Mughal History: वो मुगल बादशाह जो गुसलखाने में करता था वजीरों से बैठकें, वजह जानकर नहीं होगा यकीन
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Mughal History: वो मुगल बादशाह जो गुसलखाने में करता था वजीरों से बैठकें, वजह जानकर नहीं होगा यकीन

Mughal Dark Secrets: मुगल इतिहास में अकबर का नाम महान बादशाहों में शुमार किया जाता है. उसकी मौत के बाद गद्दी पर बैठा सलीम उर्फ जहांगीर. इतिहासकार जहांगीर को 'मूडी' बादशाह बताते हैं.यानी कभी वह रहमदिल होता था तो कभी जल्लाद. उसके बेटे खुसरो ने बगावत की तो उसने उसकी आंखें फोड़ दी थीं. 

Mughal History: वो मुगल बादशाह जो गुसलखाने में करता था वजीरों से बैठकें, वजह जानकर नहीं होगा यकीन

Unknown Mughal History: भारत ने कई साम्राज्यों का शासन देखा. लेकिन मुगलों (Mughal Empire) का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है. बाबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक हर बादशाह के दौर के किस्से और कहानियां इतिहास के पन्नों में दफ्न पड़े हैं. आज हम आपको ऐसे मुगल बादशाह के बारे में बताने जा रहे हैं जो आधी रात को उठकर खाना खाता था और वजीरों के साथ गुसलखाने में अहम बैठकें करता था.

मुगल इतिहास में अकबर का नाम महान बादशाहों में शुमार किया जाता है. उसकी मौत के बाद गद्दी पर बैठा सलीम उर्फ जहांगीर. इतिहासकार जहांगीर को 'मूडी' बादशाह बताते हैं.यानी कभी वह रहमदिल होता था तो कभी जल्लाद. उसके बेटे खुसरो ने बगावत की तो उसने उसकी आंखें फोड़ दी थीं. 

एक बार जहांगीर के नौकर ने नदी किनारे लगे चंपा के पेड़ काट दिए तो उसका अंगूठा कटवा दिया था. नूरजहां की एक कनीज किन्नर को चूमते पकड़ी गई तो उसको जमीन में आधा गड़वा दिया था. अपने पिता की हत्या करने वाले शख्स को उसने हाथी की पिछली टांग में बंधवाकर कई मील तक खिंचवाया था. जहांगीर का जन्म 30 अगस्त 1569 को फतेहपुर सीकरी में हुआ था और निधन 28 अक्टूबर 1627 को. 

गुसलखाने में करते थे बैठकें

लेकिन जहांगीर की एक खास बात जो बेहद कम लोग जानते हैं, वो ये कि वह अपनी महत्वपूर्ण बैठकें गुसलखाने यानी नहाने वाली जगह पर किया करते थे. वह अपने बाल भी गुलसखाने में कटवाते थे. 

दरअसल यहां जहांगीर ने शेरशाह सूरी की परंपरा को आगे बढ़ाया था, जिसमें बादशाह गुसलखाने में जरूरी बैठकें किया करता था. शेहशाह सूरी के काफी घुंघराले बाल थे. इस कारण उनको सूखने में काफी समय लग जाता था. 

जानें कैसी थी दिनचर्या

इतिहासकारों के मुताबिक, जहांगीर काफी जल्दी उठ जाते थे. इसके बाद वह जनता के सामने जाते और अंदर आकर नाश्ता करते थे. आराम करने के बाद दोपहर में दरबार लगता था. शाम होते ही खास दरबारियों के साथ गुसलखाने में शराब और चर्चाओं का दौर चलता था. इसके बाद उनके सोने का वक्त होता था. दिलचस्प है कि आधी रात में उठने के बाद वह डिनर करते थे. 

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