Organ transplant in india: सरकार ने अंग प्रत्यारोपण यानी Organ Transplant को लेकर कई नियमों में बदलाव किए हैं. आपको बता दें कि 65 साल से अधिक के व्यक्ति को पहले Organ Transplant की लिस्ट में शामिल ही नहीं किया जाता था लेकिन अब ऐसा हो सकेगा.
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India में Organ Transplant का इंतजार कर रहे लोगों की वेटिंग लिस्ट काफी लंबी है. NOTTO यानी National Organ and Tissue Transplant Organisation 65 साल से अधिक के व्यक्ति का नाम वेटिंग लिस्ट में दर्ज ही नहीं करती थी. ऐसा माना जाता था कि किसी युवा को अंग प्रत्यारोपण से ज्यादा फायदा होगा. लिहाजा बुजुर्गों को शामिल करके पहले से लंबी वेटिंग लिस्ट को और लंबा क्यों किया जाए लेकिन अब सरकार ने ये प्रावधान बदल दिया है. अब 65 साल से ज्यादा का व्यक्ति भी सरकार की वेटिंग लिस्ट में जगह पा सकेगा. वजह ये भी है कि कई बार किसी बुजुर्ग के डोनेट किए गए अंग को किसी युवा को लगा पाना मुमकिन ही नहीं हो पाता था. ऐसे में वो अंग बेकार जाता था क्योंकि NOTTO की सेंट्रल लिस्ट में तो बुजुर्ग मरीज शामिल ही नहीं था.
क्या है Cadever Donation?
भारत में अंगदान दो तरह से किया जाता है. पहला मरने के बाद अंगदान करना और दूसरा जिंदा रहते हुए परिवार के किसी सदस्य के लिए अंगदान करना. मरने के बाद जो अंगदान किया जाता है उसे मेडिकल भाषा में Cadever Donation कहा जाता है. कैडेवर यानी मुर्दा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 9 जनवरी को राज्यों के संबंधित विभागों से मीटिंग करके अंगदान और Transplant के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. हालांकि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है लिहाजा ये बदलाव राज्यों के लिए अभी प्रस्ताव के तौर पर दिए गए हैं. इन्हें मानने के लिए राज्यों को बाध्य नहीं किया जा सकता है. राज्यों को इन सुझावों पर अपना जवाब देना है. नए बदलावों के मुताबिक Organ Transplant की वेटिंग लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए कोई फीस नहीं लगेगी. पहले कुछ राज्य नाम दर्ज करवाने के बदले में 5 से 10 हजार रुपए शुल्क लेते थे.
सेंट्रलाइज्ड होगा Organ Transplant
कई राज्य अपने यहां के नागरिक को बाकियों के मुकाबले प्राथमिकता देते थे लेकिन अब ये सेंट्रलाइज्ड हो सकेगा यानी केरल मे ऑर्गन मौजूद होने पर महाराष्ट्र के व्यक्ति को भी उसे लगाया जा सकेगा. भारत सरकार ने डोमिसाइल की जरूरत को हटाए जाने का निर्णय लिया है और सभी राज्यों के इसके बारे में सूचित किया गया है. अब जरूरतमंद व्यक्ति देश के किसी भी राज्य में जाकर ऑर्गर्न प्राप्ति के लिए रजिस्टर कर सेकेगा और ट्रांस्प्लांट भी करवा पाएगा. बच्चों के स्कूल के सिलेबस में अंगदान के बारे में पढ़ाया जाएगा जिससे जागरुकता बढ़े.
भारत में धीमी रफ्तार से बढ़ रहा है Organ Transplant
हालांकि पहले के मुकाबले भारत में Organ Transplant ज्यादा किए जा रहे हैं. आपको बता दें कि साल 2022 में जीवित व्यक्ति से लेकर 9834 किडनी ट्रांसप्लांट किए गए. वहीं साल 2013 में ये संख्या 3495 थी. साल 2022 में मृत व्यक्ति के डोनेशन से 1589 किडनी ट्रांसप्लांट हुए, जबकि 2013 में केवल 542. लिवर ट्रांसप्लांट की बात करें तो भारत में साल 2022 में जीवित व्यक्ति के लिवर से 2957 लिवर ट्रांसप्लांट हुए जो 2013 में केवल 658 थे. 2022 में मृत व्यक्ति के लिवर से 761 ट्रांसप्लांट हो सके जबकि 2013 में पूरे भारत में मृत व्यक्ति के लिवर से केवल 240 लिवर ट्रांसप्लांट हो सके थे. हार्ट ट्रांसप्लांट की बात करें तो साल 2022 में ये संख्या 250 वहीं साल 2013 में केवल 30 थी. साल 2022 में 138 Lung Transplant किए गए वहीं 2013 में इनकी संख्या सिर्फ 23 थी. साल 2022 में 24 पैंक्रियाज वहीं साल 2013 में यह संख्या शून्य थी.
ज्यादा बड़ी है वेटिंग लिस्ट वालों की संख्या
भारत में साल 2022 में मृत लोगों के ऑर्गन से कुल 2765 ट्रांसप्लांट संभव हुए. ये संख्या 2013 मात्र 837 थी. वहीं जीवित लोगों के मामले में भी बदलाव हुए है. 2022 में 12791 जबकि 2013 में 3153 ट्रांसप्लांट हो सके थे. इन सबको जोड़कर देखें तो साल 2022 में ये जो संख्या 15561 थी वहीं 2013 में 4990 ट्रांसप्लांट हो सके थे. लेकिन ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे लोगों की वेटिंग लिस्ट इससे ज्यादा बड़ी है. आज भी भारत में डिमांड सप्लाई का फासला सबसे ज्यादा है.
ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे लोगों की अंतहीन लिस्ट
हर साल 2 लाख Cornea की जरूरत होती है लेकिन सिर्फ 50 हजार ही दान किए जाते हैं. Kidney के मामले में ये अंतर और भी ज्यादा है. हर साल 2 लाख Kidneys की डिमांड होती है लेकिन मिलती सिर्फ 1684 है. देश में Heart की जरूरत वाले हर 147 लोगों में सिर्फ 1 को ही ये Organ मिलता है. Liver के मामले में हर 70 में से 1 व्यक्ति की डिमांड ही पूरी होती है. देश में हर 10 लाख लोगों में 1 व्यक्ति भी अंगदान नहीं करता है जबकि अमेरिका में हर 10 लाख लोगों में 32 और स्पेन में 46 लोग Organ Donate करते हैं.
आंखों देखी कहानी
दिल्ली के एक गरीब परिवार से आने वाले सोनू कुमार झा ने कहा कि वो नोएडा में 10 हजार रुपए महीने की नौकरी करते हैं. घर में दो बच्चे, पत्नी और मां-बाप की जिम्मेदारी है. एक साल पहले इन्हें डॉक्टर ने बताया कि इनका लिवर खराब है और ट्रांसप्लांट करना होगा, लेकिन ना पैसे हैं और ना कोई डोनर.
ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीज
प्रधानमंत्री से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक सभी से ये टि्वटर पर गुहार लगा चुके हैं कि सोनू ने वेटिंग लिस्ट में अपना नाम ही नहीं जुड़वाया है कि अगर यहां नंबर आ भी गया तो प्राइवेट अस्पताल में ट्रांसप्लांट करवाने के लिए 20 लाख रुपए कहां से आएंगे और भारत में ट्रांसप्लांट करने वाले चुनिंदा सरकारी अस्पतालों की वेटिंग लिस्ट में नाम आते आते ना जाने कितने साल बीत जाएंगे.
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