मुस्लिम समाज 244 सालों से कर रहा रामलला का स्‍वागत, नहीं देखा होगा रामलीला का ऐसा रोमांच
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मुस्लिम समाज 244 सालों से कर रहा रामलला का स्‍वागत, नहीं देखा होगा रामलीला का ऐसा रोमांच

Kaushambi News : यहां रामलीला में आपसी भाईचारा बिना किसी भेदभाव के देखने को मिलती है. मुस्लिम समाज के लोग अपने मोहल्लों में मर्यादा पुरुषोत्तम राम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण का स्वागत करते हैं. 

मुस्लिम समाज 244 सालों से कर रहा रामलला का स्‍वागत, नहीं देखा होगा रामलीला का ऐसा रोमांच

Kaushambi News : मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना, अगर इसका जीता जागता उदाहरण देखना है तो आपको कौशांबी आना पड़ेगा. यहां रामलीला में आपसी भाईचारा बिना किसी भेदभाव के देखने को मिलती है. मुस्लिम समाज के लोग अपने मोहल्लों में मर्यादा पुरुषोत्तम राम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण का स्वागत करते हैं. 

मुस्लिम युवकों ने किया जोरदार स्‍वागत 
इस बारे में व्यापार मंडल और अंजुमन के युवा राजिश जैदी ने बताया कि दारानगर की संजीव रामलीला सदियों से होती चली आ रही है. आज इसका 8वां दिन था, इस दिन ही मुस्लिम मोहल्ले में भगवान का मंचन होता है. भगवान, उनके पुरोहित और उनकी सेना का मुस्लिम युवाओं द्वारा स्वागत, सत्कार और सम्मान होता है. इतना ही नहीं उनके जलपान की भी व्यवस्था की जाती है. यह परंपरा आदिकाल से पूर्वजों के द्वारा चला आ रहा है.  खास बात है कि करीब 244 साल बाद भी इस परंपरा का निर्वाहन युवा पीढ़ी भी कर रही है. 

भारत में मिसाल है दारानगर की रामलीला
दारानगर रामलीला देश में मिसाल पेश करती है. इससे हिन्दू-मुस्लिम एकता को बल मिलता है. बताया जाता है कि मुगल बादशाह दारा शिकोह यहां आए थे. उनके ही नाम से इस कस्बे को दारानगर का नाम मिला. यहां उसी समय की कई धरोहर आज भी मौजूद हैं. इनमें से दो मुख्य रूप से जानी जाती है, एक यहां का दशहरा पर्व और दूसरा मुहर्रम. 

घूम-घूमकर अलग-अलग स्‍थानों पर होती है रामलीला 
ऐसे तो हर जगह पर रामलीला मंच पर होता है, लेकिन दारानगर में होने वाली रामलीला 12 दिन तक गांव में घूम-घूम कर अलग-अलग स्थानों पर मनाई जाती है. पात्रों से रामायण के मुख्य अंश का चित्रण किया जाता है. वहीं, रामलीला के आठवें दिन सीता हरण का कार्यक्रम होता है. इस दौरान भगवान राम का रथ सैयद वाडा मोहल्ले से होकर गुजरता है, तो यहां की पुरानी अंजुमन असदिया के युवा सदर असद सगीर के निर्देशन पर भगवान का स्वागत मुस्लिम समाज के लोग करते हैं. 

जलपान देकर स्‍वागत करते हैं 
इसमें उनके साथ शामिल पंडितों की टोली जो रामायण की पंक्तियां गाते हैं, उनके लिए मुस्लिम समाज के लोग फल और जलपान की व्यवस्था करते हैं. अंजुमन के युवाओं की तरफ से सबसे पहले भगवान को लौंग, इलायची, काजू, बादाम देकर स्वागत किया जाता है. यहां मोहल्ले में खड़े होकर रामायण की पंक्तियों को अंजुमन असदिया के लोग सुनते हैं और अपने मोहल्ले में भगवान राम का स्वागत करते हैं. 

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