Jammu Kashmir Weather: कश्मीर में जनवरी 2025 में वर्षा में 75 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई और दिन का तापमान भी सामान्य से 6 डिग्री अधिक दर्ज किया गया. आगे पारा और चढ़ने का अनुमान लगाया गया है.
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सैयद खालिद हुसैन, श्रीनगर: कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है, वो मौसम के मिजाज में भारी बदलाव के कारण अपनी चमक खो रहा है. मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में बारिश की कमी देखने को मिली और कश्मीर में दिन का तापमान सामान्य से 6 डिग्री अधिक दर्ज हुआ. खासकर कश्मीर घाटी में सर्दियों का मौसम हमेशा बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं, सर्दियों के मौसम को देखने के लिए पर्यटकों की भारी भीड़ और 'चिल्लई कलां' के दौरान शून्य से नीचे के तापमान के लिए होता है. लेकिन जनवरी 2025 में छिटपुट बर्फबारी हुई. आईएमडी विभाग का कहना है कि 75 प्रतिशत वर्षा में कमी और दिन का तापमान 6 डिग्री से अधिक दर्ज किया जाना भविष्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है.
आईएमडी कश्मीर के निदेशक मुख्तार अहमद ने कहा, 'हमारे प्रदेश में सर्दियों का सीजन दिसंबर में शुरू होती है. बारिश बहुत कम होती है. कश्मीर संभाग में यह कमी माइनस 75 प्रतिशत और जम्मू क्षेत्र में माइनस 80 प्रतिशत के आसपास रहती है. इसके परिणाम भी होंगे क्योंकि पूरी अर्थव्यवस्था बर्फ पर निर्भर है. इसका असर ग्लेशियर रिचार्ज, भूजल रिचार्ज, कृषि और बागवानी पर पड़ेगा. घरेलू जल के लिए भी बर्फ का होना बहुत जरूरी है. दिन में तापमान सामान्य से 6 से 8 डिग्री अधिक था और यह लगातार बढ़ रहा है.'
जल निकायों में जल स्तर में गिरावट आई
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्षा में कमी का सीधा असर क्षेत्र के कृषि, बागवानी और पर्यटन उद्योग पर पड़ेगा. इसके कुछ अल्पकालिक परिणाम भी होंगे क्योंकि झेलम नदी सहित कई जल निकायों में जल स्तर में गिरावट आई है.
कृषि विशेषज्ञ और किसान राशिद राहिल ने कहा, 'कश्मीर घाटी की पूरी खूबसूरती बर्फ की वजह से है और घाटी के सभी ग्लेशियर बर्फबारी की वजह से ही बने हैं. नदियों और नालों में पानी की आपूर्ति इन ग्लेशियरों की वजह से होती है और जिसका इस्तेमाल किसान और बागवान खेती के लिए करते हैं. और अगर पानी की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होगी, तो इसका असर उद्योग पर पड़ेगा.'
ग्लोबल वार्मिंग ने जम्मू-कश्मीर को भी प्रभावित किया है और इस साल बहुत कम बर्फबारी हुई है जिसका असर भविष्य में देखने को मिलेगा. जम्मू-कश्मीर के किसानों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. ग्लोबल वार्मिंग ने हमें भी प्रभावित किया है. अगर बारिश नहीं होती है तो इससे पेड़ों में भी बीमारियां फैलती हैं और हर किसान बहुत चिंतित है. पानी नहीं होने का मतलब है फसलों और फलों का उत्पादन कम होगा.'
मौसम विज्ञानी ने कहा, 'कृषि और बागवानी से जुड़े लोग घाटी के मौसम की मौजूदा स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं. इस साल बहुत कम बर्फबारी का मतलब है गर्मियों में बहुत सारी समस्याएं. आमतौर पर पहाड़ों पर बर्फबारी और गर्मियों में ग्लेशियर पिघलने से घाटी के जलस्रोतों में पानी भर जाता है. और इस साल ग्लेशियर रिचार्ज या भूजल रिचार्ज बहुत कम हुआ है.'
गुलाम मोहम्मद राथर, स्थानीय ने कहा, 'तकनीक साफ तौर पर मौसम के बदलते मिजाज को दर्शा रही है और जनवरी और फरवरी के महीने में बहुत कम बर्फबारी हुई है और इससे लोगों को कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा, बर्फ से जलस्रोतों में पानी भरता है और यह कृषि उद्योग के लिए बहुत जरूरी है.'
कश्मीर घाटी के सिंचाई विभाग ने इस गर्मी में सूखे जैसी स्थिति के लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है. वर्षा की कमी पिछले कुछ सालों से जारी है और सरकार को किसी भी तत्काल कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए.