गांधी-नेहरू परिवार की लाडली शीला दीक्षित ने 1998 में दिल्ली में गाड़ा खूंटा, बड़े-बड़े सूरमा हुए चित.. 15 साल रहीं CM
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गांधी-नेहरू परिवार की लाडली शीला दीक्षित ने 1998 में दिल्ली में गाड़ा खूंटा, बड़े-बड़े सूरमा हुए चित.. 15 साल रहीं CM

Delhi Election Result: 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में जबरदस्त प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने 52 सीटें जीतकर बीजेपी को मात्र 15 सीटों पर समेट दिया. इससे पहले 1993 के चुनाव में बीजेपी ने 49 सीटें जीती थीं, लेकिन सत्ता में रहते हुए गुटबाजी और गलत फैसलों की वजह से पार्टी कमजोर पड़ गई. 

गांधी-नेहरू परिवार की लाडली शीला दीक्षित ने 1998 में दिल्ली में गाड़ा खूंटा, बड़े-बड़े सूरमा हुए चित.. 15 साल रहीं CM

Sheila Dikshit as Delhi CM: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं और जल्द ही राजधानी को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है. इसी कड़ी में हम आपको दिल्ली की राजनीति के कुछ ऐसे रोचक पहलुओं से रूबरू करा रहे हैं जो शायद अब तक आपकी नजरों में नहीं आए होंगे. आज हम बात कर रहे हैं शीला दीक्षित की जिन्होंने 1998 में दिल्ली की सत्ता संभाली और लगातार 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं. उनके नेतृत्व में राजधानी ने जबरदस्त बदलाव देखे जिनमें मेट्रो सेवा की शुरुआत, फ्लाईओवरों का निर्माण और सीएनजी को बढ़ावा देने जैसे बड़े फैसले शामिल हैं.

1998 में कांग्रेस की जीत और शीला दीक्षित का उदय
विधानसभा चुनाव 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में जबरदस्त प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने 52 सीटें जीतकर बीजेपी को मात्र 15 सीटों पर समेट दिया. इससे पहले 1993 के चुनाव में बीजेपी ने 49 सीटें जीती थीं, लेकिन सत्ता में रहते हुए गुटबाजी और गलत फैसलों की वजह से पार्टी कमजोर पड़ गई. शीला दीक्षित ने 3 दिसंबर 1998 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और दिल्ली में विकास की नींव रखनी शुरू कर दी. उन्होंने परिवहन व्यवस्था को सुधारने पर जोर दिया जिससे दिल्ली की तस्वीर बदलने लगी.

लगातार तीन बार CM बनीं..लेकिन 2013 में केजरीवाल लहर में हारीं
शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में भी विजयी रही. 2003 में कांग्रेस ने 47 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी 20 सीटों पर सिमट गई. 2008 में कांग्रेस ने फिर से जीत दर्ज की और 43 सीटों पर कब्जा जमाया. इस दौरान दिल्ली ने कई बड़े बदलाव देखे, जैसे मेट्रो सेवा की शुरुआत, फ्लाईओवरों का जाल और सीएनजी बसों का संचालन. हालांकि, 2013 का चुनाव उनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ. अन्ना आंदोलन की कोख से जन्मी आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में उन्हें नई दिल्ली सीट से भारी मतों से हरा दिया.

शीला दीक्षित की राजनीति में एंट्री और कांग्रेस से नाता
शीला दीक्षित का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. उनके ससुर उमा शंकर दीक्षित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री थे. इंदिरा गांधी के कहने पर शीला दीक्षित ने स्टेटस ऑफ वुमेन के यूनाइटेड नेशन कमिशन की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद 1984 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बनीं. 1986 से 1989 तक वे केंद्रीय मंत्री भी रहीं.

2013 के बाद राजनीति से दूरी, यूपी में भी नहीं चला जादू
हार के बाद शीला दीक्षित दिल्ली की राजनीति से दूर हो गईं. यूपीए सरकार ने उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 2017 में कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया लेकिन पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ. शीला दीक्षित का 2019 में निधन हो गया. दिल्ली में हुए बदलावों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

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