Kalpvas Vrat Niyam: प्रयागराज महाकुंभ में कल्वास का भी विशेष धार्मिक महत्व है. यहां जानिए कल्पवास से जुड़े खास नियम.
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Kumbh Mela 2025 Kalpvas Niyam: प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है, जहां करोड़ों श्रद्धालु संगम पर डुबकी लगाने पहुंचे हैं।.महाकुंभ के पहले दिन लगभग एक करोड़ लोगों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान किया. महाकुंभ के दौरान कई श्रद्धालु कल्पवास व्रत रखते हैं, जो सदियों पुरानी परंपरा है. मान्यता है कि कल्पवास व्रत से पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानत हैं कल्पवास से जुड़े खास नियम.
कल्पवास क्या है?
कल्पवास का उल्लेख रामचरितमानस और महाभारत जैसे महाग्रंथों में मिलता है. महाकुंभ के समय कल्पवास का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. कल्पवास व्रत का पालन करने से उतना ही फल मिलता है जितना कि 100 वर्षों तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने से.कल्पवास के दौरान व्रतधारी व्यक्ति सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं, सफेद और पीले वस्त्र धारण करते हैं और पूरी तरह से अनुशासन में रहते हैं. कल्पवास की अवधि एक रात से लेकर 12 वर्ष तक हो सकती है.
कल्पवास के नियम
कल्पवास व्रत कठिन साधना का प्रतीक है और इसके पालन के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं. यदि इन नियमों का सही ढंग से पालन न किया जाए, तो तपस्या भंग मानी जाती है. कल्पवास व्रत के लिए 21 नियम अनिवार्य हैं.
इंद्रियों पर नियंत्रण रखना
सत्य का पालन करना
अहिंसा का अनुसरण करना
ब्रह्मचर्य का पालन करना
सभी जीव-जंतुओं के प्रति दयाभाव रखना
ब्रह्म मुहूर्त में जागना और सही दिनचर्या का पालन करना
किसी भी प्रकार का व्यसन न करना
प्रतिदिन तीन बार स्नान करना
पितरों के प्रति आदर प्रकट करना और पिंडदान करना
संध्या वंदन करना
मन में जप करना
यथासंभव दान करना
संकल्प के क्षेत्र (तंबू) से बाहर न जाना
किसी की निंदा न करना
सत्संग में भाग लेना
साधु-संन्यासियों की सेवा करना
दिन में केवल एक बार भोजन करना
धरती पर सोना
देवताओं का पूजन करना
अग्नि का ताप ग्रहण न करना
सात्विक और सादगीपूर्ण जीवन जीना
कल्पवास व्रत की विधि
कल्पवास के दौरान व्रतधारी को दिन में सिर्फ एक बार भोजन करना होता है, जिसमें केवल फलाहार का सेवन किया जाता है.
कल्पवास के दौरान जमीन पर सोना अनिवार्य माना गया है.
व्रतधारी केवल सफेद या पीले वस्त्र धारण करता है.
कल्पवास के दौरान संगम या नदी के किनारे बनाए गए तंबू में रहना होता है.
कल्पवासी का भोजन अत्यंत सादा और सात्विक होना चाहिए.
कल्पवासी को दिन में तीन बार गंगा स्नान करना आवश्यक है.
सूर्योदय से पहले नदी में स्नान करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)