घर में सरस्वती और लक्ष्मी पूजा करते हो लेकिन... सुप्रीम कोर्ट ने किसे लगाई फटकार, जानें पूरा मामला
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घर में सरस्वती और लक्ष्मी पूजा करते हो लेकिन... सुप्रीम कोर्ट ने किसे लगाई फटकार, जानें पूरा मामला

कैसे इंसान हो, तुम्हें अपनी बेटियों की फिक्र नहीं है? ऐसे निर्दयी इंसान... कुछ इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने एक शख्स को जमकर फटकार लगाई. आईपीसी की धारा 498A के तहत दोषी ठहराए गए शख्स की कहानी सुनकर सु्प्रीम कोर्ट के जज भी हैरान रह गए.

घर में सरस्वती और लक्ष्मी पूजा करते हो लेकिन... सुप्रीम कोर्ट ने किसे लगाई फटकार, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के एक केस में सजायाफ्ता झारखंड के हजारीबाग निवासी योगेश्वर साव की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को तल्ख टिप्पणी की.  जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने पत्नी को प्रताड़ित करने और बेटियों की उपेक्षा करने पर शख्स को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, 'आप किस तरह के आदमी हैं, जो अपनी बेटियों की भी परवाह नहीं करते? हम ऐसे निर्दयी व्यक्ति को अपनी अदालत में कैसे आने दे सकते हैं. सारा दिन घर पर कभी सरस्वती पूजा और कभी लक्ष्मी पूजा... और फिर ये सब.'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अपीलकर्ता अपनी बेटियों को कृषि भूमि हस्तांतरित करने के लिए सहमत होता है, तभी उसे राहत देने का कोई आदेश पारित किया जाएगा. कटकमदाग गांव के निवासी योगेश्वर साव उर्फ डब्लू साव को अपनी पत्नी पूनम देवी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने के मामले में हजारीबाग जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने धारा 498-ए के तहत 2015 में ढाई साल की सजा सुनाई थी. अदालत ने उन्हें 50,000 रुपए के दहेज की मांग को लेकर अपनी पत्नी को प्रताड़ित करने का दोषी पाया था.

योगेश्वर साव और पूनम देवी की शादी 2003 में हुई थी. इसके बाद उन्हें दो बेटियां हुईं. पूनम देवी ने पति पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए 2009 में एफआईआर दर्ज कराई थी.

उन्होंने आरोप लगाया था कि पति ने ऑपरेशन करवाकर उनका गर्भाशय निकलवा दिया और दूसरी शादी कर ली. पूनम देवी ने खुद और बेटियों के भरण-पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में अलग से अर्जी दायर की थी.

इस पर कोर्ट ने योगेश्वर साव को आदेश दिया था कि वह पत्नी को हर महीने दो हजार और बेटियों के बालिग होने तक उन्हें प्रतिमाह एक हजार रुपए की राशि भरण-पोषण के लिए भुगतान करे.

योगेश्वर साव ने जिला अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने सितंबर 2024 में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन गर्भाशय निकलवाने और दूसरी शादी के आरोपों के संबंध में कोई सबूत नहीं मिलने पर सजा को घटाकर डेढ़ साल कर दिया. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उस पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया. इसके बाद योगेश्वर साव ने दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. (आईएएनएस)

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