Delhi BJP News: दिल्ली चुनाव के रुझानों में भाजपा को बहुमत मिल गया है. अगर यही रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो साफ है आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप, मोदी के करिश्माई चेहरे के साथ मुस्लिम फैक्टर ने बाजी पलट दी. दिल्ली में मुस्लिम वोटर न सिर्फ कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी AIMIM में बंटा है बल्कि ओखला जैसी मुस्लिम बहुल सीटों के रुझान बता रहे हैं कि मुसलमानों ने भाजपा को भी वोट किया है.
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Delhi Chunav Result BJP Victory Reasons: दिल्ली विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल सही साबित होते दिख रहे हैं. रुझानों में भाजपा प्रचंड जीत के साथ आसानी से बहुमत हासिल करती दिख रही है. 70 सीटों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 36 का है. सुबह 9.15 बजे ही टीवी चैनलों पर फ्लैश चलने लगा था- 'रुझानों में भाजपा को बहुमत'. दोपहर तक यही तस्वीर बनी हुई है तो यह समझना दिलचस्प है कि दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के खिलाफ फाइट में भाजपा ने 'कमल' कैसे खिला दिया? क्या कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का गठबंधन न होने से भाजपा को फायदा हुआ? मुस्लिम वोटरों ने बड़ा गेम कर दिया? आप पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते क्या भाजपा का पलड़ा भारी हुआ? 10 बड़े कारण जानिए.
1. मोदी का जादू
भाजपा ने 2014 के बाद हर चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा है. दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने सीएम कैंडिडेट घोषित किया था लेकिन भाजपा ने मोदी के फेस पर चुनाव लड़ा. नतीजे बता रहे हैं कि मोदी का जादू कायम है. भाजपा की जीत में पीएम की लोकप्रियता और चुनावी कैंपेन की सबसे बड़ी भूमिका रही है. पीएम मोदी की साफ सुथरी छवि, विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण लोगों को पसंद आया. 11 साल के उनके कार्यकाल को दिल्ली के लोगों ने नजदीक से जाना समझा है और यही वजह है कि दिल्ली में जनता का मूड बदल दिया.
LIVE: दिल्ली में कहां से कौन जीता?
2. भ्रष्टाचार पर अंकुश
बीजेपी शुरू से ही पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का वादा करती रही है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच बीजेपी की साफ-सुथरी छवि रही है, जो वोटरों के उसकी तरफ खिंचे आने की एक बड़ी वजह है.
3. मुस्लिम वोट का कमाल
हां, दिल्ली की कुछ मुस्लिम बहुल सीटों के नतीजे हैरान करने वाले हैं. साफ दिखाई दे रहा है कि दिल्ली के मुसलमानों ने भी भाजपा को वोट किया है, जिनके बारे में अक्सर कहा जाता है कि वे 'एंटी-भाजपा' पार्टी को वोट करते हैं. इसे भाजपा की सफलता ही कही जाएगी. चुनाव के दिन ही मौलाना साजिद रशीदी ने तो खुलेआम घोषणा कर दी थी कि उन्होंने भाजपा को वोट दिया है. इसमें आम आदमी पार्टी फेल रही. मुस्लिम उसका कोर वोटर था. ऐसे में कांग्रेस और आप का प्री-पोल अलायंस न होना भी भाजपा के पक्ष में गया और मुस्लिम वोटर बंट गया.
₹12 लाख तक की आय वाले दिल्ली के 1 करोड़ मध्यम वर्गीय लोगों को मोदी जी का तोहफा #ThankYouModiJi#ViksitBharatBudget2025#दिल्ली_चली_मोदी_के_साथ pic.twitter.com/VfHVl8D3ud
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) February 1, 2025
4. बजट का वो बड़ा एलान
दिल्ली में वोटिंग से ठीक पहले 1 फरवरी को केंद्र सरकार ने बजट पेश किया था. इसमें 12 लाख तक की कमाई टैक्स फ्री करने के एलान ने गहरा असर किया है. इस एक घोषणा से ही सैलरीड क्लास (मिडिल क्लास) के मन में भाजपा के लिए अच्छी तस्वीर बनी. नतीजों से साफ है कि वोटरों को भाजपा की राहत पसंद आई. भाजपा की रणनीति कितनी सफल रही, आप ऐसे समझिए. दोपहर 1 बजे तक घोषणा हो गई थी और 4 बजे तक दिल्ली की जनता को संबोधित करते हुए फायदे के ट्वीट आने लगे थे. बीजेपी दिल्ली के एक्स हैंडल से किया गया शाम का ट्वीट (ऊपर) देख लीजिए.
5. डबल इंजन सरकार का नरैटिव
हां, भाजपा ने हाल के वर्षों में राज्य के सभी चुनावों में डबल इंजन सरकार की बात कही है. दिल्ली में भी यही कहकर वोट मांगे गए. हाल के वर्षों में केंद्र और दिल्ली की सरकारों में तनातनी ने जनता के मन में शायद एक निगेटिव सेंटिमेंट तैयार किया. उन्हें लगा कि केंद्र और दिल्ली दोनों जगह बीजेपी की सरकार होने से विकास कार्यों में तेजी आ सकती है.
6. विकास की बात
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली में लगातार विकास की बात की. कई बुनियादी विकास के काम केंद्र सरकार की तरफ से हुए जिसे समझाकर दिल्ली की जनता से वोट मांगे गए. पेरिफेरल रोड जैसी चीजों ने दिल्ली के वोटरों के मन में यह भाव पैदा किया कि भाजपा आएगी तो हालात बदलेंगे.
7. आम आदमी पार्टी की कमजोरी
एंटी-इनकंबेंसी छोड़ भी दें तो आम आदमी पार्टी की छवि पर हाल के वर्षों में गहरा धक्का लगा. शराब घोटाले और रिश्वतखोरी के आरोपों के साथ-साथ बड़े नेताओं के जेल जाने से दिल्ली की जनता के मन में निगेटिव तस्वीर बनी. इसका भाजपा को लाभ मिला.
8. अनुशासित व्यवस्था
कोई नेता भले ही विवादित बयान दे गया हो लेकिन बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा काफी मजबूत और अनुशासित रहा है, जिससे चुनावी तैयारियों में कोई कमी नहीं रही. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संगठन के कुशल प्रबंधन से भी जीत में आसानी हुई.
9. वोटरों की प्राथमिकता
दिल्ली के वोटर केंद्र सरकार की योजनाओं, नीतियों को गहराई से समझते हैं. एक बड़ी तादाद ऐसे वोटरों की है जो राष्ट्रीय मुद्दों और सुरक्षा को ज्यादा महत्व देते हैं. कुछ राज्यों में भले ही लोगों ने केंद्र में भाजपा और राज्य में दूसरी पार्टी का विकल्प चुना हो, लेकिन दिल्लीवालों ने मोदी पर भरोसा जताते हुए बदलाव के लिए वोट किया.
10. प्रचार तंत्र
बीजेपी का प्रचार तंत्र जबर्दस्त रहा और उसका व्यापक असर देखने को मिला. सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक में भाजपा यह छवि बनाने में सफल रही कि वह आएगी तो विकास होगा और बेवजह की तकरार खत्म हो जाएगी. पीएम मोदी की रैलियों का जमकर प्रचार हुआ. फ्री के वादे के साथ विकास की तस्वीर भी पेश की गई.