2004 में तमिलनाडु के अंदर आई एक भयंकर सुनामी में एक बच्ची को उस समय नागपट्टिनम के जिला कलेक्टर रहे राधाकृष्णन मलबे से उठाकर लाए थे. वही बच्ची अब पढ़ लिखकर नर्स बन गई है और अपनी अब उसने शादी भी कर ली है.
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तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में 2004 की भीषण सुनामी के दौरान बचाई गई मीना की शादी में आईएएस अधिकारी डॉ जे राधाकृष्णन ने विशेष भूमिका निभाई. उस समय नागपट्टिनम के जिला कलेक्टर रहे राधाकृष्णन ने बचाव और राहत कार्यों का नेतृत्व किया था. इसी दौरान उन्होंने मलबे के पास एक छोटी बच्ची के रोने की आवाज सुनी और उसे सुरक्षित बाहर निकाला और यही बच्ची मीना थी, जिसे बाद में अन्नई सत्या सरकारी बालगृह में रखा गया.
बालगृह में रहते हुए मीना को न सिर्फ सरकार की मदद मिली, बल्कि राधाकृष्णन और उनकी पत्नी कृतिका ने भी उसका पूरा ध्यान रखा. वे उसके लिए मार्गदर्शक बन गए और हर महत्वपूर्ण पड़ाव पर उसका साथ दिया. मीना की शिक्षा से लेकर नर्स बनने तक, राधाकृष्णन हमेशा उसकी प्रगति पर नजर रखते रहे. यहां तक कि नागपट्टिनम से शिफ्ट होने के बाद भी उन्होंने मीना से संपर्क बनाए रखा और उसकी देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ी.
सालों बाद जब मीना ने शादी करने का फैसला किया, तो राधाकृष्णन इस खुशी के मौके पर नागपट्टिनम पहुंचे. उन्होंने श्री नेल्लुक्कड़ई मरिअम्मन मंदिर में हुए इस विवाह समारोह को खुद अपने हाथों से संपन्न कराया. शादी में बालगृह में रहने वाले कई अन्य बच्चे भी शामिल हुए, जो मीना के साथ बड़े हुए थे.
इस खास मौके पर राधाकृष्णन ने इंस्टाग्राम पर मीना की शादी की तस्वीरें साझा कीं. उन्होंने लिखा,'मीना और मणिमारन की शादी में शामिल होकर बहुत खुशी हुई. सुनामी के बाद हमारी यात्रा हमेशा उम्मीद से भरी रही है. मीना और सौम्या इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं.' उन्होंने मीना की बचपन की तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें वह छोटी बच्ची के रूप में उनकी गोद में दिख रही है.
इस कहानी ने इंटरनेट पर लाखों लोगों का दिल जीत लिया. यूजर्स ने राधाकृष्णन की दरियादिली की सराहना की और उन्हें 'सच्चा नायक', 'मानवता की मिसाल' और 'प्रेरणास्रोत' जैसे शब्दों से पुकारा जा रहा है. एक यूजर ने लिखा,'आपने जो किया वह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. यह बहुत प्रेरणादायक है' दूसरे यूजर ने लिखा,'आपने दिखाया कि असली हीरो कौन होते हैं. सलाम'