'मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं ‌की वजह से हूं', पिता की पुण्यतिथि पर भावुक हो गए बीजेपी सांसद संजय जायसवाल
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'मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं ‌की वजह से हूं', पिता की पुण्यतिथि पर भावुक हो गए बीजेपी सांसद संजय जायसवाल

BJP MP Sanjay Jaiswal News: संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक नोट में जिक्र किया कि उन्होंने अपने मित्र डॉक्टर रमेश चंद्रा को एक टेलीग्राम भेज दिया कि मैं अमेरिका नहीं आ रहा हूं और अपने निर्णय पर हमेशा फक्र किया. उन्होंने लिखा कि एमडी मेडिसिन करते हुए पटना मेडिकल कॉलेज में उन्होंने  डॉक्टरों के अधिकार के लिए हड़ताल किया. 

बीजेपी सांसद संजय जायसवाल

BJP MP Sanjay Jaiswal: पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद संजय जायसवाल के पिता की आज पुण्यतिथि है. इस अवसर पर संजय जायसवाल पिता को याद कर भावुक हो गए. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा. पोस्ट में बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने लिखा कि आज मेरे पिताजी स्वर्गीय डॉक्टर मदन प्रसाद जायसवाल जी की पुण्यतिथि है. मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं ‌के आशीर्वाद से हूं. जीवन में अनेक बच्चों की तरह मेरे हीरो पिताजी ही थे. इसीलिए चाहे पटना मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन हो या फिर मेडिसिन में ही एमडी करना या अच्छी खासी कमाई होने के बावजूद भी अगर मैंने एमजेके अस्पताल में स्पेशलिस्ट कंसलटेंट का काम किया तो केवल इसलिए किया क्योंकि उन्होंने एमजेके अस्पताल में नौकरी की थी.

संजय जायसवाल ने आगे लिखा कि उन्हीं की तरह मैंने जितने दिन अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक की सुविधा दी किसी दिन भी 30 सेकंड के लिए भी आउटडोर या इमरजेंसी में देर से नहीं पहुंचा. पिताजी बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज परंतु बागी स्वभाव के थे. नवीं क्लास में पहली बार केआर हाई स्कूल में आंदोलन चलाया कि सरस्वती पूजा स्कूल में होनी चाहिए. पुलिस के दुरुपयोग और एफआईआर के बावजूद नहीं झुके और इसी का नतीजा हुआ कि केआर स्कूल ने समझौता किया कि स्कूल से 100 मीटर दूर केआर स्कूल के बच्चे सरस्वती पूजा मनाएंगे.

बीजेपी सांसद ने पिता को याद करते हुए एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने लिखा कि एमडी मेडिसिन करते हुए पटना मेडिकल कॉलेज में उन्होंने  डॉक्टरों के अधिकार के लिए हड़ताल किया. तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बीरचंद पटेल जी को यह बात बहुत बुरी लगी और उनके कारण मेडिसिन के हेड ने पिताजी को धमकाया कि अगर तुमने हड़ताल खत्म नहीं किया तो तुम्हें फेल करा देंगे. फिर भी हड़ताल जारी रही और मंत्री जी को झुकना पड़ा. संजय जायसवाल ने पूरी कहानी बताई. उन्होंने आगे लिखा कि साल 1965 में  USMLE परीक्षा क्लियर कर शिकागो में नौकरी मिल गई .जब वह बेतिया मां को लेने आए तो दादी ने कहा कि इसीलिए तुमको हम डॉक्टर बनाए थे कि तुम अमेरिका जाकर चिकित्सा सेवा दो . 

संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक नोट में जिक्र किया कि उन्होंने अपने मित्र डॉक्टर रमेश चंद्रा को एक टेलीग्राम भेज दिया कि मैं अमेरिका नहीं आ रहा हूं और अपने निर्णय पर हमेशा फक्र किया. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में जब चिकित्सकों की कमी पड़ी तो श्रीनगर जाकर 5 महीने आर्मी के लिए काम किया. साल 1992 में सागर पोखरा मंदिर को उज्जैन टोला के अल्पसंख्यककों ने पूर्ण रूप से अपनी दुकानें बनाकर कैप्चर कर लिया था और छठ पूजा नहीं होने दे रहे थे. पिताजी ने वहीं पर हड़ताल किया और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के साथ सभी अल्पसंख्यकों को वहां से हटाने तक आंदोलन का निर्णय लिया. 

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पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र से सांसद संजय जायसवाल ने आगे लिखा कि तत्कालीन थाना प्रभारी जो लालू यादव का दूर का रिश्तेदार था उसने पिताजी पर लाठी चार्ज किया.  वह घायल भी हुए, लेकिन उसके बाद भी अपने इलाज के लिए तब तक नहीं गए, जब तक की सभी अल्पसंख्यकों की दुकानों को हटाया नहीं गया. इसके बाद शांतिपूर्ण छठ पूजा संपन्न हुआ. अगर वह नहीं होते तो आज हम जो सागर पोखरा के मंदिर का भव्य रूप देख रहे हैं उसके बदले अल्पसंख्यकों के मकानों से किसी तरह घुसकर हिंदुओं को सागर पोखरा मंदिर में पूजा करना पड़ता. आज जब अमित गिरी को भव्य महाशिवरात्रि करते हुए देखता हूं तो दिल से संतोष होता है कि इसमें मेरे पिताजी का कितना बड़ा योगदान था.

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