टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज सरफराज खान ने भारत- न्यूजीलैंड बेंगलुरु टेस्ट मैच के तीसरे दिन शानदार बल्लेबाजी की और अपने करियर का पहला इंटरनेशनल शतक बनाया. इस शतक के बाद उन्होंने बयान देते हुए कहा कि बचपन का सपना पूरा हुआ.
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Sarfaraz Khan statement after first century: सरफराज खान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना पहला टेस्ट शतक (150) लगाया, जिसके दम पर न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत ने वापसी की. दूसरी पारी में सरफराज खान उस समय क्रीज पर आए थे, जब भारत को एक ऐसे बल्लेबाज की जरूरत थी, जो लंबी पारी खेल सके. हालांकि, टीम इंडिया ज्यादा बड़ी बढ़त लेने में कामयाब नहीं हो सकी. दूसरी पारी में 462 रन पर ऑलआउट होकर भारत ने मेहमान टीम को 107 रनों का मामूली लक्ष्य दिया है. इस पर सरफराज ने भरोसा जताया कि खराब होती पिच पर शुरुआती विकेट गिरने से मैच भारत के पक्ष में हो सकता है.
'बचपन का सपना पूरा हुआ'
चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद सरफराज ने संवाददाताओं से कहा, 'अपने देश के लिए शतक बनाकर बहुत अच्छा लगा, बचपन का सपना पूरा हुआ.' उन्होंने कहा, 'न्यूजीलैंड के लिए यह आसान नहीं होगा. पिच की अपनी चुनौतियां हैं. गेंद अप्रत्याशित रूप से घूम रही है और कट रही है और टर्न भी होगा. अगर हम कल जल्दी सफलता हासिल कर लेते हैं तो वे भी हमारी तरह ही स्थिति में आ सकते हैं.'
पंत के साथ मिलकर की बड़ी साझेदारी
पहली पारी में सिर्फ 46 रन पर ढेर होने के बाद भारत ने खुद को एक अनिश्चित स्थिति में पाया था. लेकिन सरफराज की ऋषभ पंत के साथ 177 रनों की साझेदारी ने उनके अभियान में जान फूंक दी. दोनों खिलाड़ी, जो भारत की 2016 अंडर-19 विश्व कप टीम का हिस्सा थे, उन्होंने सावधानी और आक्रामकता का संयोजन करके न्यूजीलैंड को दबाव में ला दिया. उनकी साझेदारी ने भारत के लिए स्थिति बदल दी, लेकिन फिर निचले क्रम के लगातार गिरते विकेटों ने मेहमान टीम को 107 रनों का पीछा करने के लिए मजबूर कर दिया.
पंत के साथ बैटिंग करने पर क्या बोले?
सरफराज ने 150 रन बनाए, जबकि पंत शतक से चूक गए और कुल मिलाकर 99 रन पर आउट हो गए. सरफराज ने क्रीज पर अपने उपयोगी सहयोग को दर्शाते हुए कहा, 'पंत के साथ बल्लेबाजी करना मजेदार है. जब वह स्ट्राइक पर होते हैं तो रन तेजी से बनते हैं. हम एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं और हमारे बीच अच्छा संवाद है.'
पिता का किया जिक्र
उन्होंने मैच अपने पिता का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं अपने पिता से अक्सर बात करता हूं, क्योंकि वह मुझे हर समय प्रेरित करते रहते हैं. मैं आज बहुत खुश हूं.' सरफराज जानते हैं कि भारतीय मध्यक्रम में जगह बनाना आसान नहीं है, लेकिन वह भविष्य के बारे में सोचने के बजाय केवल वर्तमान पर ध्यान देना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'मैं इस बात को हमेशा ध्यान में रखता हूं कि कल अनिश्चित है. अतीत में ऐसा हुआ है कि कल के बारे में सोचते-सोचते मेरा वर्तमान भी खराब हो गया. इसलिए मैं अब केवल वर्तमान में जीना चाहता हूं.'