Niti Aayog: विरमानी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका और यूरोपीय बैंकिंग संकट का भारत के फाइनेंशियल सेक्टर पर किसी तरह असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, पिछले साल हुए बदलावों के कारण मैंने 2023-24 के लिए भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ रेट के अनुमान को आधा प्रतिशत कम कर दिया है.
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Indian Economy Latest News: क्रूड ऑयल की ऊंची कीमत (Crude Oil Price) और बढ़ती जियोपॉलिटिकल टेंशन के बावजूद चालू वित्त वर्ष (2023-24) में इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) करीब 6.5% की दर से बढ़ेगी. नीति आयोग (Niti Aayog) के सदस्य अरविंद विरमानी की तरफ से यह उम्मीद जताई गई है. विरमानी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका और यूरोपीय बैंकिंग संकट का भारत के फाइनेंशियल सेक्टर पर किसी तरह असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, पिछले साल हुए बदलावों के कारण मैंने 2023-24 के लिए भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ रेट के अनुमान को आधा प्रतिशत कम कर दिया है.
IMF ने ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 5.9% किया
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ेगी. यह आंकड़ा आधा फीसदी ऊपर या नीचे हो सकता है. विश्व बैंक (World Bank) और एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank) की तरफ से हाल में अनुमान जताया गया है कि खपत में कमी और चुनौतीपूर्ण बाहरी परिस्थितियों के कारण चालू वित्त वर्ष में इंडियन इकोनॉमी 6.3 से 6.4% की दर से बढ़ेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक ग्रोथ रेट के अनुमान को 6.1% से घटाकर 5.9% कर दिया है. इसके बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
आर्थिक सफलता को दोहरा सकता है भारत?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य पर विरमानी ने कहा, हमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरह होना चाहिए. फेड रिजर्व का मुद्रास्फीति लक्ष्य है, लेकिन वह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को भी ध्यान में रखता है. सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को 4% (2% ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया है. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत उस आर्थिक सफलता को दोहरा सकता है जिसने चीन को विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक शक्ति का केंद्र बनाया है, विरमानी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अब किसी अन्य देश को उन अनुचित व्यापार नीतियों की अनुमति दी जाएगी, जो चीन करता रहा है.
उन्होंने कहा, मेरा अनुमान है कि अगर चीन ने अनुचित व्यापार नीतियां नहीं अपनाई होतीं, तो उसकी बढ़ोतरी एक-तिहाई कम रहती. उन्होंने कहा कि भारत इन तरह की नीतियों के बिना ही 6.5 से 7% की ग्रोथ रेट हासिल कर सकता है. (इनपुट : भाषा)