चाचा ने छोड़ा तो भतीजे को अलॉट हो गया, चौबीस में चिराग का काम पैंतीस तो पशुपति हुए बेगाने
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चाचा ने छोड़ा तो भतीजे को अलॉट हो गया, चौबीस में चिराग का काम पैंतीस तो पशुपति हुए बेगाने

Chirag Paswan Vs Pashupati Kumar Paras: समय होत बलवान! कभी पशुपति कुमार पारस का समय था, जिसके बल पर वे केंद्रीय मंत्री भी बने और 6 में से 5 सांसद उनके साथ हो लिए. आज उनके पास न तो सांसद हैं और न ही विधायक. 3 साल पहले जो रूतबा पशुपति का हुआ करता था, आज वो चिराग के पास है. 

चिराग पासवान ने अपनी पार्टी दफ्तर का शुभारंभ किया.

Chirag Paswan News: समय समय की बात है. एक समय था, जब चिराग पासवान के सितारे गर्दिश में चल रहे थे. चाचा पशुपति कुमार पारस का जलवा कायम हो गया था. केंद्र में मंत्री भी बन गए थे और पार्टी कार्यालय भी उन्हीं के धड़े को अलॉट हो गया था. अब समय ने यूटर्न ले लिया है और चिराग पासवान 2024 में पशुपति कुमार पारस पर हर मामले में पैंतीस साबित हो रहे हैं. अब केंद्र में चिराग पासवान मंत्री हैं और पटना स्थित पार्टी दफ्तर पर फिर से उनके धड़े को कब्जा मिल गया है. हाल ही में पशुपति कुमार पारस की पार्टी ने वहीं पार्टी दफ्तर को खाली किया था. 

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चिराग पासवान ने पार्टी दफ्तर का फिर से शुभारंभ करने के बाद भावुक होते हुए कहा, मेरे पिताजी की ​यादें 1 व्हीलर रोड स्थित पार्टी कार्यालय से जुड़ी हुई थीं. वो यादें कोई छीन नहीं सकता. वो यादें कल भी थीं और आज भी हैं. मैं मानता हूं कि मेरे पिताजी का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है, जिससे मुझे हर परिस्थिति से लड़ने का और हर हालात से पार पाने का मौका मिला. पिछले 3 साल से हमलोग बिना पार्टी दफ्तर के काम कर रहे थे. जिस तरह से 3 साल पहले सब कुछ हुआ, वैसे में मुझे तो मौका भी नहीं मिला कि जहां से मैंने राजनीति की शुरुआत की, उस कार्यालय को आखिरी बार देख सकूं.

साथ ही चिराग पासवान ने यह भी कहा, मुझे किसी बात की कोई शिकायत नहीं रही है. हां, इतना जरूर है कि मेरे नेता, मेरे पिता की यादें इस कार्यालय से जुड़ी हुई हैं. बता दें कि 3 साल पहले पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में पार्टी में ​बगावत हो गई थी और 6 में से 5 सांसदों ने पार्टी तोड़ दी थी. उसके बाद पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री भी बने थे और पार्टी कार्यालय भी पशुपति कुमार पारस के धड़े के कब्जे में आ गया था. 

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2024 में हुए लोकसभा चुनाव में पशुपति कुमार पारस की स्थिति अच्छी नहीं रही और उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने का भी मौका नहीं मिला. इस तरह उनके पास अब एक भी सांसद और विधायक नहीं रहे. उसके बाद बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने पार्टी कार्यालय खाली करने का आदेश दिया तो कुछ दिन पहले पशुपति कुमार पारस ने कार्यालय खाली कर दिया था. पार्टी कार्यालय खाली हुआ तो यह चिराग पासवान वाली पार्टी को अलॉट कर दिया गया. इस तरह चिराग पासवान को पटना में पार्टी कार्यालय मिल पाया है.

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