Gulf of Alaska: जैसे किसी दर्जी ने दो समंदरों को जोड़ दिया हो... यह दृश्य प्रकृति का अद्भुत करिश्मा है. अलास्का की खाड़ी में हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के पानी का मिलन होता है, लेकिन ये आपस में नहीं घुलते. यह नजारा किसी चमत्कार से कम नहीं लगता. पानी के अलग-अलग रंग और विशेषताएं इन महासागरों के बीच एक स्पष्ट सीमा बनाते हैं. आइए, तस्वीरों के माध्यम से इस अनोखे नजारे को समझते हैं.
अलास्का की खाड़ी में हिंद महासागर और प्रशांत महासागर का पानी एक-दूसरे से मिलता जरूर है, लेकिन घुलता नहीं. यह प्राकृतिक सीमा पानी के रंग और घनत्व में अंतर के कारण बनती है. यहां एक तरफ गहरा नीला पानी है, तो दूसरी ओर हल्का नीला.
इन दोनों महासागरों के पानी की विशेषताएं अलग-अलग हैं. प्रशांत महासागर का पानी हल्का और मीठा है क्योंकि इसमें कई नदियां आकर मिलती हैं. वहीं, आर्कटिक महासागर का पानी ठंडा, खारा और भारी होता है. घनत्व और तापमान में यह अंतर दोनों को अलग रखता है.
पानी के बीच इस अदृश्य सीमा को ‘हलोक्लाइन’ कहा जाता है, जब यह लवणता के अंतर से बनती है. वहीं, तापमान के अंतर के कारण बनने वाली सीमा को ‘थर्मोक्लाइन’ कहा जाता है. अलास्का की खाड़ी में यह प्राकृतिक दीवार स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है.
अलास्का की खाड़ी उत्तरी अमेरिका के उत्तर-पश्चिम तट पर स्थित है. यह क्षेत्र कोडियाक द्वीप से लेकर अलेक्जेंडर आर्किपेलागो तक फैला हुआ है. 384,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली यह खाड़ी अपने विशाल आकार और इस अनोखे नज़ारे के लिए जानी जाती है.
यह सीमा स्थायी नहीं होती. समय के साथ महासागरों की धाराएं, तापमान और पर्यावरणीय बदलाव इस दृश्य को प्रभावित कर सकते हैं. कभी यह सीमा साफ दिखती है, तो कभी पूरी तरह गायब भी हो जाती है. वैज्ञानिक लगातार इस क्षेत्र पर नजर रखते हैं.
यह दृश्य दुनियाभर के पर्यटकों और वैज्ञानिकों को आकर्षित करता है. दो महासागरों के बीच की यह सीमा प्रकृति की जटिलता और अनोखेपन का बेहतरीन उदाहरण है. इसे देखने के लिए लोग अलास्का की खाड़ी का रुख करते हैं और इस करिश्मे को कैमरे में कैद करते हैं.
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