लालू प्रसाद यादव के कुशवाहा पॉलिटिक्स से चमकेगा उपेंद्र कुशवाहा का सितारा, समझिए बिहार की राजनीति
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लालू प्रसाद यादव के कुशवाहा पॉलिटिक्स से चमकेगा उपेंद्र कुशवाहा का सितारा, समझिए बिहार की राजनीति

Bihar Politics News: पटना से लेकर दिल्ली तक के पॉलिटिकल कॉरिडोर में उपेंद्र कुशवाहा के सियासी भविष्य की चर्चा हो रही है. चर्चा इसलिए क्योंकि अभी आने वाले दिनों में बिहार में राज्यसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होना है. दोनों का नोटिफिकेशन अलग-अलग जारी होगा. ऐसे में दोनों सीट एनडीए के खाते में जाएगी.

लालू प्रसाद यादव और उपेंद्र कुशवाहा (File Photo)

Bihar Politics: बिहार विधानसभा से पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने जाति कार्ड चल दिया है. इस वजह से एनडीए खेमा में काफी हलचल शुरू हो गई है. अब सवाल उठने लगा कि क्या लालू प्रसाद यादव के कुशवाहा पॉलिटिक्स से उपेंद्र कुशवाहा का सितारा चमकेगा. आखिर बिहार की सियासत में एकाएका कुशवाहा पॉलिटिक्स चर्चा के केंद्र में आ गई है. आप इस ऑर्टिकल से समझिए बिहार की राजनीति.

दरअसल, लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने 21 जून अभय कुमार सिन्हा उर्फ अभय कुशवाहा को लोकसभा में संसदीय दल का नेता बनाया. इसके बाद फिर 24 जून को नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद का उम्मीदवार बना दिया. माना जा रहा है कि बिहार की राजनीति में लालू यादव जिस कुशवाहा कार्ड को खेलकर एनडीए का खेल बिगाड़ने में जुटे हैं. उसकी काट के लिए नीतीश कुमार ने भगवान सिंह कुशवाहा को आगे किया है.

सवाल ये कि उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा?
पटना से लेकर दिल्ली तक के पॉलिटिकल कॉरिडोर में उपेंद्र कुशवाहा के सियासी भविष्य की चर्चा हो रही है. चर्चा इसलिए क्योंकि अभी आने वाले दिनों में बिहार में राज्यसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होना है. दोनों का नोटिफिकेशन अलग-अलग जारी होगा. ऐसे में दोनों सीट एनडीए के खाते में जाएगी. एक सीट विवेक ठाकुर वाली है. दूसरी सीट मीसा भारती की. अब एनडीए में राज्यसभा सीट के लिए लॉबिंग हो रही है. 

देखिए बीजेपी और जेडीयू के लिए बिहार में कुशवाहा वोटरों को संदेश देकर साधे रखना जरूरी है. उपेंद्र कुशवाहा किन कारणों से चुनाव हारे ये तो एनडीए की समीक्षा का अंदरूनी मामला है. मगर, इसमें कोई शक नहीं है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी बिरादरी के बड़े नेता बन चुके हैं. साल 2020 के चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने अपने दम पर चुनाव लड़ा और 5 हजार से 10 हजार के आसपास वोट हर सीट पर लगभग ले लिया. मतलब साल 2020 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी जाति के वोटर को एनडीए से तोड़ दिया था.

बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी यादवों के बाद सबसे ज्यादा है. पिछड़ी जातियों में कुशवाहा 4 फीसदी के साथ दूसरी सबसे बड़ी जाति है. बीजेपी ने किसी कुशवाहा को लोकसभा में टिकट नहीं दिया था. बिहार से कोई कुशवाहा केंद्र में मंत्री भी नहीं बना है. जबकि बीजेपी ने कुशवाहा वोटरों को साधने की मंशा से ही सम्राट चौधरी को पहले पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर सरकार बनी तो डिप्टी सीएम की कुर्सी भी दे दी. 

बावजूद इसके लोकसभा चुनाव में एनडीए के कुशवाहा कार्ड पर लालू का कुशवाहा कार्ड भारी पड़ गया और जगह जगह कुशवाहा वोटर टूट गया. बिहार में कुशवाहा जाति के वोटरों को एनडीए का परंपरागत वोटर माना जाता रहा है. नीतीश कुमार ने कुर्मी और कुशवाहा वोट बैंक के दम पर ही अपना सियासी आधार मजबूत किया, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में ज्यादा टिकट का दांव खेलकर लालू ने कुशवाहा वोटर को तोड़ दिया. 

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अब अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कुशवाहा जाति को साधना एनडीए के लिये सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. ऐसे में भगवान सिंह कुशवाहा एमएलसी बन गये तो उपेंद्र कुशवाहा किसके कोटे से राज्यसभा जाएंगे इसको लेकर मामला उलझ सकता है. वैसे सूत्र बता रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा जाएंगे ये तय लग रहा है. अब किसके कोटे से जाएंगे ये देखना होगा?

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