New Navy base INS Jatayu: समंदर में भारतीय नौसेना का 'जटायु अध्याय' शुरु होने वाला है. लक्षद्वीप के दक्षिण में मिनिकॉय द्वीप पर भारतीय नौसेना के एक नेवल बेस का उद्घाटन होगा. इसके साथ ही भारत ने चीन का 'मालदीव प्लान' फेल करते हुए उसकी टेंशन बढ़ा दी है.
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India's 'eye' on Maldives: समंदर में भारतीय नौसेना का 'जटायु अध्याय' शुरु होने वाला है. लक्षद्वीप के दक्षिण में मिनिकॉय द्वीप पर भारतीय नौसेना के एक नेवल बेस का उद्घाटन होगा. जिसका नाम है INS जटायु. किसी जटायु की तरह इस नौसैनिक अड्डे से दुश्मनों पर निगरानी रखी जा सकेगी. उनका मुकाबला किया जाएगा और जरूरत हुई तो जटायु उनपर ताकतवर पंजा भी मारेगा. 6 मार्च को नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार इस नौसैनिक अड्डे का उद्धाटन करेंगे.
भारत की नौसैनिक ताकत कई गुना बढ़ जाएगी
बताया गया है कि यहां एक हवाई पट्टी भी तैयार की जाएगी. इसका मतलब है कि जल्द ही यहां से भारतीय नौसेना के फाइटर जेट्स और निगरानी विमान उड़ान भर पाएंगे. INS जटायु की वजह से आसपास के सैकड़ों किलोमीटर के इलाके में भारत की नौसैनिक ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. ये इलाका मालदीव के करीब है. यानी मालदीव पहुंचनेवाले चीन के जासूसी जहाज और चीन की नौसेना के युद्धपोत अब भारतीय निगरानी की रेंज में होंगे. सबसे पहले आपको INS जटायु की तीन प्रमुख बातें बताते हैं.
भारत के इस प्लान से बढ़ी चीन की टेंशन
INS जटायु की कोच्चि से दूरी करीब 400 किलोमीटर और मालदीव से तो ये सिर्फ 250 किलोमीटर दूर है. यानी मालदीव में चल रही एंटी इंडिया गतिविधियों पर यहां से नजर रखी जा सकेगी. इसकी मदद से भारतीय नौसेना, हिंद महासागर से लेकर अरब सागर तक निगरानी के ऑपरेशन को अंजाम दे पाएगी. ये इलाका दुनिया का महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है, इस रास्ते से होकर दुनिया का 70 प्रतिशत व्यापार होता है.
ये पूरा इलाका भारतीय नौसेना के लिए इतना जरूरी है कि पास में ही कव-रत्ती द्वीप पर पहले से ही एक नौसैनिक अड्डा INS द्वीप-रक्षक मौजूद है. इसके बाद अब INS जटायु को तैयार किया जा रहा है. लक्षद्वीप से भारतीय नौसेना किस प्रकार पूरे इलाके पर नजर रखेगी. यहां से किस प्रकार सैन्य ऑपरेशन किये जाएंगे आइए बताते हैं.
जिनपिंग का 'मालदीव प्लान' फंसा?
प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप से तस्वीरें आने के दो महीने बाद ही भारतीय नौसेना का जटायु अध्याय शुरु होने जा रहा है. लक्षद्वीप के मिनिकॉय आइलैंड में भारत का महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा INS जटायु बनकर तैयार है. INS जटायु के उद्धाटन की टाइमिंग का मालदीव में चीन के बढ़ते असर से सीधा संबंध है.
सबसे पहले टाइमिंग पर ध्यान दीजिए
मालदीव की सरकार के एंटी इंडिया रवैये की वजह से वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों का पहला दस्ता 10 मार्च तक भारत के लिए रवाना होने वाला है.
और उससे ठीक पहले यानी 6 मार्च को INS जटायु नेवल बेस ऑपरेशनल हो जाएगा यानी यहां से नौसेना का काम शुरु हो जाएगा.
रक्षा विशेषज्ञ कर्नल(रिटा.) सुशील सिंह पठानिया का कहना है कि हिंद महासागर और अरब सागर में भारतीय नौसेना सबसे ताकतवर फोर्स है. और INS जटायु के सुरक्षा चक्रव्यूह में चीन-पाकिस्तान दोनों फंस जाएंगे.
सवाल1- लक्षद्वीप के MINICOY आइलैंड पर नेवल बेस बनाने से भारतीय नौसेना को क्या फायदा होगा?
जवाब - लक्षद्वीप की रणनीतिक पहुंच देखते हुए यहां पर नौसैनिक अड्डा बनाने की प्लानिंग बहुत पहले ही शुरु हो गई थी. लक्षद्वीप में पहली बार 1980 के दशक में मिनिकॉय आइलैंड पर नौसेना का एक दस्ता तैनात किया गया था. मिनिकॉय द्वीप, लक्षद्वीप के सबसे दक्षिणी इलाके में है. जो इस इलाके में मौजूद समुद्री मार्ग की सुरक्षा के लिए जरूरी है. यहां नेवल बेस बनने का मतलब ये है कि आगे चलकर ये इलाका भारतीय नौसेना के लिए और भी ज्यादा महत्पूर्ण होने वाला है.
सवाल 2- हिंद महासागर और अरब सागर में चाइनीज युद्धपोत और पनडुब्बियों को निगरानी करने में कितनी मदद मिलेगी?
जवाब - जटायु के रहते हिंदुस्तान की 7 हज़ार किलोमीटर लंबी समुद्री सरहद की तरफ दुश्मन आंख उठाकर देखने के बारे में सोच भी नहीं सकता. अब इस नाम और इसके पीछे छिपे मतलब को समझिए. नौसेना ने जटायु का आधिकारिक निशान जारी किया है जिसमें जटायु जैसा एक बड़ा पक्षी नजर आ रहा है. जो आसमान में ऊंची उड़ान को दिखाता है. नीचे समंदर की लहरे हैं और एक लाइटहाउस है. जो किसी द्वीप पर मौजूद समुद्री अड्डे से दूर तक निगरानी को दर्शाता है.
जटायु पर हवाईअड्डे का मतलब ये है कि यहां से भारतीन नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों के अलावा सुखोई-30 एमकेआई और रफाल फाइटर जेट भी उड़ान भर पाएंगे. ये विमान इस आइलैंड से उड़ान भरकर आसपास के सैकड़ों किलोमीटर के इलाके पर नजर रखेंगे. लक्षद्वीप में रफाल-सुखोई से आसमान थर्राएगा. इससे मालदीव में अपना असर बढ़ा रहे चीन की चिंता बढ़ जाएगी.
ये वो इलाका है जहां की हवाईपट्टी से भारतीय नौसेना के अनमैन्ड ड्रोन प्रीडेटर भी उड़ान भर सकते हैं. जो एक बार में 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक आसमान में उडान भर सकते हैं. जटायु के रनवे से टेकऑफ करके भारतीय नौसेना का पनडुब्बी किलर P-EIGHT-I (P8I) विमान भी निगरानी कर पाएगा.
सवाल 3- ऐसे बेस से हिंद महासागर में भारत की ताकत कितनी बढ़ जाएगी?
जवाब - इस समय भारतीय नौसेना लक्षद्वीप के पास ही अपने दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत को ऑपरेट कर रही है. भारतीय नौसेना में INS विक्रांत के शामिल होने के बाद ये पहला मौका होगा जब नौसेना अपने दोनों विमानवाहक पोतों को एक साथ ऑपरेशन में इस्तेमाल करेगी. इस बार नौसेना के कमांडर्स की कॉन्फ्रेंस भी दोनों एयरक्राफ्ट करियर पर ही होनेवाली है. इस दौरान वहां पर कई तरह के ऑपरेशन होंगे. लड़ाकू विमानों को लैंडिंग और टेकऑफ कराया जाएगा. साथ ही समंदर में दूसरे युद्धपोत और पनडुब्बियां भी मौजूद होंगी. पर फिलहाल सबको इंतजार 6 मार्च का है जब नौसेना को एक ताकतवर और महत्वपूर्ण नेवल बेस मिलेगा.
दुनियाभर के महासागरों में भारतीय नौसेना का दबदबा
पिछले कुछ दिनों में भारतीय नौसेना ने अरब सागर से लेकर मिडल ईस्ट तक एंटी पायरेसी ऑपरेशन लॉन्च किये. कई जहाजों को समुद्री डाकुओं से बचाया. भारत से हजारों किलोमीटर दूर समंदर में फंसे शिप तक जितनी तेजी से भारतीय नौसेना के युद्धपोत पहुंचे..उनका मुकाबला दुनिया की बड़ी महाशक्तियां भी नहीं कर पाईं. अब INS जटायु की शुरुआत होने के बाद भारतीय नौसेना का रिएक्शन टाइम और कम हो जाएगा. यानी पहले के मुकाबले कम समय में ही नौसेना किसी लोकेशन पर पहुंच जाएगी.
जटायु के पंजे में जिनपिंग के हिंद महासागर प्लान का फंसना तय
मिनिकॉय आइलैंड पर दोहरे इस्तेमाल वाला एयरफील्ड बनाने की प्लानिंग है. बताया ये भी जा रहा है कि भविष्य में INS जटायु को इतना बड़ा नेवल बेस बनाया जा सकता है जहां पर नौसेना के एयरक्राफ्ट करियर भी रुक सकें. एयरक्राफ्ट करियर नौसेना के सबसे बड़े युद्धपोत होते हैं जिनपर कई लड़ाकू जहाज और हेलीकॉप्टर तैनात हो सकते हैं. ये अपने आप में एक चलते-फिरते शहर के बराबर है. और इन्हें समंदर में दुश्मनों के लिए एक बुरा सपना माना जाता है. INS जटायु भी लगभग ऐसा ही नौसैनिक अड्डा होगा. जिसपर हवाईपट्टी होगी, कंट्रोल रूम होगा. दुश्मनों पर नजर रखने के लिए राडार भी होगा. और इस अड्डे की रेंज में हिंद महासागर से अरब सागर तक मौजूद चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियां होंगी. इन तैयारियों के बाद जटायु के पंजे में जिनपिंग के हिंद महासागर प्लान का फंसना तय है.