Odisha High Court: याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उनके नाम से एक पूर्व पत्रकार ने धोखाधड़ी से यह पुरस्कार हासिल किया है. इस विवाद को गंभीर मानते हुए हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है.
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Antaryami Mishra Padma Dispute: एक ही नाम के दो शख्स होने से कई बार कन्फ्यूजन होती है लेकिन अगर यह कन्फ्यूजन पद्म श्री अवॉर्ड विजेता को लेकर होने लगे तो यह चौंकाने वाली बात होगी. ओडिशा हाई कोर्ट से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. अंतरयामी मिश्रा नाम के दो शख्स ने 2023 में मिलने वाले पद्मश्री पुरस्कार के मालिक होने का दावा किया है. इस मामले ने ओडिशा हाई कोर्ट को चौंका दिया है. एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उनके नाम से एक पूर्व पत्रकार ने धोखाधड़ी से यह पुरस्कार हासिल किया है. वे खुद डॉक्टर और ओडिया साहित्यकार हैं और जिन्होंने अपनी नाम से 29 किताबें प्रकाशित की हैं.
सत्यापन और अन्य प्रक्रियाओं के बावजूद?
दरअसल मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एस के पाणिग्रही ने कहा कि यह अदालत हैरान है कि सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार घोषित करने से पहले किए गए सत्यापन और अन्य प्रक्रियाओं के बावजूद इस प्रकार के दावे आ रहे हैं क्योंकि दोनों के नाम समान हैं. तब जबकि पद्मश्री भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है. इसे हर साल उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो.
व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश
इस विवाद को गंभीर मानते हुए हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को 24 फरवरी को दोपहर 2 बजे अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है. उन्हें अपने-अपने दावों को साबित करने के लिए सभी संबंधित प्रकाशन और सामग्री प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक उधर केंद्र सरकार के वकील ने इस मामले पर नोटिस प्राप्त किया है. आठ ही कोर्ट ने अन्य संबंधित पक्षों को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए नोटिस भेजे हैं.
2023 में मिला है यह पद्मश्री
इन सबके बीच जानकारी आई है कि विवाद में शामिल दूसरे व्यक्ति जो खुद को लेखक और ढेंकानाल निवासी बताते हैं. उन्हें ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा यह पुरस्कार दिया गया था. उनका कहना है कि उन्हें अदालत के नोटिस के बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि पुरस्कार में कोई भ्रम है क्योंकि मेरा नाम कई लोगों द्वारा सिफारिश किया गया था. आमंत्रण भी सरकार द्वारा मेरे घर पते पर संचार भेजा गया था.
पुरस्कार किसी और को बधाई किसी और को..
वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके क्लाइंट को गृह मंत्रालय से बधाई देने का फोन आया था और वह पुरस्कार के वास्तविक हकदार हैं. याचिकाकर्ता भुवनेश्वर के टांकापानी रोड के निवासी हैं. फिलहाल अब हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी.