Vaikuntha Ekadashi 2023: वैकुंठ एकादशी को हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना गया है. इसे मुक्कोटी एकादशी और स्वर्ग वथिल एकादशी भी कहते हैं. मान्यता है कि यह एकादशी व्रत करने से वैकुंठ के द्वार खुलते हैं.
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Mukkoti Ekadashi 2023: वैकुंठ एकादशी खरमास या धनुर्मास में पड़ती है. यानी कि जब सूर्य धनु राशि में होते हैं तब वैकुंठ एकादशी पड़ती है. इसे मुक्कोटी एकादशी भी कहते हैं, साथ ही केरल में इसे स्वर्ग वथिल एकादशी के तौर पर मनाया जाता है. कई जगह इसे पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में इस एकादशी को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. वैकुंठ एकादशी का व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ के द्वार खुलते हैं.
वैकुंठ एकादशी की पूजा विधि और मुहूर्त
वैकुण्ठ एकादशी इस साल 22 और 23 दिसंबर 2023 दोनों को मानी गई है. वैष्णव संप्रदाय के लोग 23 दिसंबर 2023, शनिवार यानी कि आज मना रहे हैं. पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 22 दिसम्बर 2023 की सुबह 08:16 बजे से प्रारंभ होकर 23 दिसम्बर 2023 की 07:11 बजे तक रहेगी. इस दिन व्रत करना और विधि-विधान से विष्णु की पूजा करना बहुत लाभ देता है. साथ ही वैकुंठ एकादशी की कथा भी जरूर पढ़नी चाहिए. वहीं वैकुंठ एकादशी का पारण समय 24 दिसंबर 2023 की सुबह 6 बजकर 33 मिनट से सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक है.
वैकुंठ/मुक्कोटी एकादशी व्रत पूजा विधि
वैकुंठ एकादशी की सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. फिर गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें. इसके बाद तुलसी दल, तिल, फूल, पंचामृत से भगवान नारायण की विधि विधान से पूजा करें. पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण ना करें. वैकुंठ एकादशी का व्रत निर्जला रखा जात है. यदि ऐसा संभव ना हो पाए तो शाम को दीपदान करने के पश्चात फलाहार कर सकते हैं. फिर अगले दिन जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं, दान दें और इसके बाद पारण करें.
यह व्रत करने से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और वह वैकुंठ धाम में स्थान पाता है. इसलिए वैकुंठ एकादशी को मुक्कोटी एकादशी भी कहते हैं. साथ ही यह व्रत करने वाले लोगों पर भगवान विष्णु की हमेशा कृपा रहती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)