Chanakya Niti: चाणक्य की मान लीजिए ये बातें, हंसती-खिलखिलाती घर में रहेंगी मां लक्ष्मी
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Chanakya Niti: चाणक्य की मान लीजिए ये बातें, हंसती-खिलखिलाती घर में रहेंगी मां लक्ष्मी

Chanakya Niti: महान मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के गुरु आचार्य चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होंने सम्राटों के लिए ही उचित आचरण के तौर-तरीके नहीं बताए, बल्कि ऐसी कई बातें और नीतिज्ञान का उपहार अपनी रचनाओं में दिया है

Chanakya Niti: चाणक्य की मान लीजिए ये बातें, हंसती-खिलखिलाती घर में रहेंगी मां लक्ष्मी

पटनाः Chanakya Niti: महान मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के गुरु आचार्य चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होंने सम्राटों के लिए ही उचित आचरण के तौर-तरीके नहीं बताए, बल्कि ऐसी कई बातें और नीतिज्ञान का उपहार अपनी रचनाओं में दिया है, जिनसे एक आम आदमी भी तरक्की कर सम्राट के पद पर पहुंच सकता है. यहां सम्राट बन जाना एक रूपक है, सही अर्थों में असल बात है कि अगर चाणक्य की नीति को अपना लिया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. आज सफलता का एक अर्थ धन भी है. अगर आप इन नीतियों पर चलेंगे तो लक्ष्मी मां प्रसन्न रहेंगी और धन हमेशा बढ़ा रहेगा.

संघर्ष के दिनों को न भूल जाएं
चाणक्य लिखते हैं कि कि किसी भी व्यक्ति के अपने संघर्ष के दिनों को भुलाना नहीं चाहिए. जो लोग पुराने दिनों को भूल जाते हैं, ऐसे लोगों को लक्ष्मी जी का आशीर्वाद कभी प्राप्त नहीं होता है. इस लिए बीते दिनों से संघर्ष करने की प्रेरणा लेकर कार्यों को करते रहना चाहिए.

अहंकार पास भी न फटके
चाणक्य लिखते हैं कि कि व्यक्ति को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए. जो लोग पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करने के बाद अहंकार करने लगते हैं, लक्ष्मी जी ऐसे लोगों का साथ बहुत जल्द छोड़ देती हैं. ऐसे लोगों के सम्मान कमी आने लगती है. धन आने पर अहंकार नहीं करना चाहिए. जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अहंकार अवगुण है, इससे दूर रहने का प्रयास करें.

क्रोध करेगा आपका नाश
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को क्रोध से दूर रहना चाहिए. क्रोध सबसे खतरनाक अवगुण है, जो एक पल में ही सबकुछ नष्ट कर सकता है. क्रोध को व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है. धन आने पर क्रोध से दूर रहना चाहिए और विनम्रता को अपनाना चाहिए.

हमेशा मीठा बोलिए
चाणक्य लिखते हैं कि कि व्यक्ति को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो स्वयं और दूसरों के कानों को मीठी लगे. कठोर वचन बोलने से बचना चाहिए. मधुर वाधी में सफलता का राज छिपा है. इसे पहचाने की कोशिश करें. जिन लोगों की वाणी खराब होती हैं और दूसरों का अपमान करते हैं. ऐसे लोगों को लक्ष्मी जी पसंद नहीं करती हैं. लक्ष्मी जी ऐसे लोगों का त्याग कर देती हैं. मधुर वाणी में अपार शक्ति होती है. मधुर वाणी शत्रु को भी मित्र बनाने की क्षमता रखती है.

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