Jagdeep Dhankhar: कुछ लोगों को तो चोट लगेगी ही... उपराष्ट्रपति धनखड़ ने युवाओं से क्यों कहा- जवाब देना होगा!
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Jagdeep Dhankhar: कुछ लोगों को तो चोट लगेगी ही... उपराष्ट्रपति धनखड़ ने युवाओं से क्यों कहा- जवाब देना होगा!

Vice President Jagdeep Dhankhar News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि उन्हें उन ताकतों को जवाब देना होगा जो नहीं चाहेंगी कि भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरे.

Jagdeep Dhankhar: कुछ लोगों को तो चोट लगेगी ही... उपराष्ट्रपति धनखड़ ने युवाओं से क्यों कहा- जवाब देना होगा!

VP Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को गुवाहाटी में कहा कि देश में हताशा और निराशा के पुराने दौर की जगह अब आशा और संभावना का माहौल है. उन्होंने कहा कि देश वैश्विक स्तर पर एक ताकत के रूप में उभरा है. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने दावा किया कि सीमाओं के भीतर और बाहर ऐसी ताकतें होंगी जो नहीं चाहेंगी कि भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरे. उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को अपने कदमों से ऐसी ताकतों को जवाब देना होगा.

युवाओं से उपराष्ट्रपति धनखड़ की अपील

‘कृष्णगुरु इंटरनेशनल स्पिरिचुअल यूथ सोसाइटी’ के एक सम्मेलन में धनखड़ ने कहा, 'दस साल पहले, माहौल हताशा और निराशा का था. अब हम आशा और संभावना का माहौल देख रहे हैं. हमारे महापुरुषों और संतों के योगदान के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज वैश्विक स्तर पर एक शक्ति है.' उन्होंने कहा, 'जब भारत का उत्थान हो रहा है, तो कुछ लोगों को चोट लगना स्वाभाविक है. कुछ लोग देश के भीतर हैं और कुछ बाहर... युवा इन लोगों को अपने अर्जित ज्ञान के माध्यम से जवाब देंगे और और इसका इस्तेमाल राष्ट्र के लिए करेंगे.' 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की आध्यात्मिक शक्ति भारत के उत्थान के केंद्र में है. उन्होंने युवाओं से आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने और राष्ट्रवाद एवं आधुनिकता की भावना के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भारत और अन्य देशों के बीच अंतर 'हमारी 5,000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत है, जो दुनिया में अद्वितीय है, और जिसे हमारे महापुरुषों ने चुनौतियों का सामना करते हुए भी कायम रखा है.' उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि आध्यात्मिक नेता कृष्णगुरु ऐसे महापुरुषों में से थे जिन्होंने लोगों की चेतना को आकार दिया.

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'धर्मग्रंथों में ज्ञान का पता लगाएं'

धनखड़ ने यह भी कहा कि कृष्णगुरु सेवाश्रम की गतिविधियां केवल सम्मेलन आयोजित करने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसके अन्य पहलू भी हैं जैसे कि इसके ट्रस्ट द्वारा संचालित विश्वविद्यालय, जो देश के युवाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की अनूठी आध्यात्मिक विरासत रामायण और महाभारत जैसे धर्मग्रंथों में समाहित है और युवाओं को इन ग्रंथों के ज्ञान का पता लगाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'नैतिक जीवन, नि:स्वार्थ कर्म और कर्तव्य का महत्व- हमारे युवाओं को इन बातों को याद रखना चाहिए और उनके अनुसार अपना जीवन जीना चाहिए.'

उन्होंने देश की आर्थिक वृद्धि का भी उल्लेख करते हुए कहा, 'जब आप आध्यात्मिक जागृति के लिए प्रयास करते हैं, तो हमारे लिए एक और जागृति सामने आ रही है. यह भारत का क्रमिक और निरंतर उत्थान है.' उपराष्ट्रपति ने कहा, 'भारत को सदियों तक दबाया गया और अब वह मुक्त हो गया है...एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है, जहां हर युवा अपनी क्षमता का पता लगा सकता है और आगे बढ़ सकता है.' धनखड़ ने कहा कि विशेष रूप से केंद्र की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ पर ध्यान केंद्रित करने के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र देश में हो रहे विकास का लाभ उठाने के लिए लाभप्रद स्थिति में है.

धनखड़ ने कहा, 'पूर्वोत्तर का परिवर्तन समावेशिता की भावना का प्रमाण है. दशकों से इस क्षेत्र को विकास से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. बहुत कुछ किया गया है और काम प्रगति पर है.' इस अवसर पर असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल समेत अन्य लोग मौजूद थे. (भाषा)

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