Manmohan Singh And Sushma Swaraj Shayari: मनमोहन सिंह की संसदीय पारी आज समाप्त हो गई. विरोधी उनकी चुप्पी के लिए आलोचना करते रहे लेकिन मनमोहन वक्त आने पर शायरी में भी जवाब देते थे. उर्दू के अच्छे जानकार मनमोहन सिंह और सुषमा स्वराज के बीच संसद में कई बार शायराना वाद-विवाद हुआ था.
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Manmohan Singh Retirement: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तीन दशक लंबी सियासी पारी का समापन हो रहा है. देश उन्हें कई तरह से याद रखेगा. भाजपा उनकी चुप्पी पर सवाल उठाती रही है. वह 10 साल पीएम रहे लेकिन कहा जाता था कि प्रधानमंत्री कुछ बोलते ही नहीं हैं. वह अर्थशास्त्री हैं इसीलिए शायद नेताओं की तरह भाषण कला उन्हें नहीं आती थी लेकिन कई बार संसद में उन्होंने अपने शायराना अंदाज से भाजपा नेताओं को मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था.
सुषमा स्वराज ने पढ़ा शेर
दरअसल हुआ यूं कि सुषमा स्वराज ने सरकार पर बरसते हुए शायरी की. उन्होंने कहा कि आप (तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह) उर्दू जबान समझते हैं बहुत अच्छी तरह से और शेरों में बहुत बड़ी ताकत होती है अपनी बात आसानी से, सहजता से पहुंचाने की. आज मैं शेर कहते हुए अपनी बात कहना चाहती हूं, 'तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफिले क्यूं लुटे. तिरी रहबरी का सवाल है हमें रहजनों से गिला नहीं.' सुषमा के तेवर तल्ख थे. इसके बाद मनमोहन सिंह बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने भी मुस्कुराते हुए शायराना अंदाज में जवाब दिया.
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जी हां, उस दिन मनमोहन की शायरी सुन सदन में ठहाके गूंज उठे. उन्होंने अल्लामा इक़बाल का शेर पढ़ा- माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं. तू मेरा शौक़ देख मेरा इंतजार देख. सुषमा की तरफ कैमरे ने फोकस किया तो भाजपा नेता सीट पर बैठीं मुस्कुरा रही थीं.
Former PM Dr Manmohan Singh retires from Rajya Sabha after serving for 33 years.
As much as he was an excellent PM, he was also an excellent human being.
He will always be remembered as an MP, listen to his reply to Sushma Swaraj ji.#ManmohanSingh pic.twitter.com/1UuhtYwqtK
— Harsh Tiwari (@harsht2024) April 2, 2024
शायरी का अदब होता है
2013 में भी लोकसभा में एक बार शायराना सीन देखने को मिला. मनमोहन ने कहा, 'हमें उनसे वफा की उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है.' जवाब में भाजपा की तरफ से एक बार फिर सुषमा स्वराज ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि पीएम ने बीजेपी को मुखातिब होकर एक शेर पढ़ा है. शायरी का एक अदब होता है. शेर का कभी उधार नहीं रखा जाता. मैं प्रधानमंत्री का ये उधार चुकता करना चाहती हूं. उन्होंने कहा कि वो भी एक नहीं दो शेर पढ़कर. इतने में स्पीकर मीरा कुमार बोल पड़ीं. उन्होंने कहा कि फिर तो उन पर उधार हो जाएगा. सभी हंस पड़े.
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सुषमा ने कहा पहला, प्रधानमंत्री जी कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूं ही कोई बेवफा नहीं होता. और हमारी मजबूरी क्या है? हमारी मजबूरी ये है कि आप इस देश के साथ बेवफाई कर रहे हैं इसलिए हम आपके प्रति वफादार नहीं रह सकते. दूसरा शेर पढ़ रही हूं- तुम्हें वफा याद नहीं, हमें जफ़ा याद नहीं. जिंदगी और मौत के दो ही तो तराने हैं. एक तुम्हें याद नहीं एक हमें याद नहीं.