Kashmir News: कश्मीर में ठंड से बचने के पारंपरिक तरीकों की मांग बढ़ गई है. बाजारों में लकड़ी और कोयले की बिक्री में इजाफा हो रहा है. श्रीनगर के निवासियों का कहना है कि बिजली कटौती और ठंड ने उन्हें अपने पुराने उपायों पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है.
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Kashmir cold wave: कश्मीर घाटी में ठंड ने इस साल 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. श्रीनगर में शनिवार की रात का तापमान -8.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जो 1974 के बाद दिसंबर की सबसे ठंडी रात रही. कश्मीर में 40 दिनों तक चलने वाले शीतकालीन दौर ‘चिल्लई कलां’ ने पूरी घाटी को जमने पर मजबूर कर दिया है. डल झील की सतह जमने लगी है, और कई इलाकों में पानी की पाइपलाइन भी बर्फ में तब्दील हो गई है.
गहरी ठंड के साथ-साथ बिजली कटौती ने कश्मीर के निवासियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. श्रीनगर और आसपास के इलाकों में बार-बार बिजली जाने से लोग अपने घरों को गर्म रखने के लिए पारंपरिक तरीकों जैसे कांगड़ी (हाथ से पकड़ा जाने वाला मिट्टी का अंगीठी) और लकड़ी से बने हमाम पर निर्भर हो रहे हैं. आधुनिक इलेक्ट्रिक उपकरण ठंड में बेकार साबित हो रहे हैं.
लकड़ी और कोयले की बिक्री में इजाफा
कश्मीर में ठंड से बचने के पारंपरिक तरीकों की मांग बढ़ गई है. बाजारों में लकड़ी और कोयले की बिक्री में इजाफा हो रहा है. श्रीनगर के निवासियों का कहना है कि बिजली कटौती और ठंड ने उन्हें अपने पुराने उपायों पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है. जलाने वाली लकड़ी का व्यवसाय करने वाले व्यापारियों का कहना है कि ठंड के इस मौसम में उनकी बिक्री काफी बढ़ गई है.
मौसम विभाग के अनुसार, 'चिल्लई कलां' 31 जनवरी तक जारी रहेगा, लेकिन इसके बाद भी ठंड का असर खत्म नहीं होगा. अगले 20 दिनों तक ‘चिल्लई खुर्द’ और उसके बाद 10 दिनों की ‘चिल्लई बच्चा’ कश्मीर में ठंड का कहर जारी रखेंगे. बिजली आपूर्ति में सुधार के दावों के बावजूद, घाटी के निवासियों को बार-बार बिजली कटौती से राहत मिलने की उम्मीद कम है. एजेंसी इनपुट Photo: AI