Ghar Wapsi RSS: मोहन भागवत ने यह भी बताया कि जब वे पहली बार प्रणब मुखर्जी से मिलने गए थे तब संसद में घर वापसी को लेकर काफी हंगामा हो रहा था. भागवत ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने मुझसे कहा था कि आपने कुछ लोगों को वापस लाया तो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की?
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Mohan Bhagwat on Pranab: अपने करियर के आखिरी दौर में राजनीतिक विचारों को लेकर चर्चा में रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी लगातार विमर्श के केंद्र में बने रहते हैं. इस कड़ी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने उन्हें याद किया और उनका उद्धरण दिया. मोहन भागवत ने दावा किया कि जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे, तो उन्होंने संघ के घर वापसी कार्यक्रम की सराहना की थी और कहा था कि अगर यह धर्म परिवर्तन कार्यक्रम ना होता तो कुछ आदिवासी समुदाय देशद्रोही बन सकते थे. यह बात अलग है कि प्रणब मुखर्जी ने यह बात सार्वजनिक तौर पर नहीं कही थी लेकिन संघ प्रमुख ने अब यह बड़ा दावा किया है.
दरअसल, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार के वितरण समारोह में कही है. उन्होंने यह भी बताया कि जब वे पहली बार प्रणब मुखर्जी से मिलने गए थे तब संसद में घर वापसी को लेकर काफी हंगामा हो रहा था. भागवत ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने मुझसे कहा था कि आपने कुछ लोगों को वापस लाया तो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की? यह राजनीति है और यदि मैं कांग्रेस में होता तो मैं भी संसद में यही करता. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस काम के कारण 30 प्रतिशत आदिवासी समुदाय अपने मूल रूप में वापस आ गए हैं, जो अच्छा है.
भागवत ने आगे कहा कि धर्म परिवर्तन केवल आंतरिक प्रेरणा से किया गया हो तो कोई बुराई नहीं है. उनका मानना है कि सभी प्रकार की पूजा विधियां सही हैं और हर किसी को अपना तरीका चुनने का अधिकार होना चाहिए. लेकिन जब धर्म परिवर्तन लालच या बलात्कार के द्वारा होता है तो उसका उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति नहीं होता बल्कि प्रभाव बढ़ाने के लिए लोगों को उनके मूल से काटना होता है.
यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रणब मुखर्जी ने 2018 में नागपुर में RSS के एक कार्यक्रम में भाग लिया था जो उस समय काफी चर्चा में रहा था. भागवत के इस बयान में मुखर्जी के विचारों का जिक्र है. हालांकि प्रणब मुखर्जी के कांग्रेस में रहते हुए कभी सार्वजनिक रूप से इन विचारों को उनके द्वारा नहीं देखा गया था. कुछ आदिवासी क्षेत्रों के स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने पहले इस मुद्दे पर अपने विचार जरूर व्यक्त किए थे.
भागवत ने कहा कि संघ ने हमेशा आदिवासियों के धर्म परिवर्तन को लेकर विरोध जताया है, खासकर जब इसे बाहरी प्रभाव या लालच के तहत किया जाता है. संघ परिवार के संगठनों ने कई दशकों से आदिवासी क्षेत्रों में एक अभियान चलाया है, ताकि धर्म परिवर्तन के बाद आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से वंचित किया जा सके.
इतना ही नहीं भागवत ने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति और धर्म के मूल तत्व भगवान राम, कृष्ण और शिव से जुड़े हुए हैं. उन्होंने यह उद्धारण देते हुए कहा कि भारत का धर्मनिरपेक्षता का दृष्टिकोण कोई विदेशी विचार नहीं है, बल्कि यह भारत की 5000 साल पुरानी सभ्यता का हिस्सा है. फिलहाल भागवत का बयान चर्चा में है, खासकर जब विपक्ष ने चुनावों में आदिवासी अधिकारों और जाति जनगणना के मामले को उठाया है.