Desi Jugaad: किसान का देसी जुगाड़ फिर आया काम, बंदरों को भगाने के लिए लाया 'भंयकर भालू'!
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Desi Jugaad: किसान का देसी जुगाड़ फिर आया काम, बंदरों को भगाने के लिए लाया 'भंयकर भालू'!

Desi Jugaad Farmer: यहां के किसानों ने एक पुरानी चाल चली है. फसल बर्बाद करने वाले जानवरों को भगाने के लिए कुछ लोगों को हायर किया है, जो भालू का ड्रेस पहनकर खेतों में घूम रहे हैं. किसानों ने उन्हें 250 रुपये प्रति दिन के हिसाब से काम पर रख रहे हैं. 

 

Desi Jugaad: किसान का देसी जुगाड़ फिर आया काम, बंदरों को भगाने के लिए लाया 'भंयकर भालू'!

Desi Jugaad In UP: यूपी में एक चौंकाने वाल मामला सामने आया है. किसानों का देसी तरीका अब जुगाड़ बन गया है. यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के कुछ गांवों में किसानों ने अपनी फसलों जानवरों से बचाने के लिए अनोखी तरकीब निकाली है. बताया जा रहा है कि गांव के खेतों को बंदर बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. इसी से बचने के लिए यहां के किसानों ने एक पुरानी चाल चली है. फसल बर्बाद करने वाले जानवरों को भगाने के लिए कुछ लोगों को हायर किया है, जो भालू का ड्रेस पहनकर खेतों में घूम रहे हैं. किसानों ने उन्हें 250 रुपये प्रति दिन के हिसाब से काम पर रख रहे हैं. बजरंगगढ़ गांव के संजीव मिश्रा ने शाहजहांपुर से 5,000 रुपये में भालू की पोशाक खरीदी है.

देसी जुगाड़ से खेतों में खड़े कर दिए भालू

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव के रहने वाले संजीव मिश्रा ने कहा, “खेतों में आवारा मवेशियों द्वारा किसानों की महीनों की मेहनत बेकार हो सकती है. यह कुछ सही तरीका लग रहा है और इलाके में काफी लोकप्रिय हो रही है. हालांकि, रेक्सिन से बनी भालू की पोशाक पहनना आसान नहीं है, क्योंकि इसमें गर्माहट होती है और उमस की स्थिति में खेतों में चलना या दौड़ना मुश्किल है.” गांव के ही एक अन्य ग्रामीण का कहना है, 'बंदरों के आतंक को लेकर हमने कई बार वन विभाग से संपर्क किया था, लेकिन अधिकारियों ने फंड की कमी का हवाला देकर समस्या से निपटने में असमर्थता जताई."

अधिकारियों ने दिया ये बयान

वहीं, खीरी के प्रभागीय वन अधिकारी संजय बिस्वाल ने कहा, “हम जानते हैं कि किसान बंदरों को दूर रखने के लिए एक अनूठा विचार लेकर आए हैं. वर्तमान में, हमारा विभाग पैसों की कमी के कारण पशुओं को पकड़ने के लिए अभियान चलाने में असमर्थ है.” करीब तीन साल पहले शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद के सिकंदरपुर गांव के लोगों ने आवारा पशुओं को भगाने के लिए भालुओं की पोशाकें खरीदीं और पूरे दिन वेश में पुरुषों को तैनात किया. इससे फसल की सुरक्षा की जा सकती है और किसानों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा.

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