भारत के किस शहर में जूते-चप्पल और झाड़ू से खेली जाती है होली? जानें

Jutamaar Holi 2024: होली भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक है. इसे देश के लगभग सभी हिस्सों में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. देश के अलग-अलग हिस्सों में होली मनाने के तौर-तरीके भी अलग-अलग हैं. कहीं होली रंग-पिचकारी और कीचड़ से खेली जाती है, तो कहीं लाठी-डंडों से. ब्रज की लट्ठमार, तो मथुरा की फूलों वाली होली बहुत प्रचलित है. लेकिन क्या आपने कभी जूता मार होली के बारे में सुना है. आइए जानते हैं. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Mar 5, 2024, 03:42 PM IST
  • यूपी के शाहजहांपुर में खेली जाती है जूता मार होली
  • बहादुर खान ने बसाया था शाहजहांपुर
भारत के किस शहर में जूते-चप्पल और झाड़ू से खेली जाती है होली? जानें

नई दिल्लीः Jutamaar Holi 2024: होली भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक है. इसे देश के लगभग सभी हिस्सों में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. देश के अलग-अलग हिस्सों में होली मनाने के तौर-तरीके भी अलग-अलग हैं. कहीं होली रंग-पिचकारी और कीचड़ से खेली जाती है, तो कहीं लाठी-डंडों से. ब्रज की लट्ठमार, तो मथुरा की फूलों वाली होली बहुत प्रचलित है. लेकिन क्या आपने कभी जूता मार होली के बारे में सुना है. आइए जानते हैं. 

यूपी के शाहजहांपुर में खेली जाती है जूता मार होली
जूता मार होली उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में खेली जाती है. यह शाहजहांपुर के बरसों पुरानी परंपरा का हिस्सा है. कहा जाता है कि 18वीं सदी के आसपास शाहजहांपुर में नवाब का जुलूस निकालकर होली मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी. यही होली बाद में धीरे-धीरे जूता मार होली में बदल गई. साल 1947 के बाद यहां जूते मारकर होली खेला जाने लगा. होली वाले दिन शाहजहांपुर में लाट साहब का जुलूस भी निकलता है. 

बहादुर खान ने बसाया था शाहजहांपुर 
दरअसल, शाहजहांपुर को नवाब बहादुर खान ने बसाया था. स्थानीय कथाओं की मानें, तो इस वंश के आखिरी शासक नवाब अब्दुल्ला खान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच काफी लोकप्रिय थे. वे आपसी कलह की वजह से फर्रुखाबाद चले गए थे लेकिन 21 साल की उम्र में जब वे वापस लौटे तो शाहजहांपुर के लोगों ने उन्हें ऊंट पर बैठाकर शहर घुमाया और होली का त्योहार मनाया था. 

1858 में हिंदुओं पर कर दिया हमला
हालांकि, साल 1858 में बरेली के शासक खान बहादुर खान के कमांडर मरदान अली खान ने हिंदुओं पर हमला कर दिया. इससे शहर में सांप्रदायिक माहौल बन गया और इसके बाद लोगों ने नवाब का नाम बदलकर लाट साहब कर दिया और जुलूस को ऊंट के बजाए भैंसा गाड़ी पर निकालना शुरू कर दिया. 

भैंसे को मारा जाता है जूता-चप्पल 
इसी दौरान लाट साहब को जूता मारने की परंपरा शुरू हुई. तब से इस होली को ऐसे ही मनाया जाता है. होली वाले दिन किसी व्यक्ति को लाट साहब बनाकर भैंसे पर बैठा दिया जाता है और सभी लोग भैंसे को जूते-चप्पल और झाड़ू इत्यादि से मारते हैं. 

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