बिलासपुर न्यूज (Bilaspur News) छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने एक 7 वर्षीय लड़की के पिता को 6.5 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिसकी आवारा कुत्तों के हमले से मौत हो गई थी.
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Bilaspur High Court News: शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुर। देशभर में कुत्तों के काटने से मौत के कई मामला सामने आते रहते हैं. इसमें मुख्यरूप से बच्चों की मौत शामिल होती है. इसके खिलाफ कई सामाजिक संगठन आवाज उठाते रहे हैं. लेकिन, सरकारों ने कोई फैसला नहीं लिया. हालांकि, अब ऐसे ही एक मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बच्ची की मौत पर 6.5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. ये पैसे बच्ची के पिता को सरकारी खजाने से दिया जाएगा. मामला 2018 का है, जब बिलासपुर में कुत्ते के हमले में बच्ची की मौत हो गई थी.
फोटो में दिखी बच्ची की असहनीय पीड़ा
जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की एकल न्यायाधीश पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा, की कुत्ते के काटने के शिकार व्यक्ति की पीड़ा ज्यादा होती है. मौजूदा स्थिति में आवारा कुत्ते के साथ मुठभेड़ के बाद उस बच्ची होने वाले असहनीय दर्द, पीड़ा, मानसिक पीड़ा और संकायों की कमी की कल्पना रिट याचिका के साथ संलग्न तस्वीरों से भी आसानी से की जा सकती है.
कब का है मामला?
22 मार्च 2018 को याचिकाकर्ता की बेटी पर एक आवारा कुत्ते ने हमला किया था. जब वह स्कूल से घर लौट रही थी. उक्त हमले से उसके चेहरे और सिर पर घातक चोटें आईं थी. सभी चिकित्सीय प्रयासों के बावजूद 6 अप्रैल 2018 को उसने दम तोड़ दिया. याचिकाकर्ता ने बाद में आवारा कुत्ते के काटने के कारण अपनी बेटी की अप्राकृतिक और असामयिक मौत के लिए सरकारी राहत कोष से मुआवजे का दावा करते हुए एक आवेदन दायर किया. हालांकि, उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी) के तहत ऐसे मामले में मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है जहां आवारा कुत्ते के काटने से मौत हुई हो.
पिता ने लगाई थी रिट याचिका
व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की और मुआवजा देने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की प्रार्थना की. अपने मामले के समर्थन में याचिकाकर्ता ने मृत लड़की का रेबीज पोस्ट एक्सपोजर उपचार कार्ड और चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र संलग्न किया. उन्होंने अपनी बेटी की कुछ तस्वीरें भी संलग्न की जो उस पर हुए हमले के बाद खींची गई थीं. उसी पर गौर करने के बाद, न्यायालय ने मुआबजे का आदेश दिया है.
तस्वीरों पर कोर्ट ने क्या कहा?
रिट याचिका पर अदालत ने कहा कि संलग्न तस्वीर उसे लगी चोटों की सीमा और प्रकृति को प्रतिबिंबित करेगी और दिखाएगी. याचिकाकर्ता की बेटी को लगे घाव भयानक हैं. इसमें कोई विवाद नहीं है कि तस्वीर में दिख रहे घाव किसी आवारा कुत्ते के काटने की वजह से लगे हैं. चूंकि सरकारी अधिकारियों ने यह रुख अपनाया कि आवारा कुत्तों के हमले से होने वाली मौतों के लिए मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है. अदालत को यह तय करना पड़ा कि क्या वह इस संबंध में कोई औपचारिक प्रावधान न होने के बावजूद इस मामले में मुआवजा दे सकता है.
इन मामलों को बनाया गया आधार
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि किसी बच्चे की असामयिक और अप्राकृतिक मृत्यु को पैसे के रूप में महत्व नहीं दिया जा सकता है या मुआवजा नहीं दिया जा सकता है. क्योंकि यह माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए एक शाश्वत दुःख है और इस तरह की हानि निश्चित रूप से मानसिक पीड़ा और आघात का कारण बनेगी. फिर, बेंच ने पहले से समान मुद्दों वाले न्यायालय द्वारा तय किए गए दो समान मामलों पर भरोसा किया. शोभा राम बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य में। (2018) और कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन (कु. दिव्या वर्मा की मृत्यु के संबंध में) बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य (2017), कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमले के शिकार लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया था.
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इसके अलावा, जस्टिस साहू ने सीजी राज्य बनाम भैया लाल गोंड (2023) मामले में न्यायालय की एक डिवीजन बेंच के हालिया फैसले पर भरोसा किया. इसमें कहा गया था,
'कानून के उपरोक्त प्रस्ताव को लागू करते हुए, हमारी राय है कि जब मौत आवारा कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज संक्रमण के कारण होती है तो यह भी सख्त दायित्व या कोई दोष नहीं दायित्व के दायरे में आएगा और आदेश की व्याख्या करेगा. राज्य जो जंगली जानवरों के हमलों में मृत्यु, अपंगता और चोट के लिए नि:शुल्क मुआवजा देता है. उसे आवारा कुत्तों की घटनाओं पर भी लागू किया जा सकता है. जब मौत आवारा कुत्ते के काटने से होती है.
6.5 लाख का मुआवजा देने का ऐलान
इसलिए, उपरोक्त उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए और मौजूदा मामले में पीड़ित पर आवारा कुत्ते के क्रूर हमले पर विचार करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मुआवजा के रूप में 6,50,000/- की राशि देना उचित समझा. यह राशि तीन माह की अवधि में भुगतान करने का आदेश दिया गया.
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