Mahashivratri 2025 kab hai (Shashishekhar Tripathi): महाशिवरात्रि इस वर्ष 26 फरवरी को है. यह पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है. इसी दिन महादेव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था.
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Mahashivratri 2025: फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि इस वर्ष 26 फरवरी को पड़ रही है. यह पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष होता है क्योंकि इसी दिन महादेव का विवाह माता पार्वती से हुआ था. इस दिन शिव की पूजा, रुद्राभिषेक और व्रत करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
शिव परिवार: विरोधी तत्वों का भी सामंजस्य
शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो संन्यासी भी हैं और गृहस्थ भी. उनका परिवार प्रेम और समरसता का प्रतीक है, जहां परस्पर विरोधी तत्व भी सहजता से एक साथ रहते हैं. भगवान गणेश का वाहन मूषक और भगवान शिव के गले का सर्प, भगवान कार्तिकेय का मोर और नागराज, नंदी बैल और माता पार्वती का वाहन सिंह-ये सभी स्वभाव से एक-दूसरे के शत्रु हैं, फिर भी शिव कृपा से एक साथ रहते हैं. यह संदेश हमें अपने परिवार में भी धैर्य और सहिष्णुता बनाए रखने की प्रेरणा देता है.
शिव परिवार में ही समाहित हैं नवग्रह
अधिकांश लोग नवग्रहों की शांति के लिए अलग-अलग उपाय करते हैं, लेकिन शिव आराधना से सभी ग्रहों की बाधाएं दूर हो सकती हैं. दरअसल, नवग्रह स्वयं शिव परिवार में ही समाहित हैं. सूर्य देव स्वयं शिव के तेजस्वी स्वरूप हैं. चंद्रमा उनके मस्तक पर सुशोभित हैं. मंगल स्वरूप में भगवान कार्तिकेय पूजे जाते हैं. बुध ग्रह के अधिष्ठाता स्वयं भगवान गणेश हैं. गुरु ग्रह (बृहस्पति) शिव के प्रिय वाहन नंदी के रूप में विद्यमान हैं. शुक्र ग्रह शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक माता पार्वती से संबंधित हैं. शनि ग्रह शिव के त्रिशूल से जुड़े हुए हैं, जो न्याय और कर्मफल प्रदान करते हैं. राहु और केतु सर्प रूप में शिव के गले का आभूषण हैं.
रुद्राभिषेक से ग्रह दोष और पारिवारिक समस्याओं का समाधान
शिव कृपा पाने के लिए रुद्राभिषेक अचूक उपाय है. जल, दूध, गंगा जल, मधु, घी, पंचामृत आदि से किया गया रुद्राभिषेक सभी ग्रहों की शांति के साथ-साथ पारिवारिक समरसता को भी मजबूत करता है. शिवरात्रि के दिन परिवार के सभी सदस्य साथ मिलकर शिव पूजन करें और पड़ोसियों या सगे-संबंधियों को भी इस शुभ कार्य में शामिल करें. इससे पारिवारिक प्रेम, एकता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
पंचतत्व और शिव परिवार
शिव केवल नवग्रहों के ही नहीं, बल्कि पंचतत्वों के भी अधिपति हैं. जल तत्व-गंगा और चंद्रमा के रूप में विद्यमान है. वायु तत्व-त्रिशूल और डमरू से जुड़ा हुआ है. अग्नि तत्व-भगवान कार्तिकेय के तेजस्वी स्वरूप में प्रकट होता है. पृथ्वी तत्व-नंदी बैल के रूप में है. आकाश तत्व-स्वयं महादेव हैं, जो संपूर्ण ब्रह्मांड को धारण करते हैं.
महाकाल ही बदल सकते हैं भाग्य
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं-"तप करे कुमारी तुम्हारी, भावी मेटी सकही त्रिपुरारी..." अर्थात, यदि कोई भाग्य को बदलने की शक्ति रखता है, तो वह केवल महादेव हैं. महादेव ने ही मार्कंडेय ऋषि को महामृत्युंजय मंत्र का ज्ञान देकर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का उपाय बताया था. महाशिवरात्रि के दिन शिव की आराधना कर हम अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर सकते हैं. शिव कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और ग्रहों के अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)