Mahagathbandhan Politics: लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव अगर अपनी मंशा में कामयाब रहे तो फिर कांग्रेस की मुश्किलें आने वाली हैं. कांग्रेस से सीट शेयरिंग को लेकर 2020 में भी लालू प्रसाद यादव उखड़ गए थे और फिर सोनिया गांधी को दखल देना पड़ा था.
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Bihar Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद बिहार चुनाव की ओर सभी का ध्यान स्वाभाविक रूप से खिंच गया है. चुनाव में अभी 8 से 9 महीने का समय बाकी है, लेकिन राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. किस गठबंधन में कौन कौन दल शामिल होंगे, यह करीब करीब तय हो गया है. सीट शेयरिंग को लेकर अटकलबाजियों, संभावना और आशंकाओं का दौर भी शुरू हो गया है. इसी कड़ी में सूत्रों की ओर से खबर है कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस को 40 से अधिक सीटें देने के मूड में नहीं हैं. दोनों नेताओं का मानना है कि कांग्रेस की सीटें कम करके भाकपा माले की सीटें बढ़ाई जाए, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाकपा माले का स्ट्राइक रेट कांग्रेस की तुलना में कहीं बेहतर था. तेजस्वी यादव ने तो सीतामढ़ी के सोनबरसा में इस तरह का इशारा भी कर दिया है.
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बिहार के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले कुल 19 सीटों पर मैदान में थी और उसके 12 प्रत्याशी विधायक के रूप में चुने गए थे. भाकपा माले के लिए यह खुशी और भी दोगुनी तब हो गई, जब चुनाव आयोग ने 11 साल बाद 2021 में भाकपा माले को राज्य पार्टी के रूप में दर्जा बहाल कर दिया था. 2005 में भाकपा माले को 8 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जिसके बाद उसे राज्य पार्टी का दर्जा मिला था, लेकिन 2010 में एक भी सीट हासिल न होने पर यह दर्जा उससे छिन गया था. अब खबर है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस की सीटें कम करके भाकपा माले की सीटें बढ़ा सकते हैं. ऐसा होता है तो 5 साल में भाकपा माले के लिए यह चौथी बड़ी खुशखबरी होगी. बता दें कि तीसरी खुशखबरी लोकसभा चुनाव में मिली थी, जब उसके 2 प्रत्याशी जीत गए थे.
तेजस्वी यादव ने सोनबरसा के कार्यक्रम में कहा, अब किसी नेता के कहने पर किसी को टिकट नहीं दिया जाएगा. इस बार ठोक ठाककर प्रत्याशी उतारे जाएंगे, जो जनता के बीच रहे और सभी को साथ लेकर चले. लालू जी की विचारधारा को मजबूत करे. यह कहकर तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ ही गठबंधन के दलों को भी एक तरह से संदेश देने की कोशिश की है. तेजस्वी यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी हार गई है और उनकी हार में ही कांग्रेस अपनी जीत तलाश रही है. कांग्रेस दरअसल, पिछली बार की तरह इस बार भी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है, जबकि तेजस्वी यादव लगातार यह कहते रहे हैं कि किसी के कहने से कुछ नहीं होता है.
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लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को आधार बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो कांग्रेस पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को आधार बनाने की कोशिश कर रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में राजद का स्ट्राइक रेट खराब था तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का. इसलिए कांग्रेस 70 से कम सीटों पर झुकने को तैयार नहीं है. कांग्रेस ने हाल ही में बिहार प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी भी बदल दिया है, जिससे लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को डील करने में मुश्किलें आ सकती हैं.
कांग्रेस के अलावा वीआईपी के मुकेश सहनी भी महागठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. सहनी लगातार 20 सीटों की आस लगाए हुए हैं और ऐसा वे दावा भी करते आ रहे हैं. उनकी बातों से लगता है कि वह शायद ही इससे कम सीटों पर सरेंडर कर पाएं. लोकसभा चुनावों के दौरान तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी को काफी तवज्जो दिया था और दोनों नेताओं के हेलीकॉप्टर में मछली खाने की तस्वीरें काफी वायरल हुई थीं. अब मुकेश सहनी इसी का फायदा उठाने की फिराक में हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में भी मुकेश सहनी पहले महागठबंधन में थे लेकिन सीटों पर मामला उलझ गया था और वे एनडीए में चले गए थे. तब भाजपा ने अपने कोटे से मुकेश सहनी को सीटें दी थीं.