सिवान में सरकारी विद्यालय में शिक्षक बच्चों को खुले आसमान और पेड़ के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं. ना ही रास्ता, ना बिजली, ना भवन और ना ही बच्चों को पढ़ने के लिए ब्लैकबोर्ड हैं. अगर कुछ हैं तो सिर्फ जमीन और जर्जर शौचालय.
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सिवानः बिहार के सिवान में सरकारी विद्यालयों की स्थिति बदहाल है. कई जगहों पर आज भी स्कूलों के बदतर हालात हैं. सिवान के बड़हरिया प्रखंड के छतीसी गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय सरकार के दावों का पोल खोल रहा है. यहां पर शिक्षक बच्चों को खुले आसमान और पेड़ के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं. ना ही रास्ता, ना बिजली, ना भवन और ना ही बच्चों को पढ़ने के लिए ब्लैकबोर्ड हैं. अगर कुछ हैं तो सिर्फ जमीन और जर्जर शौचालय.
पेड़ ते नीचे बैठकर पढ़ने को विवश बच्चे
दरअसल, यह विद्यालय गांव के एक समाजसेवी के दरवाजे पर चलता हैं. यहां के बच्चे आज भी पेड़ के नीचे बोरे पर बैठकर पढ़ने को विवश हैं. एक से पांच तक चलने वाले इस विद्यालय में 4 शिक्षकों पर करीब 70 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी हैं. विद्यालय की यह स्थिति 1-2 सालों से नहीं बल्कि करीब 15 सालों से बनी हुई है. इस विद्यालय की स्थापना 2008 में की गई थी. जिसके बाद जमीन की खरीदारी से पहले ही भवन बनाने को लेकर सरकार के द्वारा राशि भेज दी गई. जिस वजह से कुछ समय बाद राशि वापस सरकार के खाते में चली गई.
आए दिन बच्चे और शिक्षक बीमार
हालांकि कई सालों बाद जमीन की रजिस्ट्री तो हुई, लेकिन भवन के जगह सिर्फ एक शौचालय बना और उसकी हालत भी जर्जर बनी हुई हैं. ठंड हो गर्मी हो या बरसात, बच्चे सारे मौसमों की मार झेलते हुए किसी तरह यहां पढ़ाई करने को मजबूर हैं. मौसम की मार से बीच में कब पढ़ाई रोककर छुट्टी कर दी जाए, यह भी मौसम ही तय करता है. आए दिन बच्चे और शिक्षक बीमार पड़ते हैं.
छात्र मूलभूत सुविधाओं से वंचित
वहीं एक ओर सरकारी रहनुमा दावा करते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े कदम उठाए गए हैं, लेकिन यहां की व्यवस्था जमीनी हकीकत को दिखा रही है और बता रही है कि आज भी यहां के छात्र को मूलभूत सुविधाओं से ही वंचित रखा गया हैं. ऐसे में उनका भविष्य अंधकार में ही बना हुआ है. यहां पढ़ने वाले बच्चों की प्रतिभा भी दम तोड़ कर रह जा रही है. बच्चों और ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द भवन का निर्माण कराया जाए, ताकि बेहतर शिक्षा व्यवस्था का लाभ उठा सकें.
(रिपोर्ट- अमित कुमार सिंह)
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