सरस्वती पूजा के लिए प्रसिद्ध वाराणसी का वाग्देवी मंदिर, यूपी उत्तराखंड के इन मंदिरों में खास तरह से मनाई गई बसंत पंचमी
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सरस्वती पूजा के लिए प्रसिद्ध वाराणसी का वाग्देवी मंदिर, यूपी उत्तराखंड के इन मंदिरों में खास तरह से मनाई गई बसंत पंचमी

बसंत पंचमी के साथ ऋतुराज बसंत का आगमन हो गया है. यह दिन मां सरस्वती की आराधना का दिन है. आइए जानते हैं यूपी और उत्तराखंड के किन मंदिरों में सरस्वती पूजन विशेष रूप से किया जाता है.

सरस्वती पूजा के लिए प्रसिद्ध वाराणसी का वाग्देवी मंदिर, यूपी उत्तराखंड के इन मंदिरों में खास तरह से मनाई गई बसंत पंचमी

लखनऊ: देशभर में बसंत पंचमी का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों में बसंत पंचमी को लेकर आस्था के नये रंग देखने को मिल रहे  हैं. बसंत पंचमी का जिक्र होते ही ब्रज का ध्यान आता है. दरअसल बसंत पंचमी से ही ब्रज में होली महोत्सव शुरू हो जाता है. यहां ब्रज के सभी मंदिरों में रंग गुलाल उड़ाया जाता है. बसंत पंचमी पर होली का डांढ़ा गढ़ने के साथ ही पूरे ब्रज में होली महोत्सव की शुरुआत होती  है. यह आयोजन 40 दिन तक चलता है. 

बसंत पंचमी के मौके पर विदेशों से भी श्रद्धालु ब्रज पहुंचते हैं. भगवान कृष्ण की नगरी वृंदावन के मशहूर बांके बिहारी मंदिर में बसंत पंचमी के दिन अबीर- गुलाल उड़ाया जाता है. पूरे मंदिर परिसर को पीले फूलों से सजाया जाता है. वहीं ठाकुर बांके बिहारी महाराज को बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण कराए जाते हैं. भक्त इस दौरान भगवान के साथ होली भी खेलते हैं.

धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में एक मां सरस्वती का द्वादश रूपों वाला मंदिर स्थित है.वाराणसी के संपूर्णानंद विवि में स्थित यह मंदिर 25 साल पहले पहले स्थापित किया गया है. मां वाग्देवी के इस मंदिर का विशेष महत्व है. शहर के बीचो-बीच संपूर्णानंद संस्कृत विवि में स्थित यह मंदिर विद्यार्थियों के बीच विशेष आस्था का केंद्र है.  बताया जात है कि मंदिर 8 अप्रैल 1988 को बनकर तैयार हुआ.

मां वाग्देवी की मूर्ती के काले वर्ण की है. बताया जाता है कि यह मूर्ति तमिलनाडु से मंगाई गई थी.इसके अलावा मंदिर की शैली भी दक्षिण भारत की ही तरह है. दक्षिणा शैली में मंदिर बना हुआ है.  

संगम नगरी में आस्था की लगाते हैं लोग डुबकी
संगमनगरी में बसंत पंचमी के दिन सुबह से ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर पहुंच गए. माघ मेला की वजह से यहां आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. माघ मेले में ऋतुराज बसंत के आगमन और विद्या की देवी सरस्वती की उपासना का पर्व बसंत पंचमी पर देश भर में श्रद्धा और उल्लास का संगम नजर आता है. इस अवसर पर प्रयागराज के संगम में सरस्वती की धारा की मान्यता की वजह से देश के कोने-कोने से स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का तांता रहा. श्रद्धालु त्रिवेणी के तट पर गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की धारा में डुबकी लगाकर विद्या की देवी सरस्वती की आराधना कर उनसे ज्ञान व सदबुद्धि की कामना की.

भीम पुल सरस्वती मंदिर
उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर आगे माता सरस्वती का उद्गम स्थल है. मान्यता है कि यहां माता सरस्वती प्रकट हुए थी. यही पर भीम पुल के नीचे से माता सरस्वती निकलती है और यहीं नीचे धरातल में लुप्त भी हो जाती है. यहीं पर माता सरस्वती का एक दिव्य मंदिर बना हुआ है.

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