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Story Of Making DeepSeek: चीनी AI स्टार्टअप डीपसीक (DeepSeek) के फाउंडर लियांग वेनफेंग, आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में तेजी से उभरते हुए नाम बन गए हैं. जबकि OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन पूरी दुनिया में फेमस हैं, वेनफेंग की कहानी चीन से बाहर कम ही जानी जाती है. चीन के एक छोटे शहर ग्वांगडोंग में 1980 के दशक में जन्मे वेनफेंग एक साधारण स्कूल के टीचर के बेटे हैं. बचपन से ही पढ़ाई में अच्छे वेनफेंग ने चीन के प्रतिष्ठित झेजियांग यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन डिग्री हासिल की. उनकी कहानी को सुनकर लोग इनको चीन के एलन मस्क कह रहे हैं.
AI की ओर यात्रा
2015 में, वेनफेंग ने झेजियांग यूनिवर्सिटी के अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर हाई-फ्लायर नामक एक क्वांटिटेटिव हेज फंड की स्थापना की. यह फंड मैथेमैटिक्स और AI टेक्नोलॉजी का उपयोग इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजीज के लिए करता था. 2019 तक, इस फंड ने $10 बिलियन से अधिक की संपत्ति प्रबंधन की. हाई-फ्लायर में काम करते हुए वेनफेंग का झुकाव AI की ओर बढ़ा. 2021 में, उन्होंने Nvidia से GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) खरीदकर 10,000 चिप्स का एक बड़ा क्लस्टर बनाया, जिसे AI मॉडल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया गया.
डीपसीक की स्थापना
मई 2023 में, लियांग वेनफेंग ने हाई-फ्लायर की मदद से डीपसीक की शुरुआत की. हाई-फ्लायर आज भी डीपसीक के AI प्रयोगशालाओं को फंड करता है. 2024 के अंत में, डीपसीक ने अपने V3 मॉडल के लॉन्च के साथ AI जगत में पहचान बनानी शुरू की.
दिसंबर 2024 में पब्लिश एक रिसर्च पेपर में, कंपनी ने बताया कि उन्होंने V3 मॉडल को मात्र 2,000 Nvidia H800 चिप्स की मदद से $6 मिलियन से भी कम खर्च में ट्रेन किया. यह लागत उन अमेरिकी कंपनियों की तुलना में बेहद कम थी, जो AI मॉडल बनाने में करोड़ों डॉलर खर्च करती हैं.
R1 मॉडल: ग्लोबल AI सेक्टर में हलचल
20 जनवरी 2025 को, डीपसीक ने अपने R1 मॉडल के लॉन्च के साथ फिर सुर्खियां बटोरीं. यह मॉडल न केवल किफायती था, बल्कि इसकी फंक्शनैलिटी ने सिलिकॉन वैली में हलचल मचा दी. R1 की सफलता ने यह साबित कर दिया कि चीन की तकनीकी कंपनियां अब AI के क्षेत्र में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखती हैं. डीपसीक के ये कदम इस धारणा को चुनौती देते हैं कि AI में सिर्फ भारी निवेश से ही सफलता मिलती है.
वेनफेंग की सफलता का महत्व
लियांग वेनफेंग ने साबित किया है कि सीमित संसाधनों और बजट में भी AI में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं. उनकी कहानी न केवल चीन की तकनीकी ताकत को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि AI का भविष्य सिर्फ बड़े देशों और कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा.