Motihari News: बिहार के मोतिहारी जिले के घोड़ासहन थाना क्षेत्र में एक हुंडी कारोबारी से बदमाशों ने करीब सवा लाख रुपये लूट लिए. घटना घोड़ासहन रेलवे स्टेशन के पास हुई, लेकिन थाना क्षेत्र को लेकर रेल थाना और लोकल थाना के बीच भ्रम बना रहा. 24 घंटे तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
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बिहार के मोतिहारी जिले के घोड़ासहन थाना में एक एफआईआर (कांड संख्या 40/25) दर्ज किया गया है, लेकिन यह मामला अब इलाके में चर्चा का विषय बन गया है. मामला केवल लूटपाट का नहीं, बल्कि इस एफआईआर में रेल थानाध्यक्ष पर गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं. दरअसल, घोड़ासहन रेलवे स्टेशन के बाहर एक हुंडी कारोबारी से बदमाशों ने फायरिंग कर करीब सवा लाख रुपये लूट लिए थे. इस घटना को लेकर 24 घंटे तक यह तय नहीं हो पाया कि घटना का क्षेत्राधिकार रेल थाना के अंतर्गत आता है या लोकल थाना के.
रेल थाना और घोड़ासहन थाना के बीच क्षेत्राधिकार की उलझन
घटना के बाद पीड़ित व्यापारी ने पहले रेल थाना में आवेदन दिया, लेकिन वहां एफआईआर दर्ज नहीं हुई. रेल डीएसपी ने स्पष्ट किया कि यह मामला लोकल थाना के अंतर्गत आता है, इसलिए उन्होंने "जीरो एफआईआर" दर्ज कर इसे घोड़ासहन थाना को भेजने की बात कही. दूसरी ओर, घोड़ासहन थानाध्यक्ष का कहना था कि घटनास्थल रेल थाना के क्षेत्र में आता है. इस असमंजस की वजह से एफआईआर दर्ज होने में काफी देर हो गई.
मामले में मीडिया के दखल के बाद हुआ खुलासा
जब 24 घंटे बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई, तो जी न्यूज ने इस खबर को प्रमुखता से चलाया, जिसके बाद मोतिहारी एसपी ने संज्ञान लेते हुए घोड़ासहन थाना को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. इसके बाद पीड़ित व्यापारी ने नए सिरे से आवेदन दिया, जिसमें रेल थानाध्यक्ष पर अपराधियों के साथ मिलीभगत और अवैध वसूली का गंभीर आरोप लगाया गया.
रेल थानाध्यक्ष पर लगाए गए गंभीर आरोप
व्यवसायी के अनुसार, जीआरपी थानाध्यक्ष स्थानीय अपराधियों को संरक्षण देते हैं और उनसे अवैध वसूली करवाते हैं. वहीं, रेल थानाध्यक्ष पवन कुमार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह आरोप बेबुनियाद हैं और किसी ने जबरन आवेदन लिखवाया है. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि सब्जी मंडी और ऑटो स्टैंड से रेल पुलिस के नाम पर अवैध वसूली की जाती है.
एसपी ने दिए निष्पक्ष जांच के आदेश
मोतिहारी एसपी ने स्पष्ट किया कि इस एफआईआर में उल्लिखित हर बिंदु की निष्पक्ष जांच की जाएगी. अब देखना यह होगा कि इस मामले में रेल थानाध्यक्ष पर क्या कार्रवाई होती है और स्थानीय प्रशासन इस पूरे प्रकरण को कितनी गंभीरता से लेता है.
इनपुट- पंकज कुमार
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