Mahakumbh 2025: कैसी होती है अघोरियों की तिलिस्मी दुनिया? ये 3 काम करने के बाद बनते हैं सिद्ध अघोरी
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Mahakumbh 2025: कैसी होती है अघोरियों की तिलिस्मी दुनिया? ये 3 काम करने के बाद बनते हैं सिद्ध अघोरी

Rituals at Kumbh Mela: अघोरियों की दुनियां बेहद तलिस्मी होती है. अघोर परंपरा के अनुसार, किसी भी अघोरी को सिद्धि प्राप्त करने के लिए तीन काम करना सबसे जरूरी होता है.

Mahakumbh 2025: कैसी होती है अघोरियों की तिलिस्मी दुनिया? ये 3 काम करने के बाद बनते हैं सिद्ध अघोरी

Mystery of Aghori: आमतौर पर अघोरियों को लोग खौफनाक और रहस्यमयी मानते हैं. उनके बारे में कई प्रकार की रहस्यमयी कहानियां सुनने को मिलती हैं. भगवान शिव के अनुयायी माने जाने वाले अघोर पंथियों की तिलिस्मी दुनिया में गुरु दीक्षा को सर्वोच्च महत्व दिया जाता है. गुरु दीक्षा के बिना कोई भी व्यक्ति अघोरी सिद्ध नहीं माना जाता. गुरु दीक्षा प्राप्त करने के लिए अघोरियों को कठोर परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है. तंत्र विद्या में पारंगत होने के बावजूद कोई अघोरी तब तक हर कार्य में सक्षम नहीं माना जाता, जब तक उसे गुरु दीक्षा प्राप्त न हो. इस दीक्षा के लिए अघोरी अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं. गुरु का आशीर्वाद पाने के लिए शिष्य को तीन प्रमुख परीक्षाएं पास करनी होती हैं. आइए जानते हैं कि कैसा होती है अघोरियों की तिलिस्मी दुनिया और सिद्ध अघोरी बनने के लिए क्या-क्या करना होता है.

 हिरित दीक्षा 

अघोरी बनने की प्रक्रिया में शिष्य को अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाना आवश्यक होता है. सबसे पहले शिष्य अपने गुरु से बीज मंत्र प्राप्त करता है.इसे हिरित दीक्षा कहा जाता है, जिसे कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है. हिरित दीक्षा के बाद शिरित दीक्षा दी जाती है. इसमें गुरु, शिष्य से वचन लेते हैं और उसके हाथ, गले या कमर पर काला धागा बांधते हैं. इस दौरान गुरु, शिष्य को जल का आचमन कराकर कुछ नियम बताते हैं, जिनका पालन हर स्थिति में करना अनिवार्य होता है.

रंभत दीक्षा

अघोरी बनने का सबसे कठिन चरण रंभत दीक्षा है, जिसके नियम अत्यंत कठोर होते हैं. इस दीक्षा के लिए शिष्य को अपने जीवन और मृत्यु का अधिकार पूरी तरह से गुरु को सौंपना पड़ता है. यदि गुरु शिष्य को मरने का आदेश भी दें, तो उसे इसका पालन करना होता है. रंभत दीक्षा प्राप्त करने से पहले शिष्य को गुरु द्वारा कई कठोर परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है. इन परीक्षाओं में सफल होने के बाद ही शिष्य को रंभत दीक्षा के योग्य माना जाता है.

गुरु का आदेश शिष्य के लिए आखिरी सत्य

रंभत दीक्षा प्राप्त करने के बाद, शिष्य के लिए गुरु का आदेश ही सर्वोपरि हो जाता है. गुरु के आदेश के बिना शिष्य दीक्षा से मुक्त नहीं हो सकता. रंभत दीक्षा सिर्फ उसी शिष्य को दी जाती है, जिसे गुरु अपना उत्तराधिकारी मानते हैं. इस दीक्षा के बाद गुरु शिष्य को अघोर पंथ के गहरे रहस्य और सिद्धियां सिखाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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