Naga Baba 17 Shringar: कुंभ में अमृत स्नान से पहले नागा बाबा क्यों करते हैं 17 श्रंगार? देखती रह जाती दुनिया, आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में लगती होड़
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2599302

Naga Baba 17 Shringar: कुंभ में अमृत स्नान से पहले नागा बाबा क्यों करते हैं 17 श्रंगार? देखती रह जाती दुनिया, आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में लगती होड़

Naga Baba 17 Shringar Secret: कुंभ में स्नान करने से पहले नागा साधु 17 श्रंगार करते हैं. उनके श्रंगार के साधन भी अलग-अलग तरह के आखिर हैं. आखिर कुंभ और श्रंगार का रहस्य क्या है. 

Naga Baba 17 Shringar: कुंभ में अमृत स्नान से पहले नागा बाबा क्यों करते हैं 17 श्रंगार? देखती रह जाती दुनिया, आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में लगती होड़

Secret of 17 Shringar of Naga Babas: महाकुंभ में नागा साधुओं की एक अलग ही दुनिया है. नागा साधु, सनातन धर्म के प्रहरी महाकुंभ के राजाधिराज माने जाते हैं. सालों से चले आ रहे आस्था के महापर्व....महाकुंभ में नागा साधुओं का एक खास स्थान होता है. हर बार महाकुंभ में जुटने वाले नागा साधुओं की चर्चा सबसे ज्यादा होती है. इसका कारण है उनकी जीवन शैली, पहनावा और भक्ति. नागा साधुओं के बिना कुंभ की कल्पना नहीं की जा सकती है, महाकुंभ के अमृत स्नान में सबसे पहले नागा साधु डुबकी लगाते हैं. इसके लिए वो करते हैं खास श्रृंगार, जिसे नागा साधुओं का 17 श्रृंगार कहा जाता है.

नागाओं का अद्भुत संसार!

शिव सी जटा...हाथ में डमरू- त्रिशूल, शरीर पर भस्म, बिना वस्त्र के अवधूत. शिव की धुन में नाचते ये नागाओं का अद्भुत संसार है....जिनके तन में शिव, मन में शिव है. साधना-अराधना में महादेव बसे हैं. नागा का अर्थ होता है खाली यानी शून्य. शून्य यानी आदमी के अस्तित्व में मोह, माया दीन दुनिया सबकुछ नगण्य. अगर कुछ है, तो वो हैं शिव और उनका सत्य. 

नागा साधुओं के बिना कुंभ की कल्पना तक नहीं की जा सकती. हर बार कुंभ में जुटने वाले नागा साधुओं की चर्चा सबसे ज्यादा होती है. इसका कारण है उनकी जीवन शैली, पहनावा और भक्ति. धर्म रक्षा के मार्ग पर चलने के दौरान नागा साधु अपने जीवन को इतना कठिन बना लेते हैं कि आम आदमी के लिए सोचना भी मुश्किल है. नागा साधु उन्हें कहा जाता है जो संसार की सभी चीजों का त्याग कर शुद्धता और साधना की मिसाल पेश करते हैं.

एक गज कपड़े और मुट्ठी भर भभूत में सिमटा जीवन

महाकुंभ की रहस्यगाथा में नागा संन्यासियों का खास जिक्र है. साथ ही रोचक है. उनका शिव अराधना में किया जाने वाला 17 श्रृंगार. नागाओं का पूरा जीवन एक गज  कपड़े और एक मुट्ठी भभूत के सहारे कटता है. भभूत को ये नागा अपने अराध्य भगवान शिव का अंश मानते हैं, जिसके साथ ये करते हैं 17 वां श्रृंगार.

हिंदू धर्म के 16 श्रृंगारों के बारे में तो सब जानते हैं, जो सुहागन महिलाएं करती हैं. नागाओं के लिए भी श्रंगार का मतलब वही होता है, जो किसी आम महिला के लिए होता है, मगर इसका मकसद दिखावा नहीं, बल्कि उस साज-श्रंगार को अपने भीतर महसूस करना होता है. अपने ईष्टदेव शिव को प्रसन्न करना होता है. इस 17 श्रृंगार के बाद ही नागा साधु संगम में अमृत स्नान के लिए डुबकी लगाते हैं.

नागा बाबाओं के 17 श्रंगार! 

नागा साधुओं के 17 श्रृंगार हैं- भभूत, लंगोट, चंदन, पांव में चांदी या लोहे के कड़े, पंचकेश यानी जटा को पांच बार घुमाकर सिर में लपेटना, रोली का लेप, अंगूठी, फूलों की माला, हाथों में चिमटा, डमरू, कमंडल, जटाएं, तिलक, काजल, हाथों में कड़ा, विभूति का लेप और गले में रुद्राक्ष.

नागा संन्यासियों के दर्शन इतने दुर्लभ होते हैं कि ये या तो अपनी स्थाई छावनी में रहते हैं या फिर महाकुंभ में दिखते हैं. कुंभ और सनानत की रक्षा के लिए इन नागाओं ने न जाने कितनी लड़ाइयां लड़ीं और उसमें अपनी जान न्योछावर की है. 

कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं नागा?

नागा साधु, सनातन धर्म के प्रहरी महाकुंभ के राजाधिराज माने जाते हैं. वो तब भी इसी तरह के अवधूत थे, जैसा आज दिखते हैं. ऐसे बेलाग संन्यासियों को देख कर आम आदमी एकबारगी हैरत में पड़ जाता है. लगता है जैसे भगवान शिव के गणों का समूह साक्षात हो गया. 

महाकुंभ या कुंभ में सबसे पहले नागा साधु ही स्नान करते हैं, इसके बाद ही अन्य श्रद्धालुओं को स्नान करने की अनुमति होती है. महाकुंभ और कुंभ की समाप्ति के बाद सभी नागा साधु अपनी-अपनी रहस्यमयी दुनिया में लौट जाते हैं.  

महाकुंभ में साधु संत आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इनमें एक भागीरथी गिरी जी नागा बाबा, जो 15 साल से एक पैर पर ही खड़े हुए हैं और तपस्या कर रहे हैं. बाबा के मुताबिक 15 साल से वह जनकल्याण के लिए यह तप कर रहे हैं. 

नागाओं की 'रहस्यमयी' दुनिया 

  • गृहस्थ जीवन से लेना-देना नहीं.

  • आश्रम और मंदिरों में रहते हैं.

  • हिमालय में जाकर तप करते हैं.

  • एक बार ही शाम को भोजन.

  • कभी बिस्तर पर नहीं सोते.

  • पैदल ही भ्रमण करते हैं.

  • डमरु, त्रिशूल, चिमटा रखते हैं.

  • नागा साधु कपड़े नहीं पहनते.

  • सिर्फ लंगोट ही धारण करते हैं.

  • अंतिम प्रण के बाद नग्न रहते हैं.

महाकुंभ में बनाए जाएंगे 6 हजार नागा!

महाकुंभ के अमृत स्नान से ठीक पहले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने ऐलान किया कि महाकुंभ में 6 हजार नागा साधु बनाए जाएंगे और दीक्षा के बाद उन्हें वन तपस्या के लिए भेजा जाएंगा. लेकि नागा साधुओं की फौज बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ रही है. 

अखाड़ा परिषद प्रमुख का मानना है कि नागा बाबा की फ़ौज में बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है. ये सनातन और समाज के लिए काम करते है. बांग्लादेश जैसे हालात भारत मे न बने इसीलिए आवश्यक है कि नागा बाबाओ की फौज बढे. संतो में नागा बाबाओ की फौज की बढ़ोत्तरी को लेकर उत्साह है. बाबाओ का कहना है कि  नागा बाबा बनने के बाद वन में कठिन तपस्या करनी पड़ती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news