Zee News Ground Report Joshimath : थोड़ा है, बहुत की जरूरत है...धंसते जोशीमठ की मॉनसून ने बढ़ाई टेंशन, दरकते पहाड़ पर कैसे हैं हालात?
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Zee News Ground Report Joshimath : थोड़ा है, बहुत की जरूरत है...धंसते जोशीमठ की मॉनसून ने बढ़ाई टेंशन, दरकते पहाड़ पर कैसे हैं हालात?

Joshimath News: सीबीआरआई रुड़की की टीम की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जांच के दौरान 300 मिलीमीटर तक चौड़ी और 3 से 4 मीटर तक गहराई की करीब 40 दरारें पाई गई और इन्हीं दरारों के आसपास अधिकांश भवनों को नुकसान हुआ है. करीब 700 भवनों की मरम्मत की जानी है.

Zee News Ground Report Joshimath : थोड़ा है, बहुत की जरूरत है...धंसते जोशीमठ की मॉनसून ने बढ़ाई टेंशन, दरकते पहाड़ पर कैसे हैं हालात?

Joshimath Crisis: मॉनसून के आते ही जोशीमठ की चिंता फिर से बढ़ने लगती है. इस बार मॉनसून में ज्यादा बारिश की संभावना बताई जा रही है. ऐसे में जोशीमठ को लेकर चिंता बढ़ने लगी है. जोशीमठ को लेकर क्या कुछ किया जा रहा है, चलिए जानते हैं. भूधंसाव के बाद जांच में पहाड़ के भीतर करीब 40 दरारें देखी गई थीं. साल 2023 में जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में अचानक जोशीमठ के पहाड़ों के भीतर से पानी का फव्वारा फूटने के साथ ही सैकड़ों भवनों की दीवारों और फर्श पर दरारें आ गई. किसी तरह मकान खाली कराए गए। पहाड़ के लिए खतरा बने होटलों को ढहाकर मलबा हटाया गया.

डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी को सौंपी रिपोर्ट

विभिन्न तकनीकी संस्थानों के वैज्ञानिकों की टीम ने जांच के बाद रिपोर्ट नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी को सौंपी, जिसमें पहाड़ की स्थिरता के लिए जल्द से जल्द बुनियादी काम शुरू करने की सिफारिश की गई. सीबीआरआई रुड़की की टीम की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जांच के दौरान 300 मिलीमीटर तक चौड़ी और 3 से 4 मीटर तक गहराई की करीब 40 दरारें पाई गई और इन्हीं दरारों के आसपास अधिकांश भवनों को नुकसान हुआ है. करीब 700 भवनों की मरम्मत की जानी है.

रिपोर्ट के अनुसार, अतिसंवेदनशील भवनों में दरारों की चौड़ाई 5 मिलीमीटर से अधिक थी. जबकि मध्यम रूप से संवेदनशील भवनों में आई दरारें दो से पांच मिलीमीटर तक चौड़ी थी. भूधंसाव के दौरान जोशीमठ में 2300 से अधिक भवनों का सर्वे करने वाले सीबीआरआई वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि जोशीमठ में 14 पॉकेट ऐसी हैं, जहां पर बने करीब 800 जर्जर भवन रेड श्रेणी में हैं, जिन्हें ध्वस्त कर मलबा पूरी तरह साफ करना है. ताकि पहाड़ के ऊपर का भार कम हो सके. यहां के लोगों का पुनर्वास अन्य जगहों पर किया जाना है. इसके अलावा करीब 700 भवनों की मरम्मत की जानी है।

पिछले साल की उन तस्वीरों को शायद ही कोई भूला होगा, जब जोशीमठ दरक रहा था, पहाड़ टूट रहे थे. लोग बेबस थे और प्रशासन कोशिश कर रहा था कि सब कुछ संभल जाए. मॉनसून के दस्तक देने के साथ ही एक बार फिर चिंता बढ़ गई है. क्योंकि जोशीमठ में अभी भी दरारें नहीं भरी हैं. जर्जर निर्माण के दरकने का डर लगातार बना हुआ है. आज ZEE NEWS की टीम एक बार फिर ग्राउंड जीरो पर मौजूद है. उत्तराखंड के चमोली में स्थित जोशीमठ बद्रीनाथ धाम यात्रा का सबसे प्रमुख पड़ाव है. लेकिन अब जब देवभूमि में मॉनसून कदम रख चुका है तो इस बार भी जोशीमठ को लेकर चिंता बढ़ रही है. प्रशासन का दावा है कि इस बार वो किसी भी विपरित हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

जल्द होगा लोगों का विस्थापन

आपदा प्रबंधन के सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा, शासन में वित्त विभाग में अभी यह पेंडिंग है और जल्द ही इसको लेकर जियो जारी किया जाएगा. इसके बाद जोशीमठ के लोगों का विस्थापन किया जाएगा. प्रशासन को उम्मीद है कि अगले 15-20 दिन में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट शासन को भी सौंप दी जाएगी.

जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है जिसमें आपदा प्रबंधन, आईटीबीपी पर्यटन और अन्य विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं. मॉनसून के दौरान अगर जोशीमठ में घरों या जमीन की दरारें बढ़ती है तो कंट्रोल रूम इस पर नजर रखेगा. इसके लिए जोशीमठ के हर हिस्से में जिओ फिजिकल इन्वेस्टिगेशन किया गया है.
 
सिन्हा ने कहा, जोशीमठ के ऐसे 300 परिवार जिनके घर पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके थे, जो खतरे की जद में थे उनको मुआवजा दिया गया है. उनके घर खाली कराए गए हैं उनको दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है. जोशीमठ के पास ढाक गांव प्री फैब्रिकेटेड घर बनाए गए हैं जो अभी खाली है जरूरत पड़ने पर कुछ लोगों को वहां भी शिफ्ट कर सकते हैं.

जोशीमठ को लेकर कई विशेषज्ञों ने बताया की ड्रेनेज इसके भू धंसाव का बड़ा कारण हो सकता है ऐसे में ड्रेनेज को लेकर कई एक्सपर्ट काम कर रहे हैं. उम्मीद है इस बार जोशीमठ की दरारें लोगों को आहत नहीं करेंगी. 

(सुरेंद्र डसीला की रिपोर्ट)

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