घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने वाली कहावत पाकिस्तान पर एकदम फिट बैठती है, लेकिन वजीरे आजम शहबाज शरीफ चांद पर नया पाकिस्तान बसाने का सपना देख रहे हैं, जनाब किसे बेवकूफ बना रहे हैं? ये तो राम जाने क्योंकि पाकिस्तानियों को खुद अपने मिशन मून पर रत्ती भर भरोसा नहीं है.
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Pakistan Moon Mission: घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने वाली कहावत पाकिस्तान पर एकदम फिट बैठती है, लेकिन वजीरे आजम शहबाज शरीफ चांद पर नया पाकिस्तान बसाने का सपना देख रहे हैं, जनाब किसे बेवकूफ बना रहे हैं? ये तो राम जाने क्योंकि पाकिस्तानियों को खुद अपने मिशन मून पर रत्ती भर भरोसा नहीं है. दरअसल पाकिस्तान ने चीन की मदद से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर भेजने का ऐलान किया है, क्या कभी पूरा हो पाएगा पाकिस्तान के ये सपना, आइए जानते हैं.
सुपार्को का रोवर चांद की जमीन पर उतरने को तैयार है, क्योंकि फूटा कटोरा लेकर दुनिया में भीख मांगने वाला पाकिस्तान चांद पर पहुंचने का सपना देख रहा है. सुपार्को के इंजीनियर लगे हुए हैं, दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान का ये बड़ा कदम साबित होगा. जब ये चांद की मिट्टी की जांच के लिए सुपार्को का रोवर पहुंचेगा. दरअसल पाकिस्तान और चीन ने मिलकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर भेजने का ऐलान किया है. इस रोवर को पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी सुपोर्को बना रही है.
ये दावा वही कंगाल पाकिस्तान कर रहा है. जिसके जेब में पाकिस्तान का राशन-पानी मंगवाने के भी पूरे पैसे नहीं है. इसलिये पाकिस्तानी अवाम भी शहबाज का मजाक बना रही है.
पाकिस्तानी कह रहे हैं कि हम तो ऑलरेडी चांद पर रह रहे हैं. आपको नहीं पता मतलब हम कैसे चांद पर रह रहे हैं? अच्छा बताइये-चांद पर क्या है, जो इधऱ नहीं है? डिबेट में शामिल दूसरे पाकिस्तानी ने कहा मतलब मैं समझा नहीं आपकी बात? तब तीसरे ने कहा- 'चांद पर पानी है, नहीं है हां तो इधर भी नहीं है? वहां पर न पेट्रोलियम गैस है, इधऱ भी नहीं है. इसी तरह चांद पर बिजली नहीं है, सो यहां पर लाइट है लेकिन आती नहीं है. हालात भी पाकिस्तान के बुरे से बुरे होते जा रहे हैं. हालांकि हम पाकिस्तानियों को आगे होना चाहिए था, इस वक्त, लेकिन अफसोस की बात है कि हम पीछे जा रहे हैं.
चांद के सपने देख रहे शहबाज को पाकिस्तानी अवाम कोस रही है. क्योंकि पाकिस्तान में लोगों को मून मिशन नहीं बल्कि रोटी और बिरयानी चाहिए. शहबाज शरीफ ने हवा-हवाई सपने दिखाकर चांद पर जाने की बात की थी जोर शोर से लेकिन पाकिस्तानियों के बीच वैसा रियलिस्टिक माहौल नहीं बन पाया, जैसा भारत में हुआ था.
शहबाज ने मून मिशन पर बेवकूफ बनाया !
पाकिस्तानी अवाम में एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो जागरूक है, वो हवा में नहीं जीता है. पढे लिखे पाकिस्तानियों का मानना है कि ये जितनी भी खबरें चल रही हैं, जितना भी प्रोपेगैंडा हो रहा है वो आवाम को पागल बनाने के लिए हो रहा है कि पाकिस्तान ने भी स्पेस सेक्टर में काफी तरक्की कर ली है. इंडिया चंद्रयान पहुंचा चुका है, तो नासमझ बंदे बोलने लगे कि इंडिया ने ये सब वीडियो एआई से बनाया है. ऊपर चांद में कोई यान-वान नहीं गया है. इसलिए पाकिस्तानी लोगों को समझाना है कि अगर इंडिया वाले जा सकते हैं तो हम लोग क्यों नहीं जा सकते है?
पाकिस्तान के दावे के मुताबिक शहबाज ने चंद्रमा पर रोवर भेजने के लिए चीन की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ समझौता किया है इस समझौते पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ जरदारी ने दस्तखत किए हैं.
चांग-A-8 से पाकिस्तान को मौका
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक पाकिस्तान के पहले स्वदेशी चंद्र रोवर को चीन के चांग-ए-8 मिशन का हिस्सा बनाया जाएगा. जिसे साल 2028 में लॉन्च किया जाना है. मतलब यह पाकिस्तान का रोवर होगा, लेकिन पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी उसे ऊपर नहीं भेजेगी, बल्कि चीन उसे चांद तक ले जाएगा.
पाकिस्तानी ले रहे मौज!
इस खबर के बाद पड़ोसी देश के यू-ट्यूब चैनलों पर इसका खूब प्रचार-प्रसार और इस खबर का पोस्टमार्टम हुआ जिसमें तंज कसते हुए ये तक कह दिया गया कि संभव है कि पाकिस्तान ने कटोरे में चीन से कोई पुराना रोवर मांग लिया हो और उस पर अपना झंडा लगाकर मून पर भेजने का ख्वाब पाले बैठा हो. क्योंकि जिस देश की सेना के काम और युद्धाभ्यास डीजल-पेट्रोल की कमी के चलते रुक सकते हों, वहां की स्पेस एजेंसी और उसे चलाने वालों की क्या हालत होगी? जिस देश की आधी से ज्यादा आबादी गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी की वजह से एक टाइम फांका करने को मजबूर हो वो चांद पर अपना रोवर कैसे भेजे सकता है?
चीन ने पहुंचाया सैटेलाइट..पाकिस्तान टाइट!
मून मिशन की तरह ही पाकिस्तान ने पिछले महीने सेटेलाइट भेजने का ढ़िंढोरा पीटा था. जब उसने चीन के रॉकेट की मदद से अपने एक सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा था. तब कहा गया था कि पाकिस्तानी आवाम के लिए बड़ी खुशखबरी का दिन आया था क्योंकि पाकिस्तान का पहला सैटेलाइट मिशन आईक्यू कमर चांद की कक्षा में पहुंच गया. तब स्पार्को के प्रवक्ता ने कहा था कि चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद पाकिस्तानी सैटेलाइट बेहतरीन ढंग से काम कर रहा है.
पाकिस्तानी सैटेलाइट की खबर को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने के लिए पाकिस्तानी मीडिया और सरकार का काफी मजाक उड़ाया गया था और ये काम खुद पाकिस्तानियों ने किया था.
पाकिस्तान बगैर मदद कुछ नहीं कर सकता है क्योंकि पाकिस्तानी खुद कह रहे हैं कि उनके मुल्क ने ज़िदगी में ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसमें उन्हें किसी की मदद ना लेनी पड़ी हो, सिर्फ एक करप्शन ऐसा है जो पाकिस्तानी अपनी दम पर करते हैं, बाकी हर चीज में अरब जगत से लेकर चीन में उनकी मदद ली है. यानी साफ है कि पाकिस्तान के स्पेस मिशन पर पाकिस्तानी अवाम को जरा भी भरोसा नहीं है. पाकिस्तानी सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है. पर असलियत में भारत के मुकाबले पाकिस्तान का मिशन स्पेस 100 साल पीछे है.
पाकिस्तान ने चंद्रयान से मुकाबला मज़ाक बताया
सोशल मीडिया पर चली डिबेट में पाकिस्तानी कबूल कर रहे हैं कि ये तो सारी दुनिया को पता है उनका हमारे साथ कोई मुकाबला नहीं है जिस तरह वो अपग्रेड कर रहे हैं अपने आपको तकनीक में हर चीज़ में ओवरआल बाकी भी उनका हमसे कोई कंपेयर नहीं बनता है. इंडिया हमसे 100 साल आगे है. उनकी बुनियाद है कि वो अपनी तालीम को सपोर्ट करते हैं, पाकिस्तान में क्या सपोर्ट है. कोई सपोर्ट नहीं है. अभी आप उसकी तरक्की को देखो. कि वो डे बाय डे कितनी तरक्की कर रहे हैं. एलन मस्क का इंडिया के साथ हाथ मिलाने का मतलब है कि अब इंडिया के दिन बदल गए. एलन मस्क टेक्नोलॉजी किंग हैं.
पाकिस्तानी इस बात से भी काफी शर्मिंदा हैं कि उनका मुल्क अपने दम पर कोई काम नहीं कर सकता है. जबकि पड़ोसी भारत 1947 में एक साथ आजाद हुआ और आज सुपर पावर बनने के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.
पाकिस्तान का कॉन्फिडेंस खत्म
पाकिस्तान कंगाल हो चुका है. उसके पास पेट भरने के लिए पैसे नहीं है और दावा चांद पर रोवर भेजने का है. बेचारे पाकिस्तानी ये सुनकर शहबाज के मुंगेरी लाल के सपने पर हंस रहे हैं और अपनी तकदीर पर रो भी रहे हैं.