Milkipur News: यूपी की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में बीजेपी की शानदार जीत मिली है. बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने 61,710 मतों से सपा उम्मीदवार को हार का स्वाद चखाया. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर क्यों सपा को हार का मुंह देखना पड़ा?
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Milkipur News: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में बीजेपी को जबरदस्त जीत हासिल हुई है. इस उपचुनाव में 61,710 मतों से सपा उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा. इस सीट पर लगभग 70,000 यादव और 35,000 मुस्लिम मतदाता हैं. लगभग एक लाख दलित मतों में मजबूत बंटवारे और सवर्ण मतों में सेंध लगाने के ख्वाब देखते हुए सपा चुनाव मैदान में कूदी. पूरे चुनाव में हर बिरादरी के मत हासिल करने का सपा नेता और पदाधिकारी दंभ भरते रहे, लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव में मिला जनमत भी वह नहीं थाम सके. सपा प्रत्याशी को 84,687 वोट मिले, जो कि 2022 के चुनाव से 19,218 वोट कम रहे. वहीं, लोकसभा चुनाव में भी लगभग 7,000 मतों से सपा ने जीत दर्ज की थी.
चुनाव में ब्राह्मण नेताओं की फौज
ब्राह्मण मतों में सेंध लगाने के लिए सपा ने भी ब्राह्मण नेताओं की फौज उतारी. पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय पूरे समय जनसंपर्क में जुटे रहे. नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, प्रदेश महासचिव व पूर्व विधायक जयशंकर पांडेय, पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी जैसे नेताओं ने जनसंपर्क किया, लेकिन ब्राह्मण मतदाता टस से मस नहीं हुए. वहीं, क्षत्रिय मतों को साधने के लिए सुल्तानपुर के पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू भी लगातार जनसंपर्क करते रहे, लेकिन कोई करिश्मा नहीं दिखा सके.
बसपा के वोट बैंक में सेंध
यादव के साथ ही कोरी, पासी और अन्य पिछड़े वर्ग के मतों को भी बीजेपी ने अपने पक्ष में किया. इसके साथ ही ब्राह्मण समाज के क्षत्रप इस समाज को भी अपने पाले में करने में सफल रहे. बीजेपी ने बसपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाने में सफल रही है. इसकी वजह उप चुनाव में बसपा प्रत्याशी मैदान में नहीं था. 2022 के चुनाव में बसपा को 14427 मत मिले थे.
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ये है बीजेपी की जीत की वजह
योगी की सभाएं व सिपहसालारों की ओर से क्षेत्र को मथना
संघ तथा आनुषांगिक संगठनों की ओर से पूरे इलाके में सक्रियता बढ़ाना
प्रत्याशी बदलना, टिकट के दावेदारों को पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में लाना
सपा के वोटों में सेंधमारी, कुशल संगठनकर्ता व पूर्व सांसद लल्लू सिंह की रणनीति
पंचायत स्तर पर पक्ष विपक्ष को साथ लेकर चुनाव को धार देना, परदेसी वोटरों को बूथ तक लाना
क्या है सपा की हार की वजह?
परिवारवाद के आरोप को मिटा पाने में विफलता
यादव वोटरों को सहेज न पाना
पीडीए में बिखराव रोकने में विफल रहना
नेताओं के अनाप-शनाप बयान, जनता के मिजाज को समझने में चूक
स्थानीय नेताओं की ओर से बीजेपी के आक्रामक प्रचार की काट न खोज पाना
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