DK Shivakumar to be CM next: कर्नाटक को नया सीएम बनने मिलने वाला है. कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इसके संकेत दे दिए हैं. जानें पूरा मामला, आखिर क्यों कर्नाटक में बदल जाएंगे सीएम, क्या है इसके पीछे की कहानी.
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How DK Shivakumar as next CM: कर्नाटक में नए मुख्यमंत्री को लेकर एक बार फिर चर्चा है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसके संकेत दे दिए हैं. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे या कोई और? इस बात की मुहर तो अभी नहीं लगी है, लेकिन अटकलें तेज हैं. जाने पूरा मामला. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में संभावित नेतृत्व परिवर्तन के बारे में बढ़ती अटकलों के बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को पहली बार संकेत दिया कि उनके और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार के बीच बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनने की व्यवस्था है.
सीएम सिद्धारमैया के बयान के मायने?
नेतृत्व परिवर्तन पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "आखिरकार, आलाकमान (नेतृत्व परिवर्तन पर) या हर चीज के बारे में फैसला लेगा." यह सिद्धारमैया के अब तक के बयानों से एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है, जहां उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने पर जोर दिया था. शिवकुमार ने हाल ही में कहा था कि वह "अपना कर्तव्य निभाएंगे"; नेतृत्व पर कोई भी निर्णय पार्टी पर निर्भर करता है.
डीकेएस, जारकीहोली के समर्थकों ने सीएम पद के लिए ‘प्रार्थना’ की
सिद्धारमैया का गुरुवार का बयान 50-50 सत्ता-साझाकरण फॉर्मूले से उपजा है, जिसकी चर्चा 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी जीत के तुरंत बाद व्यापक रूप से हुई थी. उस समय, शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद के लिए जोर दिया था, जिसके बाद पार्टी ने हस्तक्षेप किया और कथित तौर पर 30 महीने की सत्ता-साझाकरण व्यवस्था का प्रस्ताव रखा.
30-30 महीने की सत्ता का हुआ था समझौता
सिद्धारमैया इस साल के अंत तक अपने कार्यकाल के 30 महीने पूरे करने वाले हैं. दो प्रमुख उम्मीदवारों - शिवकुमार और लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली - के समर्थक अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए मुख्यमंत्री पद की सुरक्षित वापसी के लिए मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आयोजित कर रहे हैं.
खेमों के बीच झगड़ा?
खेमों के बीच झगड़े के बारे में सिद्धारमैया ने कहा, "आखिरकार आलाकमान ही फैसला करेगा." उन्होंने एससी/एसटी कल्याण कार्यक्रमों के लिए आवंटित धन के दुरुपयोग के भाजपा के आरोपों को भी संबोधित किया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कांग्रेस सरकार पर धन का दुरुपयोग करने और इन समुदायों की चिंताओं को दूर करने में विफल रहने का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री ने आरोपों को “राजनीति से प्रेरित” बताकर खारिज कर दिया.
2008 में सिद्धारमैया ने थामा था कांग्रेस का हाथ
सिद्धारमैया साल 1983 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कर्नाटक विधानसभा में चुनकर आए. 1994 में जनता दल सरकार में रहते हुए कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने देवगौड़ा के साथ कुछ विवादों के चलते जनता दल का साथ छोड़ दिया और साल 2008 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस में शामिल होने से पहले सिद्धारमैया जनता दल के कई गुटों के सदस्य रह चुके थे.