अमेरिका का ये कैसा बर्ताव? पानी पीने के लिए भी नहीं खोली हथकड़ी, हिरासत केंद्र में दिए चावल चिप्स, रुला देगी ये कहानी
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अमेरिका का ये कैसा बर्ताव? पानी पीने के लिए भी नहीं खोली हथकड़ी, हिरासत केंद्र में दिए चावल चिप्स, रुला देगी ये कहानी

New Delhi News: अमेरिका में 50 लाख खर्च करके नौकरी करने गए युवक ने अपनी आपबीती सुनाई है. उसने बताया है कि उनके साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया गया. युवक की कहानी आंखों में आंसू ला देगी. 

अमेरिका का ये कैसा बर्ताव? पानी पीने के लिए भी नहीं खोली हथकड़ी, हिरासत केंद्र में दिए चावल चिप्स, रुला देगी ये कहानी

New Delhi News: अमेरिका से हथकड़ी लगाकर भारत भेजे गए लोगों के आने के बाद हाहाकार मच गया है. पूरे देश से इसे लेकर प्रतिक्रिया आ रही है. हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले एक युवक ने दर्दनाक कहानी सुनाई है. अपनी आपबीती बताते हुए युवक ने कहा कि जब वह कैलिफ़ोर्निया में प्रवेश करने वाला था, तो उसे अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने गिरफ्तार कर लिया. वह पूरी तरह से कर्ज में डूब गया है. जानिए युवक को अमेरिका में किस- किस कठिनाइयों से गुजरना पड़ा. 

अपनी आपबीती सुनाते हुए सोनीपत के फरमाना गांव के 25 वर्षीय अंकित कुमार ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए उन्होंने 50 लाख रुपए खर्च किए.  उन्होंने अपने पिता को खोने के बाद कमाने के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया. वो बताया कि मैं 8 नवंबर को मुंबई गया इसके बाद नीदरलैंड के एम्स्टर्डम के लिए फ्लाइट पकड़ी. एम्स्टर्डम से मैं हवाई मार्ग से स्पेन गया और फिर गुयाना चला गया. रास्ते में और लोग मेरे साथ जुड़ गए और हम ब्राजील चले गए, जहां हम तीन दिन तक रहे.

बोलीविया, पेरू और इक्वाडोर को पार करने के बाद हम कोलंबिया पहुंचे. हम एक नाव से पनामा के जंगल में पहुंचे, जो कई बार पलटने के करीब थी लेकिन किसी तरह से बच गए. इसके बाद वन क्षेत्र को पार करने के बाद, हम एक कैंटर में सवार हुए और पनामा सिटी पहुंचे, फिर हम होंडुरास और ग्वाटेमाला जैसे देशों को पार करते हुए कोस्टा रिकामऔर मैक्सिको पहुंचे. हम बिना भोजन के 14 घंटे तक कैंटर में यात्रा करके मैक्सिको पहुंचे, वहां से हम तिजुआना सीमा पर पहुंचे.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार अंकित ने आगे बताया कि हमारे कपड़े और पैसे चोरी हो गए और एजेंट और पैसे मांगने. जनवरी में जब वह कैलिफ़ोर्निया में प्रवेश करने वाला था, तो उसे अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने गिरफ्तार कर लिया था.

साथ ही बताया कि मैं अपने कर्ज में डूबे परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अमेरिका गया था. मुझे अमेरिकी पुलिस ने मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और मैं एक महीने तक हिरासत केंद्र में रहा. मुझे सुबह 6 बजे और दोपहर 2 बजे चिप्स और चावल मिलते थे. हिरासत केंद्र में मुझे कंबल नहीं दिया गया. पूरी यात्रा जोखिम भरी थी और एजेंट ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी. मुझे लगा कि अमेरिका पहुंचने पर मेरी ज़िंदगी बेहतर हो जाएगी, लेकिन यह एक नर्क बन गया था.

सामाजिक कलंक का सामना करने के विचार से ही वह कांप उठता है. वह कहता है, "मुझे डर है कि लोग सोशल मीडिया पर मेरी असफलता के लिए मेरा मजाक उड़ाएंगे. 

फतेहाबाद के दिगोह गांव की रहने वाली 24 वर्षीय गगनप्रीत उन 104 'अवैध प्रवासियों' में शामिल थी, जिन्हें अमेरिका ने बुधवार को पंजाब के अमृतसर पहुंचाया. उसने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी निर्वासितों (पुरुष और महिला दोनों) को हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां लगाई गई थीं.

अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने अमेरिकी सैन्य सी-17 परिवहन विमान के उतरने से करीब 30-40 मिनट पहले महिलाओं की हथकड़ी और बेड़ियां हटा दी थीं. हमें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि हमें निर्वासित किया जा रहा है. हम सभी ने सोचा कि सुरक्षा अधिकारी हमें दूसरे हिरासत केंद्र में ले जा रहे हैं. अमेरिका से विमान की दो घंटे की यात्रा के बाद अधिकारियों ने हमें बताया कि वे हमें भारत भेज रहे हैं. विमान को ईंधन भरने के लिए दो स्थानों पर रोका गया. 

आगे बोलते हुए बताया कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए सुरक्षा अधिकारियों ने हमें खड़े होने की अनुमति नहीं दी. जब हम पानी पीना चाहते थे, तब भी हथकड़ी नहीं हटाई गई. अमेरिकी अधिकारियों ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है और हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया है. 

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