रिश्तेदारों के आतंकवाद से जुड़े होने के कारण पासपोर्ट देने से मना नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट
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रिश्तेदारों के आतंकवाद से जुड़े होने के कारण पासपोर्ट देने से मना नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट

Jammu And Kashmir:  जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि किसी व्यक्ति को केवल इसलिए पासपोर्ट देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. 

रिश्तेदारों के आतंकवाद से जुड़े होने के कारण पासपोर्ट देने से मना नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट

Jammu And Kashmir: राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कहा गया है कि आतंकवाद से जुड़े रिश्तेदारों के कारण किसको पासपोर्ट देने से मना नहीं किया जा सकता. नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता और विधायक और मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने हाईकोर्ट के फैसले को व्यक्तिगत अधिकारों की महत्वपूर्ण पुष्टि बताया.

उन्होंने कहा, 'हर नागरिक का मूल्यांकन उसके आचरण के आधार पर किया जाना चाहिए.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्याय निष्पक्षता पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, 'एनसी सभी के संवैधानिक अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.'

जेएंडके पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया और फैसले को भेदभाव के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बताय. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने अधिवक्ता सैयद सज्जाद गिलानी द्वारा दायर याचिका के माध्यम से "सामूहिक दंड" के साधन के रूप में पुलिस सत्यापन के दुरुपयोग को पहले ही चुनौती दी है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि एक व्यापक फैसला आएगा, जिससे जम्मू-कश्मीर में समान रूप से इसका पालन सुनिश्चित होगा. उन्होंने कहा, 'यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन देर आए दुरुस्त आए. हमारी याचिका में इस फैसले को पूरे जम्मू-कश्मीर में लागू करने की मांग की गई है, ताकि हजारों लोग इसी तरह के प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं.'

महबूबा मुफ्ती ने हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत
जम्मू-कश्मीर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि उच्च न्यायालय का किसी व्यक्ति को केवल आतंकवादी से संबंधित होने के कारण पासपोर्ट देने से इनकार न करने का फैसला निश्चित रूप से सही दिशा में उठाया गया कदम है. 

जानिए क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि किसी व्यक्ति को केवल इसलिए पासपोर्ट देने से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसका परिवार का कोई सदस्य अतीत में आतंकवाद में शामिल रहा है. 

यह फैसला रामबन के शगन गांव के मोहम्मद आमिर मलिक के मामले में आया, जिसे उसके भाई की आतंकवादी पृष्ठभूमि और उसके पिता की एक आतंकवादी संगठन के लिए ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) के रूप में कथित भूमिका के कारण पासपोर्ट देने से मना कर दिया गया था.
 
न्यायमूर्ति एम. ए. चौधरी ने फैसला सुनाते हुए कहा था, 'केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता का भाई आतंकवादी था और उसके पिता ओजीडब्ल्यू हैं, उसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.'

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