भूला नहीं बिहार... वो बथानी टोला नरसंहार, अपहरण भी एक उद्योग था और 15 सालों का जंगलराज, जेडीयू ये सब क्यों याद दिला रही है?
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भूला नहीं बिहार... वो बथानी टोला नरसंहार, अपहरण भी एक उद्योग था और 15 सालों का जंगलराज, जेडीयू ये सब क्यों याद दिला रही है?

JDU Vs RJD: पिछले दिनों राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर ताबड़तोड़ हमले किए थे. अब उसके जवाब में जेडीयू ने आक्रामक तरीके से राजद पर हमला बोला है. 

बथानी टोला नरसंहार, अपहरण उद्योग और जंगलराज, जेडीयू क्यों याद दिला रही है?

Bihar Politics: जनता दल यूनाइटेड के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक के बाद एक कई ट्वीट किए गए हैं, जिसमें भूला नहीं बिहार टैगलाइन दिया गया है. इसमें लालू प्रसाद यादव के जमाने का बथानी टोला नरसंहार, अपहरण उद्योग, जंगलराज और अंत में 19 सालों का नीतीश कुमार का सुशासन दिखाया गया है. साक्षरता दल को लेकर फर्क भी दर्शाया गया है और दावा किया गया है कि कैसे नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने तरक्की के नए आयाम को छुआ है.

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आइए, सबसे पहले एक सीरिज में किए गए इन ट्वीट पर नजर डालते हैं. पहला ट्वीट है, जिसमें लिखा गया है- भूला नहीं है बिहार... 1996 का बथानी टोला नरसंहार. 

दूसरे ट्वीट में लिखा गया है- भूला नहीं है बिहार... कि कैसे 90 के दशक में सत्ता के संरक्षण में अपहरण भी एक उद्योग हुआ करता था.

तीसरे ​ट्वीट में कहा गया है- 90 के दशक के बिहार की पीड़ा से शायद ही कोई अपरिचित होगा. 15 सालों के जंगलराज में बिहार को दशकों पीछे धकेलने वालों की सच्चाई सबको पता है.

चौथे ट्वीट में लिखा गया है- फर्क साफ है... कुशासन और सुशासन का फर्क लोग जानते हैं. पिछले 19 सालों में बिहार ने जो विकास की यात्रा तय की है, वो सबको दिखाई दे रहा है. काम बोलता है, आँकड़े बोलते हैं.

बताया जा रहा है कि जेडीयू ने आधिकारिक एक्स हैंडल से ये सब ट्वीट करके एक तरह से तेजस्वी यादव को जवाब देने की कोशिश की है, जिन्होंने हाल ही में बिहार में अपराध बढ़ने के दावे करते हुए एक्स हैंडल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा था. 

जेडीयू की ओर से शेयर किए गए वीडियो में कहा गया है कि एनसीआरबी के मुताबिक अकेले 1996 में अपहरण के 1100 मामले दर्ज किए गए थे. अपहृतों में न केवल व्यापारी, बल्कि इंजीनियर और डॉक्टरों के अलावा कई अन्य नौकरीपेशा और आम आदमी भी शामिल थे. 

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विचित्र स्थिति यह थी कि इन अपराधियों को न तो पुलिस का खौफ था और न ही किसी सरकार का. पुलिस और प्रशासन के कमजोर होने की स्थिति में चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला था. भ्रष्टाचार को राजनीतिक संरक्षण भी मिल रहा था, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए थे. अपरा​धी सीधे मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करते थे. हालात इतने खराब थे कि आज भी लोग उनदिनों को याद कर सिहर जाते हैं.

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