नींद खराब हुई तो बढ़ जाएंगे मिर्गी के दौरे, डॉक्टर ने बताया बचने के लिए क्या करें आप
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नींद खराब हुई तो बढ़ जाएंगे मिर्गी के दौरे, डॉक्टर ने बताया बचने के लिए क्या करें आप

Epilepsy and Sleep: भारत में काफी लोगों को मिर्गी के दौरे आते हैं, लेकिन इसको मैनेज करने के लिए ये जरूरी है कि आप अपने स्लीप पैटर्न को बेहतर करें ताकि सीजर्स को कंट्रोल किया जा सके. 

नींद खराब हुई तो बढ़ जाएंगे मिर्गी के दौरे, डॉक्टर ने बताया बचने के लिए क्या करें आप

Connection Between Seizures and Rest: मिर्गी और नींद आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं, क्योंकि खराब नींद दौरे (Seizures) को ट्रिगर कर सकती है, और सीजर्स स्लीप को डिस्टर्ब कर सकते हैं. मिर्गी से पीड़ित लोगों को अक्सर नींद की परेशानी होती है, जिससे उनकी हालत और खराब हो सकती है. दोनों चीजों के इस रिश्ते को समझने से मिर्गी को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद मिल सकती है.

दौरे पर कैसे असर डालती है खराब नींद

मशहूर न्यूरोलॉजिट्स डॉ. कुणाल बहरानी (Dr.Kunal Bahrani) के मुताबिक नींद की कमी एक कॉमन सीजर ट्रिगर है. जब किसी शख्स को पर्याप्त आराम नहीं मिलता है, तो ब्रेन ज्यादा उत्तेजित हो जाता है, जिससे दौरे का खतरा बढ़ जाता है. ये खास तौर से कुछ तरही की मिर्गी के लिए सच है, जैसे कि नॉक्टर्नल एपिलेप्सी (Nocturnal Epilepsy), जहाँ दौरे खास तौर से नींद के दौरान होते हैं.

इर्रेगुलर स्लीप पैटर्न, जैसे देर रात तक जागना या बार-बार नींद के टाइम को बदलना, सीजर एक्टिविटी को भी बढ़ा सकता है. यही वजह है कि मिर्गी से पीड़ित लोगों के लिए एक कंसिस्टेंट स्लीप रूटीन बनाए रखना जरूरी है.

सीजर्स नींद में खलल डाल सकते हैं, जिससे पेशेंट गहरी, आरामदायक नींद लेने से महरूम रह जाता है. इससे दिन में ज्यादा नींद आना, थकान और एकाग्रता में दिक्कत हो सकती है. कुछ लोग भ्रमित या थका हुआ महसूस करते हुए जाग सकते हैं अगर उन्हें नींद के दौरान बिना एहसास के दौरा पड़ा हो.

कुछ एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं स्लीप क्वालिटी पर असर डाल सकती हैं. कुछ ड्राउजिनेस पैदा कर सकती हैं, जबकि अन्य अनिद्रा या बेचैन नींद का कारण बन सकती हैं. डॉक्टर से सलाह लेने से इन असर को कम करने के लिए दवाओं को एडजस्ट करने में मदद मिल सकती है.

 

मिर्गी के साथ बेहतर नींद के लिए टिप्स

1. हर दिन एक ही टाइम पर सोने और जागने के लिए एक स्लीप शेड्यूल तय करें।

2. सोने से पहले कैफीन और स्क्रीन टाइम से बचें.

3. कंफर्टेबल स्लीप एनवायरनमेंट बनाएं, जैसे अंधेरा, शांति और कूल रूम.

4. मेडिटेशन या गहरी सांस लेने जैसी रिलैक्सेशन टेक्निक के जरिए स्ट्रेस को मैनेज करें.

5. प्रिस्क्रिप्शन के मुताबिक दवाएं लें और किसी भी बुरे असर के बारे में डॉक्टर से चर्चा करें.

नींद की आदतों में सुधार करके, मिर्गी से पीड़ित लोग दौरे के जोखिम को कम कर सकते हैं और अपने ओवरऑल वेलबीइंग को बेहतर बना सकते हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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