Mahakumbh 2025: महाकुंभ में आए रुस और यूक्रेन से लोग संगन की रेत पर एक साथ बैठकर भगवान शिव की स्तुति कर रहे है. और शांति तलाश रहे है.
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Mahakumbh 2025: संगम की रेती पर लगे आस्था के महा समागम की हर छठा निराली और अनूठी है. क्योंकि यहां न सिर्फ सनातन धर्मावलंबी बल्कि विदेशी भी शांति की तलाश में पहुंचे हैं और जब शांति के लिए दो दुश्मन देशों के नागरिक एक साथ बैठकर प्रार्थना करें, तो समझिए यही संगम है. श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी विष्णुदेवानंद गिरी के शिविर में हर दिन का नजारा कुछ इसी तरह का होता है.
भगवान शिव की भक्ति में लीन हुए दो दुश्मन देशों के लोग
भगवान शिव की स्तुति भजन कीर्तन में लगे भक्त, संस्कृत श्लोको से हो रही आराधना और हर विदेशी चेहरा. ये दुनिया के जो दो देश आपस में दुश्मन बने हुए हैं, उन्ही दोनों देशों के नागरिक यहां पर हाथ जोड़कर एक साथ प्रार्थना कर रहे हैं. सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन यह सच है. रूस और यूक्रेन जहां उनके युद्ध से दुनिया भर में चिंता बनी हुई है. तो वहीं दोनों देशों के लोग साथ में भजन कीर्तन पूजा पाठ कर रहे हैं. यहां पर ना तो जंग का असर है ना दोनों देशों के दुश्मनी का, इन्हें केवल भगवान से मतलब है. जो संगम के तट पर सनातनी रंग में पूरी तरह से रंगे हुए हैं.
जहां होता है अध्यात्म वहां नहीं होते युद्ध
हालांकि यहां पर भाषा की अपनी सीमाएं हैं. महामंडलेश्वर विष्णुदेवांनांद हिंदी नहीं बोल पाते. दुभाषिये के जरिए बात होती है. बात यही होती है कि युद्ध की नहीं हम भगवान की बात करते हैं. महाकुंभ की धरती से आ रहे यह दृश्य इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि आध्यात्म जहां असल में होता है वहां युद्ध नहीं होते. फिर चाहे वह युद्ध रण क्षेत्र के हो या अंतर्मन के.
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