70 सीटों पर दावा ठोक रही कांग्रेस पर लालू-तेजस्वी इतने पर ही निपटाने की सोच रहे, क्या दबाव में आएगा आलाकमान?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2646215

70 सीटों पर दावा ठोक रही कांग्रेस पर लालू-तेजस्वी इतने पर ही निपटाने की सोच रहे, क्या दबाव में आएगा आलाकमान?

Bihar Chunav 2025: इसमें कोई दोराय नहीं है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार में कांग्रेस का भी एक रोल रहा है, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी पर प्रदर्शन को लेकर किसी को विश्वास नहीं हो पा रहा है. इसलिए लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव उसे ज्यादा सीटें देने के फेवर में नहीं हैं. 

70 सीटों पर दावा ठोक रही कांग्रेस पर लालू-तेजस्वी इतने पर ही निपटाने की सोच रहे, क्या दबाव में आएगा आलाकमान?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार हो गई और कांग्रेस उस हार को अपनी जीत के रूप में भुना रही है. दरअसल, आम आदमी पार्टी की हार में कांग्रेस को ऐसा अस्त्र मिल गया है, जिससे अब वह सभी क्षेत्रीय दलों को डराकर रखना चाहती है. वह अस्त्र है अलग चुनाव लड़ने का. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अलग चुनाव लड़ा और कांग्रेस ने अलग. लिहाजा, आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. अब कांग्रेस इस अस्त्र को पूरे देश में आजमाने की सोच रही है और उस पर मंथन कर रही है. कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा बदला जा रहा है. बहुत संभव है कि कांग्रेस अपने पुराने दिन वापस लाने के लिए और कुछ और नुकसान सहने की कीमत पर अपना यह अस्त्र भी चला दे, जिससे बिहार में राजद, यूपी में समाजवादी पार्टी, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस आदि दल घायल हो सकते हैं. दूसरी ओर, बिहार में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव उसे 2020 की तुलना में बहुत ही कम सीटों पर निपटाने की सोच रहे हैं.

READ ALSO: दिल्ली से जुदा है बिहार की पॉलिटिक्स,राहुल के लिए आसान नहीं होगा लालू को आंख दिखाना

दरअसल, 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी थी और केवल 19 सीटों पर उसे विजयश्री हासिल हुई थी. इस तरह उसका स्ट्राइक रेट महज 27.1 प्रतिशत ही रहा था. अगर कांग्रेस का स्ट्राइक रेट बेहतर होता तो आज महागठबंधन की सरकार होती और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होते. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव दोबारा कांग्रेस के झांसे में आएंगे या फिर अपनी गलती दोहराएंगे, इसकी उम्मीद कम दिखाई देती है. 

इस बीच कांग्रेस के पास वह अस्त्र आ गया है, जिसमें पार्टी के कुछ नेताओं को तिलिस्म दिखाई देता है. पार्टी में बिहार से लेकर दिल्ली तक ऐसी आवाज उठ रही है कि कांग्रेस गठबंधन की राजनीति छोड़कर एकला चलो की रणनीति अपनाए. ऐसे नेताओं की दलील है कि गठबंधन की राजनीति के चलते पार्टी कुछ ही सीटों पर सक्रिय रहती है और बाकी सीटों पर उसके कार्यकर्ता निष्क्रिय हो जाते हैं. यह स्थिति पार्टी के लिए नुकसानदेह है.

READ ALSO: विरोधियों को सताने लगा निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री का डर, अभी से विरोध शुरू

उधर, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस को केवल 40 सीटों पर चुनाव लड़ाने के मूड में हैं. बाकी बची 30 सीटों में से भाकपा माले को और अधिक सीटें देने की योजना है. अगर ऐसा होता है तो यह कांग्रेस के लिए जबर्दस्त झटका साबित हो सकता है. एक तरफ तो वह सहयोगी दलों के दबाव में न आने की बात कह रही है और दूसरी तरफ राजद उसकी सीटों में कटौती करने का प्लान बना रहा है. अगर ऐसा होता है तो यह महागठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं होगा.

इस बार राजद को कांग्रेस के अलावा भाकपा माले, भाकपा, माकपा और विकासशील इंसान पार्टी को एडजस्ट करना है. पिछले विधानसभा चुनाव में राजद 144 सीटों पर चुनाव में उतरा था और बाकी सीटें सहयोगी दलों में बांट दी थी. 70 सीटों पर कांग्रेस, 19 सीटों पर भाकपा माले, 6 सीटों पर भाकपा तो 4 सीटों पर माकपा प्रत्याशी मैदान में थे. 

पिछली बार भी विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश साहनी महागठबंधन के साथ होते पर वह 25 सीटें मांग रहे थे और न मिलने पर पटना के मौर्या होटल में वीआईपी के कार्यकर्ताओं ने बड़ा हंगामा किया था. हालांकि इस बार मुकेश साहनी को किसी तरह एडजस्ट करना होगा. लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ हेलीकॉप्टर में मुकेश साहनी के वीडियो बहुत वायरल हुए थे. दोनों नेता हेलीकॉप्टर में ही लंच करते थे और विरोधियों को जलाने की कोशिश करते थे. हालांकि यह बहुत असरदार साबित नहीं हुआ था.   

READ ALSO: 20 साल पहले कांग्रेस पर नीतीश कुमार ने जो कहा, वही हुआ, संजय झा ने शेयर किया Video

कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि वह अभी तक स्टेट कमेटी तक नहीं बना पाई है. प्रत्याशी तक तो उसके पास है नहीं. फिर वह किस मुंह से लालू प्रसाद यादव से मोलभाव कर सकेगी. पिछली बार भी लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को आसानी से सीटें नहीं दी थीं. सीट शेयरिंग में विवाद पैदा होने के बाद सोनिया गांधी को बीच में दखल देना पड़ा था. लालू प्रसाद यादव ने तो तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास के लिए अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया था. हालांकि सोनिया गांधी के दखल के बाद मामला शांत हो सकता था और उसे 70 सीटें मिल गई थीं.

बिहार की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Bihar News in Hindi और पाएं Bihar latest News in Hindi  हर पल की जानकारी । बिहार की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news