Bihar Politics: दिल्ली से नीतीश कुमार खाली हाथ लौट आए, 'खबरों का खजाना' लेकर आए
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Bihar Politics: दिल्ली से नीतीश कुमार खाली हाथ लौट आए, 'खबरों का खजाना' लेकर आए

Nitish Kumar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली से लौट आए हैं और अब वे अपने काम पर लग जाएंगे पर उनके जाने और आने के बाद खबरों का एक तरह से सैलाब आएगा. नाराजगी की खबरें फिजा में तैरेंगी और उसके बाद शुरू होगा खंडन का दौर. 

Bihar Politics: दिल्ली से नीतीश कुमार खाली हाथ लौट आए, 'खबरों का खजाना' लेकर आए

Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 फरवरी को दिल्ली के दौरे पर गए थे और 17 फरवरी को दोपहर तक लौट भी आए. नीतीश कुमार दिल्ली गए तो थे पर्सनल सिक्योरिटी अफसर विक्रम परवीर सिंह की बेटी की शादी में शिरकत करने, लेकिन राजनीतिक बैठकों में भी उनके शामिल होने की उम्मीद थी. अब चूंकि वे लौट आए हैं और बिना पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिले लौटे हैं तो अब एक खबर हवा में तैरेगी. वो खबर मुख्यमंत्री के नाराज होने की खबर होगी. इस खबर से जोड़कर और न जाने कितनी खबरें बनेंगी. पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात होती तो एक खबर बनती, लेकिन अब बिना मुलाकात के न जाने कितनी खबरें बनेंगी. जितने खबरनवीस, उतनी ही तरीके की खबरें. बिहार एनडीए में टूट की खबरें तो अब आम बात हो गई है. रोजाना इस तरह की खबरें अखबारों, डिजिटल मीडिया और टीवी चैनलों की प्राइम टाइम का हिस्सा बनती हैं. 

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात नहीं हुई, कोई बात नहीं हुई. अब यहां से निकलेगी नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें और तार तोड़े जाएंगे अमित शाह के उस बयान से, जिसमें उन्होंने बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चुनने को लेकर जो बात कही थी. इसके अलावा वक्फ बोर्ड की रिपोर्ट का भी हवाला दिया जाएगा. नाराजगी की खबरें देने वाले यह भूल जाएंगे कि इस समय न तो मकर संक्रांति का समय है और न ही इफ्तार पार्टी का. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अकसर इन्हीं दोनों मौकों पर अपना नजरिया बदलते रहे हैं और उसके साथ ही बिहार की राजनीति को भी 360 डिग्री पर घुमा देते हैं.

खैर, अब खबरें टाइप हो रही होंगी, स्क्रिप्ट पर काम शुरू हो चुका होगा, शाम के प्राइम टाइम डिबेट के लिए गेस्ट कोआर्डिनेशन का काम भी शुरू हो चुका होगा, गेस्ट भी तय कर लिए गए होंगे. अखबारों में आर्टिकल लिखने वाले नीतीश कुमार की नाराजगी के किस्से पुराने अखबारों की फाइल में खंगाल रहे होंगे, ताकि उनकी अगले दिन छपने वाली आर्टिकल सारगर्भित लगे. जिस नीतीश कुमार के इंडिया ब्लॉक से एनडीए में लौटने के बाद लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा बदल गई, उस नीतीश कुमार के दिल्ली आने और किसी से न मिलने पर इतनी खबरें और कवायद तो बनती हैं. 

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राजद की ओर से तेजस्वी यादव और उनकी टीम मीडिया में बयान देगी और यह जताने की कोशिश करेगी कि पीएम मोदी और गृह मंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समय नहीं दिया. इसे बिहार की अस्मिता से भी जोड़ा जाएगा. किसी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यक्रम क्या था, वे दिल्ली क्यों गए थे, उनके कार्यक्रम में किससे मिलना तय हुआ था और किससे नहीं, लेकिन माहौल पूरा बनाया जाएगा. चुनावी साल है तो जितनी महफिल लूटना है लूटने की कोशिश की जाएगी. 

नीतीश कुमार इस साल की शुरुआत में ही न्यू ईयर के मौके पर दिल्ली आए थे और उनके कार्यक्रम में पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के परिजनों से मुलाकात तय था. इसके अलावा उनका कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था. पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के परिजनों से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली से पटना लैंड कर गए और हवा के झोंकों के साथ पटना की फिजा में उनकी नाराजगी की खबरों ने स्थान बना लिया था. ताबड़तोड़ खबरें आने लगीं. क्यों नाराज हैं, कैसे नाराज हैं, कब से नाराज हैं, किस बात से नाराज हैं, अब नाराजगी कैसे दूर होगी? वगैरह-वगैरह.

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तब लालू प्रसाद यादव ने एक बयान दे दिया था कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में आते हैं तो वह आगे बढ़कर स्वागत करेंगे. लालू प्रसाद यादव ने यह भी कह दिया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गठबंधन बदलने का जो काम किया है, उसको वे माफ कर देंगे. इससे नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने की खबरों को हवा मिली. हालांकि तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद यादव के इस बयान को तवज्जो नहीं दी और यह भी कह दिया कि अब महागठबंधन में नीतीश कुमार की पार्टी की वापसी नहीं हो सकती. जेडीयू के प्रवक्ताओं और नेताओं ने भी आगे बढ़कर महागठबंधन में जाने की खबरों का खंडन कर दिया था. खुद सीतामढ़ी में नीतीश कुमार ने भी प्रगति यात्रा के दौरान यह माना था कि महागठंधन में जाना उनकी गलती थी और दोबारा उधर जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. इस बार भी ऐसा ही कुछ होगा तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

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