Global Warming: जयवायु परिवर्तन शायद पूरी दुनिया के लिए एक लाइलाज बीमारी की तरह बनता जा रहा है. डॉक्टर बनकर पूरी दुनिया इस बीमारी का इलाज करने की कोशिश तो कर रही है. लेकिन बड़े-बड़े कदमों के बाद भी जलवायु परिवर्तन साल दर साल खतरनाक रूप ले रहा है.
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Climate Change News: हम सब ये कहते हैं कि परिस्थितियां खराब होने पर भी इंसान को डरना नहीं चाहिए. आज के समय में ये बात कहना गलत है क्योंकि कभी-कभी डरना बेहद जरूरी होता है. जलवायु परिवर्तन के बारे में आप बार-बार सुनते हैं. हमने DNA में पहले भी आपको इस खतरे के बारे में बताया है. लेकिन अब जयवायु परिवर्तन शायद पूरी दुनिया के लिए एक लाइलाज बीमारी की तरह बनता जा रहा है. डॉक्टर बनकर पूरी दुनिया इस बीमारी का इलाज करने की कोशिश तो कर रही है. लेकिन बड़े-बड़े कदमों के बाद भी जलवायु परिवर्तन साल दर साल खतरनाक रूप ले रहा है.
..ये स्थिति मौत से भी बदतर होगी
कल्पना कीजिए कि आप जिस शहर में रह रहे हैं, उस शहर का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस हो जाए... तो क्या होगा, कैसे हालात बनेंगे? यकीन मानिए ये स्थिति मौत से भी बदतर होगी. दुनिया खत्म होने के कगार पर पहुंच जाएगी. इसकी अभी हमने सिर्फ कल्पना की है. लेकिन ये बात अब हकीकत में बदल सकती है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानि World Meteorological Organization ने अपनी Annual State of the Climate Report जारी की है. इस रिपोर्ट से जो बात सामने आई है वो पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी warning है...सबसे पहले हम अपने इस विश्लेषण में आपको World Meteorological Organization की रिपोर्ट की अहम बातें बताते हैं.
-पहली बड़ी बात - वर्ष 2023 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है.
- दूसरी बड़ी बात - 2014 से 2023 का समय सबसे गर्म दशक के रूप में रिकॉर्ड किया गया है.
- पिछले 10 वर्षों में heatwave ने महासागरों को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है और बहुत बड़ी संख्या में ग्लेशियर पिघले है.
धरती एक बड़े संकट की तरफ बढ़ रही
साफ है कि जिस धरती पर हम जी रहे हैं, सांस ले रहे हैं, जहां इंसान के रहने के लिए सबकुछ है. वही धरती एक बड़े संकट की तरफ बढ़ रही है. 2023 में दुनिया भर में जमीन का औसत तापमान 1850 से 1900 के औसत से 1.45 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था. जब से मौसम का रिकॉर्ड रखा जा रहा है तबसे वर्ष 2023 सबसे ज्यादा गर्म साल रहा है. यानी 174 वर्ष के इतिहास में सबसे गर्म साल. 1950 के बाद दुनियाभर के प्रमुख ग्लेशियर्स को बर्फ का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है. खासतौर पर उत्तरी और पश्चिमी अमेरिका के साथ यूरोप में स्थिति बिगड़ी है.
ग्लेशियर रिकॉर्ड स्तर पर पिघले..
2023 के आखिर तक 90 फीसदी से ज्यादा महासागरों में लगातार हीटवेव आई है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद UN के Secretary General Antonio Guterres ने भी इसे संकट की स्थिति कहा है. World Meteorological Organization की रिपोर्ट के मुताबिक Switzerland के alpine ग्लेशियरों ने पिछले दो साल के अंदर अपना 10 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है. इसे आसान भाषा में समझे तो ग्लेशियर रिकॉर्ड स्तर पर पिघले हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है.
1850 के आसपास से धरती के तापमान का रिकॉर्ड
दुनिया में 1850 के आसपास से धरती के तापमान का रिकॉर्ड मौजदू है. यही वो समय था जब दुनिया ओद्योगिकरण के दौर से गुजर रही थी. इसी समय पर ग्रीन हाउस गैसें बढ़ रही थी. PARIS CLIMATE AGREEMENT में ये तय किया गया था कि धरती के तापमान को 1850 के समय जो तापमान रिकॉर्ड किया गया था उसके 1.5 degree celsius के अंदर ही रखा जाएगा. हालाकि इस रिपोर्ट में बताया गया कि हम, वर्ष 2023 में 1.5 degree celsius की सीमा के बहुत करीब पहुंच चुके है.
जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी मुसीबत
जलवायु परिवर्तन आज के समय की सबसे बड़ी मुसीबत है. जिसका नुकसान इस धरती पर रहने वाले हर इंसान, जानवरों, पेड़-पौधे, नदियों को बड़े स्तर पर उठाना पड़ रहा है. World Meteorological Organization की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि वर्ष 2023 में ग्रीनहाउस गैस के स्तर में बढ़ोतरी हुई है. समुद्र का तापमान बढ़ा है और महासागर गर्म हो रहे हैं. समुद्र के जलस्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. अंटार्कटिका के समुद्री बर्फ के कम होने और ग्लेशियर के पिघलने के रिकॉर्ड टूटे हैं.
कई देशों में भीषण गर्मी
पिछले साल यूरोप, उत्तरी अमेरिका, चीन समेत दुनिया के कई देशों में भीषण गर्मी पड़ी थी. यूरोप के जिन इलाकों में लोग घूमने जाते थे वहां पीने के पानी का संकट हो गया था. लोग गर्मी से परेशान हो गए थे. इसके अलावा अफ्रीकी देशों में सूखे की स्थिति बनी. कई देशों में मूसलाधार बारिश हुई, जिसमें कई बड़े बांध नष्ट हो गए थे. लीबिया में हजारों लोगों की जान गई थी. कनाडा में जंगल की आग ने उत्तरी अमेरिका की हवा को खराब कर दिया था. यानी कहीं गर्मी ने कहर ढाया तो कहीं बाढ़ और जंगलों की आग ने. ये सब हुआ जलवायु परिवर्तन की वजह से.
ये पूरी दुनिया की समस्या
जलवायु परिवर्तन किसी एक या दो देश की समस्या नहीं है. ये पूरी दुनिया की समस्या है इसलिए इस खतरे से निपटने के लिए भी दुनिया को एक होना होगा...और वो भी पूरी गंभीरता के साथ. वर्ष 2015 में paris agreement के तहत औसत तापमान को 2 degree celsius के नीचे रखने का फैसला हुआ था. लेकिन दुनियाभर की रिपोर्ट को अगर देखें तो कोई भी देश इसमें सफल होता नहीं दिख रहा है. इस टारगेट को हासिल करने के लिए पूरी दुनिया को fossil fuel का इस्तेमाल आधे से ज्यादा कम करना होगा. green house gases का उत्सर्जन रोकना होगा. ये काम पूरी दुनिया को वर्ष 2030 तक करना है. ताकि दुनिया को carbon dioxide से छुटकारा मिल सके.
पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म दिन
दुनिया के बढ़ते तापमान पर पिछले साल NASA की एक रिपोर्ट आई थी. NASA के मुताबिक दुनिया का औसत तापमान तेज़ी से बढ़ रहा है. विश्व का औसत तापमान पूरे वर्ष आमतौर पर 12 Degree Celsius से 17 Degree Celsius के आसपास ही रहता है. जैसे, वर्ष 1979 से 2000 के बीच इसका औसत 16.2 Degree Celsius रहा था. लेकिन 3 जुलाई 2023 को ये औसत तापमान 17.01 Degree Celsius दर्ज किया गया था. इसे पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म दिन बताया गया था. इससे पहले सबसे गर्म दिन का Record अगस्त 2016 में बना था और उस वक्त दुनिया का औसत तापमान 16.92 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था.
दुनियाभर में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा
धरती अब धीरे-धीरे एक ऐसा आग का गोला बन रही है, जहां गर्मी का torture बढ़ता जा रहा है. ये सब हो रहा है जलवायु परिवर्तन की वजह से. World Meteorological Organization की ये रिपोर्ट भी इसी खतरे से आगाह कर रही है. Climate change का अभी हमपर बहुत असर भले ही नहीं दिख रहा है. लेकिन मौसम पर इसका असर दिखने लगा है. साल दर साल लगातार बढ़ने वाली गर्मी की वजह से दुनियाभर में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है. Lancet Countdown on Health and Climate Change की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का तापमान इसी तरह बढ़ता रहा तो दुनिया को इसके खतरनाक अंजाम भुगतने होंगे. साल 2050 तक दुनिया भर में तेज गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या करीब पांच गुना तक बढ़ जाएगी.
भारत भी अछूता नहीं..
Lancet Countdown on Health and Climate Change की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 के दौरान लोगों को 86 दिनों तक खतरनाक गर्मी का सामना करना पड़ा. इनमें गर्मी की 60 प्रतिशत घटनाएं ऐसी थीं जिनके लिए इंसान की गतिविधियां जिम्मेदार थीं. जलवायु परिवर्तन के असर से भारत भी अछूता नहीं है. 2018 से 2022 तक गर्मियों का औसत तापमान 0.5 डिग्री बढ़ा है. 2022 में भारत को गर्मी की वजह से 54% काम के घंटों का नुकसान हुआ था. 2020 में PM 2.5 यानि Particulate Matter 2.5 से जुड़ी 8 लाख 15 हजार मौतें हुईं, जो 2005 की तुलना में 35 प्रतिशत ज्यादा थीं.
गर्मी नए-नए रिकॉर्ड बना रही
गर्मी अब भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में नए-नए रिकॉर्ड बना रही है. जिसकी वजह से मौसम का चक्र 360 डिग्री घूम गया है. हम इसे अपनी आंखों से देख भी सकते हैं. उत्सर्जन, ग्रीनहाउस गैस और अल-नीनो ने मिलकर दुनिया का पारा इतना बढ़ा दिया है कि धरती पर बड़ा संकट मंडराने लगा है.
DNA : गर्मी बढ़ी...ग्लेशियर पिघले...'टेंपरेचर' का 'टॉर्चर'. 2023 अब तक का सबसे 'गर्म' साल.
क्या धरती तबाही की कगार पर आ गई है ?#DNA #DNAWithSourabh #Hot #Summers #ClimateChange #GlobalWarming @saurabhraajjain pic.twitter.com/ydiC75eRP7
— Zee News (@ZeeNews) March 20, 2024